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इसका अर्थ यह नहीं है कि भारतीय शिक्षा पद्धति में शैक्षिक साधन-सामग्री के लिए कोई स्थान ही नहीं है । स्थान है, परन्तु वह विषय सापेक्ष है । यथा संगीत सीखना है तो तानपुरा, हार्मानियम, तबला आवश्यक है । जबकि निर्स्थक साधन-सामग्री का उपयोग वर्जित है । होना तो यह चाहिए कि ईश्वर प्रदत्त साधन ज्ञानेन्द्रियों एवं कर्मेन्ट्रियों का विकास करें, उन्हें सक्षम बनायें और उपकरणों का उपयोग कम से कम करें । यही श्रेष्ठ भारतीय विचार है । महँगे साधनों का उपयोग करके ही हमने शिक्षा को महँगी बना दी है । विद्यालय शुरु होने से पहले ही कॉपी-किताब, बस्ता, गणवेश आदि साधन-सामग्री का व्यवसाय शुरु हो जाता है और लाखों रूपयों का व्यवहार होता है । कुछ भी हो यह अनुभव सिद्ध है कि साधन-सामग्री कभी भी शिक्षक का विकल्प नहीं बन सकती ।
 
इसका अर्थ यह नहीं है कि भारतीय शिक्षा पद्धति में शैक्षिक साधन-सामग्री के लिए कोई स्थान ही नहीं है । स्थान है, परन्तु वह विषय सापेक्ष है । यथा संगीत सीखना है तो तानपुरा, हार्मानियम, तबला आवश्यक है । जबकि निर्स्थक साधन-सामग्री का उपयोग वर्जित है । होना तो यह चाहिए कि ईश्वर प्रदत्त साधन ज्ञानेन्द्रियों एवं कर्मेन्ट्रियों का विकास करें, उन्हें सक्षम बनायें और उपकरणों का उपयोग कम से कम करें । यही श्रेष्ठ भारतीय विचार है । महँगे साधनों का उपयोग करके ही हमने शिक्षा को महँगी बना दी है । विद्यालय शुरु होने से पहले ही कॉपी-किताब, बस्ता, गणवेश आदि साधन-सामग्री का व्यवसाय शुरु हो जाता है और लाखों रूपयों का व्यवहार होता है । कुछ भी हो यह अनुभव सिद्ध है कि साधन-सामग्री कभी भी शिक्षक का विकल्प नहीं बन सकती ।
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शिक्षक द्वारा प्रयुक्त साधन-सामग्री : प्राप्त उत्तर
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==== शिक्षक द्वारा प्रयुक्त साधन-सामग्री : प्राप्त उत्तर ====
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विषय वस्तु का अध्यापन सरल एवं सुस्पष्ट हो, इसलिए साधन-सामग्री का प्रयोग किया जाता है । इसमें प्रयोगशाला के उपकरण, भूगोल के मानचित्र, ग्लोब, कृष्णफलक, डस्टर व चॉक आदि सामग्री शिक्षक के लिए उपयोगी होती है यह सबका मानना है । आजकल सरकार विद्यालयों में विज्ञान पेटी, गणित पेटी आदि निःशुल्क देते है । परन्तु इनका यथायोग्य उपयोग नहीं होता । तालाबन्द पड़ी रहती है और खराब हो जाती है । ऐसे अनेक लोगों के अनुभव हैं । छात्रों की सहायता से चार्ट्स-मॉडल्स आदि बनवाये जाते हैं। परिसर में प्राप्त प्राकृतिक वस्तुएँ भी एक कल्पक शिक्षक उपयोग में ले लेता है ।
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विषय वस्तु का अध्यापन सरल एवं सुस्पष्ट हो,
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आजकल ऐसा माना जाने लगा है कि जो शिक्षक जितनी अधिक साधन-सामग्री उपयोग में लाता है, वह उतना ही अच्छा अध्यापक होता है । इसलिए भी इन सामग्रियों का व्यापार बढ़ता जा रहा है । शिक्षा का बजट खर्च करने हेतु लाखों रुपयों का धन्धा हो रहा है । बहुत बार वह सामग्री अनावश्यक होती है या ऐसी बेकार होती है कि काम में ली नहीं जा सकती । इस प्रकार सरकारी धन का दुरुपयोग होता है ।
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इसलिए साधन-सामग्री का प्रयोग किया जाता है इसमें
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सारी सामग्री की देखभाल अच्छी तरह से होनी आवश्यक है । इसके लिए कपाट, नक्शा स्टैण्ड जैसी वयवस्थाएँ विद्यालय में होनी चाहिए । शिक्षक का स्वयं का स्वाध्याय गहन एवं विस्तृत होना चाहिए
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प्रयोगशाला के उपकरण, भूगोल के मानचित्र, ग्लोब,
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==== विमर्श ====
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शिशु से लेकर युवा तक के विद्यार्थी क्या क्या लेकर विद्यालय में जाते हैं इसकी सूची बनायेंगे तो आश्चर्यचकित रह जायेंगे । यह सूची भी केवल शैक्षिक सामग्री की ही बनाने की बात है । विद्यालय में शैक्षिक सामग्री के अलावा भी बहुत कुछ ले जाया जाता है, यह होना तो चाहिये अस्वाभाविक परन्तु वैसा लगता नहीं है। फिर भी हम अभी उसकी बात नहीं करेंगे ।
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विद्यार्थी जिस प्रकार का प्रयोग करते हैं, उसे तीन वर्गों में विभाजित किया जा सकता है । १. आवश्यक, २. अनावश्यक, ३. निर्रर्थक और अनर्थक ।
 
