Line 509: |
Line 509: |
| | | |
| ===== २. संकल्प ===== | | ===== २. संकल्प ===== |
− | विद्यालयों को यह परिचित नहीं है परन्तु भारत में हर शुभ कार्य के प्रारम्भ में संकल्प किया जाता है जिसमें | + | विद्यालयों को यह परिचित नहीं है परन्तु भारत में हर शुभ कार्य के प्रारम्भ में संकल्प किया जाता है जिसमें स्थान, काल, उद्देश्य आदि का उच्चारण किया जाता है । यह परिचित नहीं होने का एक कारण यह भी है कि इस संकल्प में वर्णित सन्दर्भ भूगोल, कालगणना आदि की भारतीय संकल्पना के अनुसार हैं और विद्यालयों में पढाई जानेवाली इतिहास और भूगोल की बातें कुछ और हैं । परन्तु विट्रज्जनों को इस बात का विचार करना चाहिये और भारतीय शास्त्रीय तथा सांस्कृतिक परम्पराओं को हम पुनः किस प्रकार स्थापित कर सकते हैं इसका विचार करना चाहिये। यह संकल्प संस्कृत में होता है। व्यावहारिक उद्देश्यों से उसे हिन्दी या अपनी अपनी भाषामें अनुदित किया जा सकता है । |
| | | |
− | भारतीय शिक्षा के व्यावहारिक आयाम
| + | ===== ३. यज्ञ ===== |
| + | भारत की संस्कृति यज्ञसंस्कृति है । सृष्टि और समष्टि के लिये आवश्यक त्याग करना और उन्हें सन्तुष्ट करना ही यज्ञ है। ना समझ लोग इसे कुछ उपयोगी पदार्थों को जलाना कहते हैं। यज्ञ के सांस्कृतिक और भौतिक वैज्ञानिक खुलासे तो अनेक हैं परन्तु उन्हें ये खुलासे जानने का धैर्य नहीं होता और मानने का साहस नहीं होता । परन्तु जानकार और समझदार लोगों ने विचार कर लोगों को समझाना चाहिये । विशेषकर विद्यालयों में तो इसका प्रारम्भ हो ही सकता है । |
| | | |
− | स्थान, काल, उद्देश्य आदि का उच्चारण किया जाता है ।
| + | ===== ४. मध्यावकाश का भोजन अथवा अल्पाहार ===== |
− | | + | लगभग सभी विद्यालयों में यह होता ही है। इसे संस्कृति और सभ्यता की गतिविधि बनाना चाहिये । भोजन कहीं भी बैठकर कैसे भी करने की बात नहीं है । उसे व्यवस्थित ढंग से करना चाहिये । |
− | यह परिचित नहीं होने का एक कारण यह भी है कि इस
| |
− | | |
− | संकल्प में वर्णित सन्दर्भ भूगोल, कालगणना आदि की
| |
− | | |
− | भारतीय संकल्पना के अनुसार हैं और विद्यालयों में पढाई
| |
− | | |
− | जानेवाली इतिहास और भूगोल की बातें कुछ और हैं ।
| |
− | | |
− | परन्तु विट्रज्जनों को इस बात का विचार करना चाहिये
| |
− | | |
− | और भारतीय शास्त्रीय तथा सांस्कृतिक परम्पराओं को हम
| |
− | | |
− | पुनः किस प्रकार स्थापित कर सकते हैं इसका विचार
| |
− | | |
− | करना चाहिये। यह संकल्प संस्कृत में होता है।
| |
− | | |
− | व्यावहारिक उद्देश्यों से उसे हिन्दी या अपनी अपनी भाषामें
| |
− | | |
− | अनुदित किया जा सकता है ।
| |
− | | |
− | ३८ यज्ञ
| |
− | | |
− | भारत की संस्कृति यज्ञसंस्कृति है । सृष्टि और समष्टि
| |
− | | |
