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| विद्यालय में प्रयुक्त साधन-सामग्री छात्र एवं आचार्य दोनों के लिए ही उपयोगी होती है, अतः यह प्रश्नवावली थोडी बडी बनी है | | | विद्यालय में प्रयुक्त साधन-सामग्री छात्र एवं आचार्य दोनों के लिए ही उपयोगी होती है, अतः यह प्रश्नवावली थोडी बडी बनी है | |
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− | छात्रों के लिए साधन सामग्री : प्राप्त उत्तर | + | ==== छात्रों के लिए साधन सामग्री : प्राप्त उत्तर ==== |
| + | विद्यार्थियों की शिक्षण प्रक्रिया को अधिक सुलभ एवं सुस्पष्ट बनाने के लिए जो सामग्री उपयोग में ली जाती है उसे साधन-सामग्री कहते हैं ऐसी व्याख्या सबने की है । पैन पेंसिल, कॉपी, रजिस्टर, कम्पास, किताबें, एटलस, शब्दकोष आदि । इसी प्रकार यांत्रिक उपकरणों में संगणक, लेपटोप, टेब, केल्क्यूलेटर, ऑडियो-न्हीडियो सीडीज आदि सभी उपकरण साधन सामग्री के अन्तर्गत ही आते हैं । कौनसी आयु में कौनसी सामग्री उपयुक्त है और कौनसी हानिकारक है इसका विवेक करना आना चाहिए । उदा, दृष्टि कमजोर है तो ऐनक आवश्यक हो जाती है, लेकिन दृष्टि बिल्कुल ठीक है फिर भी केवल फेशन के लिए एनक पहना जायेगा तो निश्चित है कि यह हानि पहुँचायेगा । इसलिए स्तर के अनुसार साधनों का वर्गीकरण करना चाहिए : |
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− | विद्यार्थियों की शिक्षण प्रक्रिया को अधिक सुलभ एवं
| + | ==== अभिमत : ==== |
| + | भारतीय शिक्षा पद्धति की विस्मृति के कारण प्राथमिक विद्यालयों में स्लेट पेंसिल को छोड़कर अन्य साधन-सामग्री की आवश्यकता नहीं पड़ती यह बात हमें समझ में ही नहीं आती । इसके विपरीत विद्यालय में क्या पढ़ाया और घर पर क्या गृहकार्य किया इसकी ओर ही सारा ध्यान रहता है। इसलिए शिशुवाटिका से ही कॉपी- किताबों का बोझ बच्चों को सहना पड़ता है । वास्तव में अभिभावक और शिक्षक के परस्पर विश्वास और सहयोग से ही बालक की शिक्षा एवं विकास संभव होता है । स्लेट का उपयोग करके पर्यावरण की अपरिमित हानि हम रोक सकते हैं । 'शिक्षक' रूपी चेतनायुक्त मार्गदर्शक होते हुए भी विषयों की गाइडबुक उपयोग में लानी पड़े यह विपरीत विचार ही है । माध्यमिक विद्यालयों में ओडियो-वीडियों सीडीज़ कुछ मात्रा में उपयोगी होते हैं। परन्तु उसमें ज्ञानार्जन का प्रमाण कम और मनोरंजन का प्रमाण अधिक होता है । संगणक, केलक्युलेटर आदि उच्च शिक्षा में उपयोगी हो सकते हैं, अन्यत्र हानिकारक ही होते हैं । विवेक जाग्रत होने से पहले इन साधनों का उपयोग करने से विकास नहीं विनाश की ही अधिक सम्भावना है । |
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− | सुस्पष्ट बनाने के लिए जो सामग्री उपयोग में ली जाती है
| + | इसका अर्थ यह नहीं है कि भारतीय शिक्षा पद्धति में शैक्षिक साधन-सामग्री के लिए कोई स्थान ही नहीं है । स्थान है, परन्तु वह विषय सापेक्ष है । यथा संगीत सीखना है तो तानपुरा, हार्मानियम, तबला आवश्यक है । जबकि निर्स्थक साधन-सामग्री का उपयोग वर्जित है । होना तो यह चाहिए कि ईश्वर प्रदत्त साधन ज्ञानेन्द्रियों एवं कर्मेन्ट्रियों का विकास करें, उन्हें सक्षम बनायें और उपकरणों का उपयोग कम से कम करें । यही श्रेष्ठ भारतीय विचार है । महँगे साधनों का उपयोग करके ही हमने शिक्षा को महँगी बना दी है । विद्यालय शुरु होने से पहले ही कॉपी-किताब, बस्ता, गणवेश आदि साधन-सामग्री का व्यवसाय शुरु हो जाता है और लाखों रूपयों का व्यवहार होता है । कुछ भी हो यह अनुभव सिद्ध है कि साधन-सामग्री कभी भी शिक्षक का विकल्प नहीं बन सकती । |
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− | उसे साधन-सामग्री कहते हैं ऐसी व्याख्या सबने की है ।
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− | पैन पेंसिल, कॉपी, रजिस्टर, कम्पास, किताबें, एटलस,
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− | शब्दकोष आदि । इसी प्रकार यांत्रिक उपकरणों में संगणक,
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− | लेपटोप, टेब, केल्क्यूलेटर, ऑडियो-न्हीडियो सीडीज आदि
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− | सभी उपकरण साधन सामग्री के अन्तर्गत ही आते हैं ।
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− | कौनसी आयु में कौनसी सामग्री उपयुक्त है और कौनसी
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− | सारा ध्यान रहता है। इसलिए शिशुवाटिका से ही कॉपी-
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− | किताबों का बोझ बच्चों को सहना पड़ता है । वास्तव में
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− | ही बालक की शिक्षा एवं विकास संभव होता है । स्लेट
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− | विचार ही है । माध्यमिक विद्यालयों में ओडियो-वीडियों
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− | ade कुछ मात्रा में उपयोगी होते हैं। परन्तु उसमें
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− | विकास नहीं विनाश की ही अधिक सम्भावना है ।
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− | इसका अर्थ यह नहीं है कि भारतीय शिक्षा पद्धति में | |
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− | निर्स्थक साधन-सामग्री का उपयोग वर्जित है । होना तो यह | |
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− | चाहिए कि ईश्वर प्रदत्त साधन ज्ञानेन्द्रियों एवं कर्मेन्ट्रियों का | |
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− | विकास करें, उन्हें सक्षम बनायें और उपकरणों का उपयोग | |
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− | कम से कम करें । यही श्रेष्ठ भारतीय विचार है । महँगे | |
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− | है । विद्यालय शुरु होने से पहले ही कॉपी-किताब, बस्ता, | |
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− | गणवेश आदि साधन-सामग्री का व्यवसाय शुरु हो जाता है | |
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− | और लाखों रूपयों का व्यवहार होता है । कुछ भी हो यह | |
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