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| === अध्ययन दिन तथा अनध्ययन दिन : चन्द्रमा का प्रभाव === | | === अध्ययन दिन तथा अनध्ययन दिन : चन्द्रमा का प्रभाव === |
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− | शुक्ल अष्टमी ८४-९६" ३९७
| + | === मनुस्मृति में प्राप्त अनध्ययनकाल के संकेत === |
| + | <blockquote>निर्धघाते भूमिचलने ज्योतिषां चोपसर्जने ।</blockquote><blockquote>एतानाकलिकान्विद्यादनध्यायानृतावपि ।।</blockquote>वर्षाकाल में मेघगर्जना, भूकम्प एवं सूर्यादि ज्योतियों का उपद्रब होने पर अनध्याय रखना चाहिये ।। ४.१०५ ।।<blockquote>ग्रादुष्कृतेष्वथ्रिषु तु विद्यात्स्तनितनि:स्वने ।</blockquote><blockquote>सज्योति: स्यादनध्याय: शेषे रात्रौ यथा दिवा ॥।</blockquote>अग्रिहोत्र के अग्नि के प्रकट होने के बाद प्रातःकाल में बिजली का कौंधना और मेघों का गरजना हो तो सूर्य |
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− | शुक्ल चतुर्दशी १५६१-१६८" way
| + | के रहने तक अर्थात् दिन में और सायंकाल में हो तो ताराज्योति के रहने तक अर्थात् रात्रि में अनध्याय रखना चाहिये ।। ४.१०६ II<blockquote>नित्यानध्याय एव स्यादू ग्रामेषु नगरेषु च ।</blockquote><blockquote>धर्मनैपुण्यकामानां पूतिगन्धे च सर्वदा ॥।</blockquote>इसके अलावा जहां दुर्गनध का उपद्रव हो वहाँ भी अध्ययन नहीं करना चाहिये ।। ४.१०७ ॥।<blockquote>अन्तर्गतशवे ग्रामे वृषलस्य च सच्निधौ ।</blockquote><blockquote>अनध्यायो रुद्यमाने समवाये जनरूय च ||</blockquote>गांव में मृतदेह की उपस्थिति हो, पास में कहीं शूटर की उपस्थिति हो, जोरों से रुदन चल रहा हो और जनसम्मर्द हो तब भी अध्ययन नहीं करना चाहिये ।। ४.१०८ ॥।<blockquote>उदके मध्यरात्रे च विण्मूत्रस्य विसर्जने ।</blockquote><blockquote>उच्छिष्ट: श्राद्धभुक् चैव मनसापि न चिन्तयेत् ॥।</blockquote>पानी में, मध्यरात्रि में, मलमूत्र विसर्जन के समय, जूठे मुँह से एवं श्राद्ध का भोजन करने के बाद एक दिन रात बीतने तक मन से भी अध्ययन नहीं करना चाहिये ।। ४.१०९ ।। |
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− | पूर्णिमा १६८*-१८०" ३५७
| + | === विद्यालय में गणवेश === |
| + | 1. विद्यालय में गणवेश होना चाहिये ? क्यों ? |
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− | a. wearer १८०१-१९२१ ३३६
| + | 2. कपड़ा, रंग, पैटर्न आदि के सन्दर्भ में गणवेश कैसा होना चाहिये ? |
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− | कृ. अष्टमी २६४"-२७६" ४२०
| + | 3. सप्ताह में एक से अधिक प्रकार का गणवेश क्योंह्हहोना चाहिये ? |
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− | कृ. चतुर्दशी र३६१-३४८" ४२६
| + | 4. विद्यालय में छात्र, आचार्य, प्रधानाचार्य, कार्यालय कर्मी, सहायक, व्यवस्थापक आदि विभिन्न वर्गों के व्यक्ति होते हैं। उनमें से किन किन के लिये गणवेश आवश्यक है ? |
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− | अमावास्या र४८”-३६०” ३५६
| + | 5. गणवेश में इन बातों का समावेश हो सकता है क्या ? |
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− | शु. द्वितीया ११२१-२४" ४७९
| + | १. कपड़े २. पादत्राण ३. केशभूषा ४. शुंगार ५. आभूषण | |