− | के लिये आवश्यक त्याग करना और उन्हें सन्तुष्ट करना ही
| |
− | | |
− | यज्ञ है। ना समझ लोग इसे कुछ उपयोगी पदार्थों को
| |
− | | |
− | जलाना कहते हैं। यज्ञ के सांस्कृतिक और भौतिक
| |
− | | |
− | वैज्ञानिक खुलासे तो अनेक हैं परन्तु उन्हें ये खुलासे
| |
− | | |
− | जानने का धैर्य नहीं होता और मानने का साहस नहीं
| |
− | | |
− | होता । परन्तु जानकार और समझदार लोगों ने विचार कर
| |
− | | |
− | लोगों को समझाना चाहिये । विशेषकर विद्यालयों में तो
| |
− | | |
− | इसका प्रारम्भ हो ही सकता है ।
| |
− | | |
− | ४. मध्यावकाश का भोजन अथवा अल्पाहार | |
− | | |
− | लगभग सभी विद्यालयों में यह होता ही है। इसे | |
− | | |
− | संस्कृति और सभ्यता की गतिविधि बनाना चाहिये । | |
− | | |
− | भोजन कहीं भी बैठकर कैसे भी करने की बात नहीं है । | |
− | | |
− | उसे व्यवस्थित ढंग से करना चाहिये । | |
| | | |
| इन बातों पर विचार किया जा सकता है | | इन बातों पर विचार किया जा सकता है |
| + | * भोजन करने का स्थान पवित्र और साफ हो । |
| + | * जूते पहनकर भोजन न किया जाय । |
| + | * विद्यालय में भोजन करने का स्थान निश्चित किया जाय । यह बड़े हॉल जैसा कक्ष भी हो सकता है जहाँ सब एक साथ बैठें या अपने अपने कक्षाकक्ष के बाहर का बरामदा हो जहाँ छोटे समूहों में बैठा जाय या मैदानमें वृक्ष के नीचे भी हो जहाँ फिर छोटे समूहों में बैठा जाय । मैदान में या वृक्ष के नीचे गोबर से लीपी भूमि स्वास्थ्य और स्वच्छता की दृष्टि से बहुत लाभदायी होती है । |
| | | |
− | ०. भोजन करने का स्थान पवित्र और साफ हो ।
| + | * भोजन से पूर्व हाथ पैर धोने का रिवाज बनाया जाय | |
− | | + | * भोजन सीधे डिब्बे से नहीं अपितु छोटी थाली में किया जाय । भोजन के पात्र विद्यालय में ही रखे जा सकते हैं । |
− | ०... जूते पहनकर भोजन न किया जाय ।
| + | * गोबर से लीपी भूमि पर सीधा बिना आसन के बैठा जा सकता है परन्तु अन्यत्र बिना आसन के नहीं बैठने का आग्रह होना चाहिये । |
− | | + | * भोजनमन्त्र बोलकर ही भोजन किया जाय । |
− | ०... विद्यालय में भोजन करने का स्थान निश्चित किया
| + | * गोग्रास निकालकर ही भोजन किया जाय । |
− | | + | * आसपास के लोगों के साथ बाँटकर भोजन किया जाय | |
− | जाय । यह बड़े हॉल जैसा कक्ष भी हो सकता है
| + | * थाली में जूठन नहीं छोड़ना अनिवार्य बनाया जाय । भोजन के बाद हाथ धोना, कुछ्ला करना, भोजन के स्थान की सफाई करना, भोजन के पात्र साफ करना और पोछकर व्यवस्थित रखना सिखाया जाय । अधिक चर्चा इसी ग्रन्थ में अन्यत्र की गई है । |
− | | |
− | जहाँ सब एक साथ बैठें या अपने अपने कक्षाकक्ष
| |
− | | |
− | के बाहर का बरामदा हो जहाँ छोटे समूहों में बैठा
| |
− | | |
− | �
| |
− | | |
− | ............. page-175 .............
