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===== पढ़ने की रुचि निर्माण करना =====
 
===== पढ़ने की रुचि निर्माण करना =====
विद्यार्थियों में पुस्तक पढ़ने की रुचि निर्माण हो इस
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विद्यार्थियों में पुस्तक पढ़ने की रुचि निर्माण हो इस दृष्टि से कुछ इस प्रकार विशेष प्रयास करने चाहिये ।
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* कक्षा में पुस्तकों का पर्विय करवा कर उन्हें पढ़ने हेतु प्रेरित करना । पढ़ी जाने वाली पुस्तकों के सम्बन्ध में चर्चा करना ।
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* पुस्तकों की प्रदर्शनी आयोजित करना । सबको उसे देखने का अवसर देना ।
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* नगर में लगने वाले पुस्तक मेलों में जाने के लिये विद्यार्थियों को प्रेरित करना । पुस्तकों की खरीदी को प्रोत्साहित करना ।
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* समय समय पर वाचन शिबिरों का आयोजन करना और समूहवाचन का भी प्रयोग करना ।
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* छोटे छोटे गटों में एक पढ़े और शेष सुनें ऐसी योजना करना । बारी बारी से सब पढ़ें ।
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* घर में दादाजी या दादीमाँ को पढकर सुनाने का गृहकार्य देना । आदत विकसित होने के बाद गृहकार्य देने की आवश्यकता न रहे यह लक्ष्य रखना ।
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आसपास लोग पढ़त हाग ता विद्यार्थियों को पढ़ने की प्रेरणा अपने आप मिलेगी।
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दृष्टि से कुछ इस प्रकार विशेष प्रयास करने चाहिये
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विद्यार्थियों को पढ़ने हेतु समय मिले इस दृष्टि से अन्य गृहकार्य या क्रियाकलाप कम करना
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०". कक्षा में पुस्तकों का पर्विय करवा कर उन्हें पढ़ने
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तीसरा मुद्दा है पुस्तकों का चयन और व्यवस्था इस दृष्टि से इस प्रकार विचार करना चाहिये...
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* विद्यालय का एक केन्द्रीय पुस्तकालय होना चाहिये उसी प्रकार प्रत्येक कक्षा का भी पुस्तकालय होना चाहिये । कक्षा में छात्रों की संख्या जितनी पुस्तकें तो उसमें होनी ही चाहिये । जिससे वाचन के कालांश में सबको पढ़ने के लिये स्वतन्त्र पुस्तक मिल सके।
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* कक्षा पुस्तकालय की सभी पुस्तकें सभी विद्यार्थियों ने पढ़ी हुई हों ऐसी अपेक्षा करनी चाहिये ।
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* कक्षा में पढ़ाई हेतु जो विषय और पाठ्यक्रम होता है उससे सम्बन्धित पुस्तकें कक्षा पुस्तकालय में होनी चाहिये ताकि उन्हें पढ़ने से विद्यार्थियों की समझ स्पष्ट हो और जानकारी बढे ।
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* कक्षाकक्ष के पुस्तकालय के समान ही प्रत्येक घरमें पुस्तकालय हो ऐसा आग्रह होना चाहिये । शिक्षित व्यक्ति के घर की शोभा पुस्तकें ही होती हैं । शिक्षित लोगों का व्यसन पुस्तक पढ़ना होता है । घर में बड़ों और छोटों सबके लिये पुस्तकें होनी चाहिये । सब साथ मिलकर पढते हों ऐसी कल्पना भी रम्य है।
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* विद्यालय के सभी पुरस्कार पुस्तक के रूप में देने का प्रचलन बढ़ाना चाहिये ।
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* विद्यालय में जब भी नई पुस्तकें आयें उनकी सम्मानपूर्वक शोभायात्रा निकाली जाय, पूजा की जाय और बाद में पुस्तकालय में स्थापित की जाय । सम्मान करने के और तरीके भी सोचे जाय ।
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* एक खाने का पदार्थ, पहनने का वस्त्र, खेलने की वस्तु न खरीदकर पुस्तक खरीदी जाय इस के लिये विद्यार्थियों को प्रेरित करना चाहिये । आजकल पुस्तकों के पर्याय के रूप में अनेक प्रकार की दृश्यश्राव्य सामग्री का प्रचलन बढा है। ये अधिक प्रभावी हैं ऐसा भी बोला जाता है। परन्तु अनुभवी और जानकार लोगों का कहना है कि स्थायी प्रभाव की दृष्टि से यह सामग्री पुस्तकों का स्थान नहीं ले सकती । पुस्तकों से अधिक प्रभावी प्रत्यक्ष वार्तालाप, प्रत्यक्ष शिक्षा या प्रत्यक्ष भाषण ही हो सकता है। अन्य सभी बातों का क्रम बाद में ही आता है। इस दृष्टि से पुस्तकों का महत्त्व स्थापित करना चाहिये।
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हेतु प्रेरित करना । पढ़ी जाने वाली पुस्तकों के
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===== पुस्तकों का जतन करना =====
 
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अन्तिम मुद्दा है पुस्तकों का जतन करने का । कुछ इस प्रकार से विचार करना चाहिये...
सम्बन्ध में चर्चा करना ।
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* अपनी पुस्तकों को सम्हालना सिखाना चाहिये
 