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कृष्णफलक, डस्टर व चॉक आदि
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सामग्री शिक्षक के लिए उपयोगी होती है यह सबका मानना
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है । आजकल सरकार विद्यालयों में विज्ञान पेटी, गणित
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पेटी आदि निःशुल्क देते है । परन्तु इनका यथायोग्य उपयोग
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नहीं होता । तालाबन्द पड़ी रहती है और खराब हो जाती
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है । ऐसे अनेक लोगों के अनुभव हैं । छात्रों की सहायता से
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चार्ट्स-मॉडल्स आदि बनवाये जाते हैं। परिसर में प्राप्त
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प्राकृतिक वस्तुएँ भी एक कल्पक शिक्षक उपयोग में ले
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आजकल ऐसा माना जाने लगा है कि जो शिक्षक
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जितनी अधिक साधन-सामग्री उपयोग में लाता है, वह
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उतना ही अच्छा अध्यापक होता है । इसलिए भी इन
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सामग्रियों का व्यापार बढ़ता जा रहा है । शिक्षा का बजट
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खर्च करने हेतु लाखों रुपयों का धन्धा हो रहा है । बहुत
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बार वह सामग्री अनावश्यक होती है या ऐसी बेकार होती है
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कि काम में ली नहीं जा सकती । इस प्रकार सरकारी धन
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का दुरुपयोग होता है ।
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सारी सामग्री की देखभाल अच्छी तरह से होनी
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आवश्यक है । इसके लिए कपाट, नक्शा स्टैण्ड जैसी
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वयवस्थाएँ विद्यालय में होनी चाहिए । शिक्षक का स्वयं
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का स्वाध्याय गहन एवं विस्तृत होना चाहिए ।
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विद्यालय में जाते हैं इसकी सूची बनायेंगे तो आश्चर्यचकित
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रह जायेंगे । यह सूची भी केवल शैक्षिक सामग्री की ही
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बनाने की बात है । विद्यालय में शैक्षिक सामग्री के अलावा
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भी बहुत कुछ ले जाया जाता है, यह होना तो चाहिये
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विद्यार्थी जिस प्रकार का प्रयोग करते हैं, उसे तीन
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वर्गों में विभाजित किया जा सकता है । १. आवश्यक,
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२. अनावश्यक, ३. निर्रर्थक और अनर्थक ।
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१, आवश्यक सामग्री
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===== १, आवश्यक सामग्री =====
 
१, पाठ्यपुस्तकें, सन्दर्भ पुस्तकें, लेखन सामग्री
 
१, पाठ्यपुस्तकें, सन्दर्भ पुस्तकें, लेखन सामग्री
  
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