| |
− | | |
− | पर्व ३ : विद्यालय की शैक्षिक व्यवस्थाएँ
| |
− | | |
− | जाय या मैदानमें वृक्ष के नीचे भी हो जहाँ फिर छोटे
| |
− | | |
− | समूहों में बैठा जाय । मैदान में या वृक्ष के नीचे
| |
− | | |
− | गोबर से लीपी भूमि स्वास्थ्य और स्वच्छता की
| |
− | | |
− | दृष्टि से बहुत लाभदायी होती है ।
| |
− | | |
− | भोजन से पूर्व हाथ पैर धोने का रिवाज बनाया | |
− | | |
− | जाय | | |
− | | |
− | भोजन सीधे डिब्बे से नहीं अपितु छोटी थाली में | |
− | | |
− | किया जाय । भोजन के पात्र विद्यालय में ही रखे | |
− | | |
− | जा सकते हैं । | |
− | | |
− | गोबर से लीपी भूमि पर सीधा बिना आसन के बैठा | |
− | | |
− | जा सकता है परन्तु अन्यत्र बिना आसन के नहीं | |
− | | |
− | बैठने का आग्रह होना चाहिये । | |
− | | |
− | भोजनमन्त्र बोलकर ही भोजन किया जाय । | |
− | | |
− | गोग्रास निकालकर ही भोजन किया जाय । | |
− | | |
− | आसपास के लोगों के साथ बाँटकर भोजन किया | |
− | | |
− | जाय | | |
− | | |
− | थाली में जूठन नहीं छोड़ना अनिवार्य बनाया जाय । | |
− | | |
− | भोजन के बाद हाथ धोना, कुछ्ला करना, भोजन के | |
− | | |
− | स्थान की सफाई करना, भोजन के पात्र साफ करना | |
− | | |
− | ah ver व्यवस्थित रखना सिखाया जाय ।
| |
− | | |
− | अधिक चर्चा इसी ग्रन्थ में अन्यत्र की गई है । | |
− | | |
− | ५. राष्ट्रगीत और राष्ट्रगान का गायन
| |
− | | |
− | “जन गण मन हमारा राष्ट्रगीत है और “वन्दे मातरम्'
| |
− | | |
− | राष्ट्रगान । प्रतिदिन दोनों का गायन होना चाहिये । “वन्दे
| |
− | | |
− | मातरमू पूर्ण गाना चाहिये । प्रार्थथा की तरह ही शुद्ध
| |
− | | |
− | स्वर, शुद्ध उच्चारण, ताल और गाने की, खड़े रहने की
| |
− | | |
− | सही पद्धति का आग्रह अपेक्षित है । पूर्ण कण्ठस्थ होना
| |
− | | |
− | भी अपेक्षित ही है ।
| |
− | | |
− | ६. सर्वेभवन्तु सुखिन:
| |
− | | |
− | जिस प्रकार अध्ययन प्रार्भ करने से पूर्व संकल्प
| |
− | | |
− | करते हैं उसी प्रकार आज का अध्ययन पूर्ण होने के बाद
| |
− | | |
− | सब के मंगल की कामना करनी चाहिये । अतः सर्वे
| |
− | | |
− | wag Ghat: से विद्यालय पूर्ण होना अच्छा है ।
| |
− | | |
− | 848
| |
− | | |
− | इतनी बातें तो लगभग सर्वत्र
| |
− | | |
− | होती हैं, जो नहीं होतीं वे भी हो सकती हैं । परन्तु और
| |
− | | |
− | एक दो व्यवस्थाओं की बातें इनमें जोड़ी जा सकती हैं ।
| |
− | | |
− | १, घर जाने से पूर्व अपने अपने कक्ष की पूर्ण
| |
− | | |
− | स्वच्छता और व्यवस्था करके जाना । इसमें झाड़ू
| |
− | | |
− | पोंछा, कक्षा के श्यामफलक का लेखन, सारी साधन
| |
− | | |
− | सामग्री की व्यवस्था आदि बातें हो सकती हैं ।
| |
− | | |
− | २... प्रार्थना कक्ष, बरामदे, आँगन, मैदान, कार्यालय के
| |
− | | |
− | कमरे आदि की स्वच्छता करके जाना ।