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* पुस्तकों में चित्रविचित्र आकृतियाँ बनाकर उन्हें खराब नहीं करना चाहिये।
पुस्तकों की प्रदर्शनी आयोजित करना । सबको उसे
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* पुस्तकों को व्यवस्थित रखना सिखाना चाहिये । वे फटे नहीं, उनका बन्धन शिथिल न हो ऐसी सावधानी रखना सिखाना चाहिये ।
 
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* पुस्तकों को आवरण चढाना सिखाना चाहिये ।  
देखने का अवसर देना ।
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* घर के पुस्तकालय को व्यवस्थित रखने का काम घर में रहनेवाले विद्यार्थियों का होना चाहिये । उन्हें यह सिखाने का काम घर के बड़े लोगों का है।
 
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* विद्यालय के पुस्तकों की स्वच्छता, सम्हाल, उन्हें आवरण चढाने का काम विद्यार्थियों की शिक्षा का एक अंग होना चाहिये।
नगर में लगने वाले पुस्तक मेलों में जाने के लिये
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* पंजिका के साथ पुस्तकों का मिलान करने का काम भी विद्यार्थियों को सिखाना चाहिये ।  
 
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* बाहर से आनेवाले अतिथियों को पुस्ताकालय दिखाना, उसकी विशेषताओं का परिचय देना विद्यार्थियों को आना चाहिये ।
विद्यार्थियों को प्रेरित करना । पुस्तकों की खरीदी को
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* ज्ञानजगत में जिस प्रकार बहुश्रुत होने की महिमा है उसी प्रकार बहुपाठी होने का भी महत्त्व है। विद्यार्थी बहुपाठी बनें ऐसी सभी शिक्षकों और अभिभावकों की आकांक्षा होनी चाहिये । इस दृष्टि से हर प्रकार से सार्थक प्रयास करने चाहिये।
 
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प्रोत्साहित करना ।
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समय समय पर वाचन शिबिरों का आयोजन करना
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और समूहवाचन का भी प्रयोग करना ।
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छोटे छोटे गटों में एक पढ़े और शेष सुनें ऐसी योजना
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करना । बारी बारी से सब पढ़ें ।
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घर में दादाजी या दादीमाँ को पढकर सुनाने का
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गृहकार्य देना । आदत विकसित होने के बाद गृहकार्य
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देने की आवश्यकता न रहे यह लक्ष्य रखना ।
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भारतीय शिक्षा के व्यावहारिक आयाम
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०... आसपास के लोग पढ़ते होंगे तो... की दृश्यश्राव्य सामग्री का प्रचलन बढा है। ये अधिक
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विद्यार्थियों को पढ़ने की प्रेरणा अपने आप मिलेगी । .... प्रभावी हैं ऐसा भी बोला जाता है । परन्तु अनुभवी और
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०... विद्यार्थियों को पढ़ने हेतु समय मिले इस दृष्टि से अन्य... जानकार लोगों का कहना है कि स्थायी प्रभाव की दृष्टि से
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गृहकार्य या क्रियाकलाप कम करना । यह सामग्री पुस्तकों का स्थान नहीं ले सकती । पुस्तकों से
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तीसरा मुद्दा है पुस्तकों का चयन और व्यवस्था इस... अधिक प्रभावी प्रत्यक्ष वार्तालाप, प्रत्यक्ष शिक्षा या प्रत्यक्ष
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दृष्टि से इस प्रकार विचार करना चाहिये... भाषण ही हो सकता है । अन्य सभी बातों का क्रम बाद में
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०... विद्यालय का एक केन्द्रीय पुस्तकालय होना चाहिये ही आता है। इस दृष्टि से पुस्तकों का महत्त्व स्थापित
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करना चाहिये ।
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उसी प्रकार प्रत्येक कक्षा का भी पुस्तकालय होना
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चाहिये । कक्षा में छात्रों की संख्या जितनी पुस्तकें at पुस्तकों का जतन करना
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उसमें होनी ही चाहिये । जिससे वाचन के कालांश में अन्तिम मुद्दा है पुस्तकों का जतन करने का । कुछ
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सबको पढ़ने के लिये स्वतन्त्र पुस्तक मिल सके |
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पुस्तकें सभी विद्यार्थियों इस प्रकार से विचार करना चाहिये...
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प्रचलन बढ़ाना चाहिये ।
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सम्मान करने के और तरीके भी सोचे जाय । ज्ञानजगत में जिस प्रकार बहुश्नुत होने की महिमा है
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° एक खाने का पदार्थ, पहनने का वख्र, खेलने की. उसी प्रकार बहुपाठी होने का भी महत्त्व है। विद्यार्थी
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वस्तु न खरीदकर पुस्तक खरीदी जाय इस के लिये... बहुपाठी बनें ऐसी सभी शिक्षकों और अभिभावकों की
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विद्यार्थियों को प्रेरित करना चाहिये । आकांक्षा होनी चाहिये । इस दृष्टि से हर प्रकार से सार्थक
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आजकल पुस्तकों के पर्याय के रूप में अनेक प्रकार... प्रयास करने चाहिये ।
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