| |
− | | |
− | 3. सूचना फलक, सुशोभन के स्थान, फलक लेखन,
| |
− | | |
− | विशेष बातें, सुविचार आदि काम करना ।
| |
− | | |
− | ६... बगीचे की सेवा करना ।
| |
− | | |
− | विद्यालय अपनी सुविधा और आवश्यकता के
| |
− | | |
− | अनुसार इस सूची को घटा बढ़ा सकता है ।
| |
− | | |
− | इन सभी बातों का उद्देश है
| |
− | | |
− | विद्यालयीन शिक्षा को जीवमान बनाना । विद्यालय
| |
− | | |
− | कहने से महाविद्यालय और विश्वविद्यालय को भी
| |
− | | |
− | गिनना है ।
| |
− | | |
− | विद्यालय के साथ पारिवारिक भाव और जिम्मेदारी
| |
− | | |
− | का भाव जगाना । यह हमारा विद्यालय है और हमे
| |
− | | |
− | ं
| |
− | | |
− | उसे स्वच्छ और व्यवस्थित रखना है ऐसा सबको
| |
− | | |
− | लगना चाहिये ।
| |
− | | |
− | इन सभी गतिविधियों में विद्यार्थी, शिक्षक और
| |
− | | |
− | कार्यालयीन लोग भी जुड़ें तभी पूर्ण विद्यालय
| |
− | | |
− | परिवार बनता है ।
| |
− | | |
− | अपनी संस्कृति के साथ जुड़ना भी इन गतिविधियों
| |
− | | |
− | का उद्देश्य है । हर गतिविधि को कर्मकाण्ड बनने से
| |
− | | |
− | रोककर ज्ञाननिष्ठ और भावनात्मक बनाना चाहिये ।
| |
− | | |
− | कक्षाकक्ष के विज्ञान, गणित, अंग्रेजी जैसे विषयों से
| |
− | | |
− | भी इनका महत्त्व अधिक है ।
| |
− | | |
− | इन गतिविधियों को मूल्यांकन, स्पर्धा या अंकों के
| |
− | | |
− | साथ जोड़ने की गलती नहीं करनी चाहिये । ऐसा
| |
− | | |
− | किया तो इनसे अधिक अंकों की चिन्ता होने लगेगी
| |
− | | |
− | और हर बात कृत्रिम हो जायेगी ।
| |
− | | |
− | श्,
| |
− | | |
− | �
| |
− | | |
− | ............. page-176 .............
| |
− | | |
− | विद्यालय में पुस्तकालय क्यों होना चाहिये ?
| |
− | | |
− | विद्यालय के पुस्तकालय में पुस्तकों की संख्या
| |
− | | |
− | कितनी होनी चाहिये ?
| |
− | | |
− | ये पुस्तके कैसी हों ? कितने प्रकार की हों ?
| |
− | | |
− | पुस्तकालय के साथ वाचनालय भी क्यों होना
| |
− | | |
− | चाहिये ?
| |
− | | |
− | पुस्तकालय एवं वाचनालय का उपयोग छात्र एवं
| |
− | | |
− | आचार्य कर सर्के इसलिये क्या क्या व्यवस्थायें
| |
− | | |
− | करनी चाहिये ?
| |
− | | |
− | पुस्तकालय एवं वाचनालय का उपयोग करने के
| |
− | | |
− | लिये छात्रों को कैसे प्रेरित कर सकते हैं ?
| |
− | | |
− | एक एक कक्षा का कशक्षापुस्तकालय कैसे
| |
− | | |
− | बनायें ?
| |
− | | |
− | पुस्तकालय में पुस्तकों के साथ साथ और क्या
| |
− | | |
− | क्या हो सकता है ?
| |
− | | |
− | पुस्तकालय एवं वाचनालय को केन्द्र में रखकर
| |
− | | |
− | किस प्रकार के कार्यक्रम अथवा गतिविधियों की
| |
− | | |
− | रचना हो सकती है ?
| |
− | | |
− | पुस्तकालय का उपयोग अभिभावक भी कर सर्के
| |
− | | |
− | ऐसी व्यवस्था किस प्रकार से कर सकते हैं ?
| |
− | | |
− | १०,
| |
− | | |
− | ग्रत्यक्ष वार्तालाप से प्राप्त उत्तर
| |
− | | |
− | इस संबंध में जो प्रश्नावली दो तीन लोगों को भरवाने
| |
− | | |
− | के लिए भेजी गयी वे नियोजित समय से प्राप्त नहीं हुई ।
| |
− | | |
− | अतः अनेक लोगों से प्रत्यक्ष बातचीत करके उनके उत्तर
| |
− | | |
− | और अनुभव यहा सम्मिलित किये है ।
| |
− | | |
− | अध्ययन अध्यापन के लिए अत्यंत उपयुक्त एवं पूरक
| |
− | | |
− | भूमिका पुस्तकालय की होती है । ग्रंथ एवं पुस्तके ज्ञाननिधी
| |
− | | |
− | है। जहा ज्ञान की साधना होती है वहाँ पुस्तकालय
| |
− | | |
− | अनिवार्य है । विद्यालय का स्तर प्राथमिक, माध्यमिक
| |
− | | |
− | अथवा उच्चशिक्षा भले ही हो स्तर के अनुसार पुस्तकालयों
| |
− | | |
− | में पुस्तकों की संख्या रहे । विद्यार्थी संख्या तथा पुस्तकों की
| |
− | | |
− | संख्या इनका अनुपात कम से कम १:१० होना चाहिए ।
| |
− | | |
− | विद्यालय में पुस्तकालय
| |
− | | |
− | १६०
| |
− | | |
− | भारतीय शिक्षा के व्यावहारिक आयाम
| |
− | | |
− | महाविद्यालयों में पुस्तकालय समृद्ध होना चाहिए कारण वहाँ
| |
− | | |
− | अध्यापन की अपेक्षा भारतीय भाषाओं में अध्यात्म, दर्शन,
| |
− | | |
− | धर्म-संस्कृति, राष्ट्र, विभिन्न विचारधारायें, इतिहास, भूगोल,
| |
− | | |
− | विज्ञान आदि की पुस्तकें, कोष, एटलस, बालसाहित्य,
| |
− | | |
− | दृश्य-श्राव्य सामग्री आदि सभी प्रकार की पुस्तकें आवश्यक
| |
− | | |
− | होंगी । पुस्तकालय में बैठकर पढ़ सके इस प्रकार की
| |
− | | |
− | पुस्तकालय की व्यवस्था होनी चाहिये । छात्र शिक्षक सभी
| |
− | | |
− | आराम से पढ़ सके ऐसी स्वना व स्थान हो तो अच्छा ।
| |
− | | |
− | दैनिक वृत्तपत्र पाक्षिक मासिक शैक्षिक पत्रिका्ें पर्याप्त मात्रा
| |
− | | |
− | मे उपलब्ध हो । पुस्तकालयों में वेद उपनिषद आदि
| |
− | | |
− | साहित्य अवश्य हो । पाठ्यक्रम का हिस्सा नहीं है अपितु
| |
− | | |
− | हमारी संस्कृति का दर्शन है । इनका दर्शन छात्र इस आयु में
| |
− | | |
− | करेंगे तो आगे जाकर इनका अध्ययन भी होगा । विषय के
| |
− | | |
− | शिक्षक छात्रों को अपने विषय की संदर्भ पुस्तकों के नाम
| |
− | | |
− | बताए और उन्हें पढने के लिए प्रेरित करे । एक विद्यालय
| |
− | | |
− | के ग्रंथपाल स्वयं सभी विषयों का अध्ययन करते थे और
| |
− | | |
− | वर्गशः उपयुक्त संदर्भ साहित्य से छात्रों को परिचित करवाते
| |
− | | |
− | थे । वाचनालय में खरिदी हुई नवीन पुस्तकों के परिचय
| |
− | | |
− | सूचना फलक पर लिखते और छात्रों को वाचन हेतु प्रेरित
| |
− | | |
− | व आकर्षित करते थे ।
| |
− | | |
− | पुस्तकों को कब्हर चढाना, पुस्तकालय की स्वच्छता
| |
− | | |
− | एवं पुर्नरचना करना, पुस्तकों की मरम्मत करना आदि कार्यों
| |
− | | |
− | में बड़े छात्रों का सहयोग लेने से उनकी वाचन की ओर
| |
− | | |
− | उत्कंठा जाग्रत होती है । ज्ञान प्राप्ति की भूख निर्माण होती
| |
− | | |
− | है । कक्षाकक्ष का स्वतंत्र पुस्तकालय हो ऐसी भी व्यवस्था
| |
− | | |
− | कर सकते हैं । इसलिए चरित्र, कहानी, काव्य आदि प्रकार
| |
− | | |
− | की पुस्तकें घर घर से भेंट रूप में छात्र प्राप्त कर और अपनी
| |
− | | |
− | कक्षा का वर्ग पुस्तकालय तैयार करे । अपने जन्मदिन पर
| |
− | | |
− | कुछ पुस्तकें भेंट दें । बड़े बड़े शहरों में बड़े बड़े पुस्तकालय
| |
− | | |
− | होते हैं । वहाँ वाचक वर्ग अत्यधिक कम है । उनसे
| |
− | | |
− | सहयोग लेकर हम वर्गपुस्तकालय के लिए छात्रों के लायक
| |
− | | |
− | पुस्तकें लाना और वर्ष के बाद पुनः लौटाना ऐसा करने से
| |
− | | |
− | विद्यालय का वर्ग पुस्तकालय नित्यनूतन रहेगा । एक
| |
− | | |
− | �
| |
− | | |
− | ............. page-177 .............
| |
− | | |
− | पर्व ३ : विद्यालय की शैक्षिक व्यवस्थाएँ
| |
− | | |
− | विद्यालय ने यह प्रयोग बहुत सफलता पूर्वक किया |
| |
− | | |
− | पुस्तकों के साथ साथ सी.डी., इ लर्निंग सेवा भी हो सकती
| |
− | | |
− | है। गाँव के वाचनालयों का स्थान पुनर्जीवित करने हेतु
| |
− | | |
− | ग्रंथयात्रा, ग्रंथप्रदर्शनी, लेखकों से प्रत्यक्ष वार्तालाप जैसे
| |
− | | |
− | प्रकट कार्यक्रमों का आयोजन करें ।
| |
− | | |
− | ज्ञान प्रबोधिनी निगडी के विद्यालय में छात्रों के लिए
| |
− | | |
− | समृद्ध एवं चैतन्यमय वाचनालय है । छात्रों के लिए वह
| |
− | | |
− | निःशुल्क है और नगरवासियों के लिए सायंकाल के समय
| |
− | | |
− | Beh ASIC चलता है । यह एक यशस्वी प्रयोग है ।
| |
| | | |
− | विमर्श
| + | ===== ५. राष्ट्रगीत और राष्ट्रगान का गायन ===== |
| + | “जन गण मन हमारा राष्ट्रगीत है और “वन्दे मातरम्' राष्ट्रगान । प्रतिदिन दोनों का गायन होना चाहिये । “वन्दे मातरमू पूर्ण गाना चाहिये । प्रार्थथा की तरह ही शुद्ध स्वर, शुद्ध उच्चारण, ताल और गाने की, खड़े रहने की सही पद्धति का आग्रह अपेक्षित है । पूर्ण कण्ठस्थ होना भी अपेक्षित ही है । |
| | | |
− | पुस्तकालय का नाम पढ़ते ही गौरवमयी ज्ञानसृष्टि
| + | ===== ६. सर्वेभवन्तु सुखिन: ===== |
| + | जिस प्रकार अध्ययन प्रार्भ करने से पूर्व संकल्प करते हैं उसी प्रकार आज का अध्ययन पूर्ण होने के बाद सब के मंगल की कामना करनी चाहिये । अतः सर्वे भवन्तु सुखिनः से विद्यालय पूर्ण होना अच्छा है । |
| | | |
− | कल्पना चक्षु के समक्ष अवतरित हो जाती है । जब से
| + | इतनी बातें तो लगभग सर्वत्र होती हैं, जो नहीं होतीं वे भी हो सकती हैं । परन्तु और एक दो व्यवस्थाओं की बातें इनमें जोड़ी जा सकती हैं । |
| + | # घर जाने से पूर्व अपने अपने कक्ष की पूर्ण स्वच्छता और व्यवस्था करके जाना । इसमें झाड़ू पोंछा, कक्षा के श्यामफलक का लेखन, सारी साधन सामग्री की व्यवस्था आदि बातें हो सकती हैं । |
| + | # प्रार्थना कक्ष, बरामदे, आँगन, मैदान, कार्यालय के कमरे आदि की स्वच्छता करके जाना । |
| + | # सूचना फलक, सुशोभन के स्थान, फलक लेखन, विशेष बातें, सुविचार आदि काम करना । |
| + | # बगीचे की सेवा करना । |
| + | विद्यालय अपनी सुविधा और आवश्यकता के अनुसार इस सूची को घटा बढ़ा सकता है । |
| | | |
− | भगवान गणेशने लिपि का आविष्कार किया, ज्ञान लिखित
| + | इन सभी बातों का उद्देश है... |
| + | # विद्यालयीन शिक्षा को जीवमान बनाना । विद्यालय कहने से महाविद्यालय और विश्वविद्यालय को भी गिनना है । |
| + | # विद्यालय के साथ पारिवारिक भाव और जिम्मेदारी का भाव जगाना । यह हमारा विद्यालय है और हमे और हमें उसे स्वच्छ और व्यवस्थित रखना है ऐसा सबको लगना चाहिये । |
| + | # इन सभी गतिविधियों में विद्यार्थी, शिक्षक और कार्यालयीन लोग भी जुड़ें तभी पूर्ण विद्यालय परिवार बनता है । |
| + | # अपनी संस्कृति के साथ जुड़ना भी इन गतिविधियों का उद्देश्य है । हर गतिविधि को कर्मकाण्ड बनने से रोककर ज्ञाननिष्ठ और भावनात्मक बनाना चाहिये । कक्षाकक्ष के विज्ञान, गणित, अंग्रेजी जैसे विषयों से भी इनका महत्त्व अधिक है । |
| + | # इन गतिविधियों को मूल्यांकन, स्पर्धा या अंकों के साथ जोड़ने की गलती नहीं करनी चाहिये । ऐसा किया तो इनसे अधिक अंकों की चिन्ता होने लगेगी और हर बात कृत्रिम हो जायेगी । |
| | | |
− | रूप में सुरक्षित होने लगा । अब तक श्रुति और श्रुतज्ञान की
| + | ==== विद्यालय में पुस्तकालय ==== |
| + | # विद्यालय में पुस्तकालय क्यों होना चाहिये ? |
| + | # विद्यालय के पुस्तकालय में पुस्तकों की संख्या कितनी होनी चाहिये ? |
| + | # ये पुस्तके कैसी हों ? कितने प्रकार की हों ? |
| + | # पुस्तकालय के साथ वाचनालय भी क्यों होना चाहिये ? |
| + | # पुस्तकालय एवं वाचनालय का उपयोग छात्र एवं आचार्य कर सर्के इसलिये क्या क्या व्यवस्थायें करनी चाहिये ? |
| + | # पुस्तकालय एवं वाचनालय का उपयोग करने के लिये छात्रों को कैसे प्रेरित कर सकते हैं ? |
| + | # एक एक कक्षा का कशक्षापुस्तकालय कैसे बनायें ? |
| + | # पुस्तकालय में पुस्तकों के साथ साथ और क्या क्या हो सकता है ? |
| + | # पुस्तकालय एवं वाचनालय को केन्द्र में रखक किस प्रकार के कार्यक्रम अथवा गतिविधियों की रचना हो सकती है ? |
| + | # पुस्तकालय का उपयोग अभिभावक भी कर सर्के ऐसी व्यवस्था किस प्रकार से कर सकते हैं ? |
| | | |
− | महिमा थी अब पुस्तकों की महिमा होने लगी । पुस्तक धीरे
| + | ===== प्रत्यक्ष वार्तालाप से प्राप्त उत्तर ===== |
| + | इस संबंध में जो प्रश्नावली दो तीन लोगों को भरवाने के लिए भेजी गयी वे नियोजित समय से प्राप्त नहीं हुई । अतः अनेक लोगों से प्रत्यक्ष बातचीत करके उनके उत्तर और अनुभव यहा सम्मिलित किये है । |
| | | |
− | धीरे ज्ञान का प्रतीक बन गया । पुस्तक ज्ञान के समान
| + | अध्ययन अध्यापन के लिए अत्यंत उपयुक्त एवं पूरक भूमिका पुस्तकालय की होती है । ग्रंथ एवं पुस्तके ज्ञाननिधी है। जहा ज्ञान की साधना होती है वहाँ पुस्तकालय अनिवार्य है । विद्यालय का स्तर प्राथमिक, माध्यमिक अथवा उच्चशिक्षा भले ही हो स्तर के अनुसार पुस्तकालयों में पुस्तकों की संख्या रहे । विद्यार्थी संख्या तथा पुस्तकों की संख्या इनका अनुपात कम से कम १:१० होना चाहिए । |
| | | |
− | पवित्र माना जाने लगा और उसका सम्मान होने लगा ।
| + | महाविद्यालयों में पुस्तकालय समृद्ध होना चाहिए कारण वहाँ अध्यापन की अपेक्षा भारतीय भाषाओं में अध्यात्म, दर्शन, धर्म-संस्कृति, राष्ट्र, विभिन्न विचारधारायें, इतिहास, भूगोल, विज्ञान आदि की पुस्तकें, कोष, एटलस, बालसाहित्य, दृश्य-श्राव्य सामग्री आदि सभी प्रकार की पुस्तकें आवश्यक होंगी । पुस्तकालय में बैठकर पढ़ सके इस प्रकार की पुस्तकालय की व्यवस्था होनी चाहिये । छात्र शिक्षक सभी आराम से पढ़ सके ऐसी स्वना व स्थान हो तो अच्छा । दैनिक वृत्तपत्र पाक्षिक मासिक शैक्षिक पत्रिका्ें पर्याप्त मात्रा मे उपलब्ध हो । पुस्तकालयों में वेद उपनिषद आदि साहित्य अवश्य हो । पाठ्यक्रम का हिस्सा नहीं है अपितु हमारी संस्कृति का दर्शन है । इनका दर्शन छात्र इस आयु में करेंगे तो आगे जाकर इनका अध्ययन भी होगा । विषय के शिक्षक छात्रों को अपने विषय की संदर्भ पुस्तकों के नाम बताए और उन्हें पढने के लिए प्रेरित करे । एक विद्यालय के ग्रंथपाल स्वयं सभी विषयों का अध्ययन करते थे और वर्गशः उपयुक्त संदर्भ साहित्य से छात्रों को परिचित करवाते थे । वाचनालय में खरिदी हुई नवीन पुस्तकों के परिचय सूचना फलक पर लिखते और छात्रों को वाचन हेतु प्रेरित व आकर्षित करते थे । |
| | | |
− | आज भी पुस्तक को ज्ञानसम्पदा के रूप में ही सम्माननित
| + | पुस्तकों को कब्हर चढाना, पुस्तकालय की स्वच्छता एवं पुर्नरचना करना, पुस्तकों की मरम्मत करना आदि कार्यों में बड़े छात्रों का सहयोग लेने से उनकी वाचन की ओर उत्कंठा जाग्रत होती है । ज्ञान प्राप्ति की भूख निर्माण होती है । कक्षाकक्ष का स्वतंत्र पुस्तकालय हो ऐसी भी व्यवस्था कर सकते हैं । इसलिए चरित्र, कहानी, काव्य आदि प्रकार की पुस्तकें घर घर से भेंट रूप में छात्र प्राप्त कर और अपनी कक्षा का वर्ग पुस्तकालय तैयार करे । अपने जन्मदिन पर कुछ पुस्तकें भेंट दें । बड़े बड़े शहरों में बड़े बड़े पुस्तकालय होते हैं । वहाँ वाचक वर्ग अत्यधिक कम है । उनसे सहयोग लेकर हम वर्गपुस्तकालय के लिए छात्रों के लायक पुस्तकें लाना और वर्ष के बाद पुनः लौटाना ऐसा करने से विद्यालय का वर्ग पुस्तकालय नित्यनूतन रहेगा । एक विद्यालय ने यह प्रयोग बहुत सफलता पूर्वक किया | पुस्तकों के साथ साथ सी.डी., इ लर्निंग सेवा भी हो सकती है। गाँव के वाचनालयों का स्थान पुनर्जीवित करने हेतु ग्रंथयात्रा, ग्रंथप्रदर्शनी, लेखकों से प्रत्यक्ष वार्तालाप जैसे प्रकट कार्यक्रमों का आयोजन करें । |
| | | |
− | किया जाता है ।
| + | ज्ञान प्रबोधिनी निगडी के विद्यालय में छात्रों के लिए समृद्ध एवं चैतन्यमय वाचनालय है । छात्रों के लिए वह निःशुल्क है और नगरवासियों के लिए सायंकाल के समय सशुल्क वाचनालय चलता है । यह एक यशस्वी प्रयोग है । |
| | | |
− | पुस्तकालय की पवित्रता बनाये रखना | + | ===== विमर्श ===== |
| + | पुस्तकालय का नाम पढ़ते ही गौरवमयी ज्ञानसृष्टि कल्पना चक्षु के समक्ष अवतरित हो जाती है । जब से भगवान गणेशने लिपि का आविष्कार किया, ज्ञान लिखित रूप में सुरक्षित होने लगा । अब तक श्रुति और श्रुतज्ञान की महिमा थी अब पुस्तकों की महिमा होने लगी । पुस्तक धीरे धीरे ज्ञान का प्रतीक बन गया । पुस्तक ज्ञान के समान पवित्र माना जाने लगा और उसका सम्मान होने लगा । आज भी पुस्तक को ज्ञानसम्पदा के रूप में ही सम्माननित किया जाता है । |
| | | |
| + | ===== पुस्तकालय की पवित्रता बनाये रखना ===== |
| विद्यालय का पुस्तकालय इसी कारण से एक पवित्र | | विद्यालय का पुस्तकालय इसी कारण से एक पवित्र |
| | | |