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− | शु. तृतीया २४-३६" ४७७
| + | 6. गणवेश के आर्थिक पक्ष के विषय में आपके क्या विचार हैं ? |
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− | शु. चतुर्थी ३६-४८" ४७६
| + | ==== प्रश्नावली से प्राप्त उत्तर ==== |
| + | विद्यालय में गणवेश की आवश्यकता पर ऊहापोह करने वाली इस प्रश्नावली में कुल ६ प्रश्न थे । उडिसा के ३८ शिक्षकों एवं १० प्रधानाचार्यों ने ये प्रश्नावलियाँ भरकर भेजी हैं । उडिसा के विद्याभारती के कार्यकर्ता श्री मोहन पात्र के द्वारा प्राप्त हुई है । |
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− | शु. पंचमी ४८"-६०" ४७९
| + | प्रश्न १ के उत्तर में सबने कहा है कि गणवेश केवल आवश्यक ही नहीं तो अनिवार्य है। अनिवार्यता के ये कारण बताये । धनवान और गरीब छात्रों में समानता, एकात्मभाव का निर्माण तथा गणवेश विद्यालय की पहचान का एक साधन है । |
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− | शु. षष्टी ६०१९-७२" ९२
| + | २. गणवेश के पेटर्न के सम्बन्ध में सभी मौन रहे । परन्तु कपड़े व रंग के बारे में उनका मत है कि गणवेश का कपड़ा सूती व रंग सफेद व नीला होना चाहिये । |
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− | शु. सप्तमी ७२९१-८४" ८२
| + | ३. कुछ लोगों ने बताया कि सप्ताह में एक दिन शारीरिक शिक्षा के लिए गणवेश में बदलाव होना चाहिए । |
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− | कृ. नवमी २७६*-२८८* ४७२
| + | ४. लगभग सबका यह मत था कि संचालक मंडल को छोड़कर शेष सबका अर्थात् छात्र, शिक्षक, प्रधानाचार्य और सेवक का गणवेश होना चाहिए । |
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− | a. art २८८*-३००” ४७१
| + | ५. गणवश के अन्तर्गत पदवेश, आभूषण, केश विन्यास आदि के बारे में किसी ने भी अपना मत नहीं रखा । |
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− | ............. page-136 .............
| + | इन लोगों के अलावा समाज के अन्य लोगों के साथ गणवेश के सम्बन्ध में जानने का प्रयास किया, जिसमें कुछ नये सुझाव प्राप्त हुए । शिशुकक्षाओं के बच्चों को गणवेश के बन्धन में नहीं बाँधना चाहिए । उन्हें उनकी पसन्द के रंग-बिरंगे कपड़े, फ्रॉंक व निकर कमीज पहनने देना चाहिए । कुछ का मत यह भी था कि ग्रामीण क्षेत्र के विद्यालय में वहाँ का पारम्परिक वेश भी रहे तो अच्छा संस्कार होगा । |
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− | भारतीय शिक्षा के व्यावहारिक आयाम
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− | २६ कृ. एकादशी ३००१-३१२* ४६७
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− | २७ mH. द्वादशी २१२१-३२४” ४८२
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− | २८ a. त्रयोदशी २२४-३३६" ४८१
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− | २०... अध्ययन के लिए अत्यंत अनुकूल दिन g शु. नवमी RRP Roe? ५१८
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− | २१ Ro शु, दशमी १०८"-१२०१ ५३८
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− | २२ श्श शु. एकादशी श२०१-१३२* ५७३
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− | २३ श्२ शु. द्वादशी श३२१-१४४" ५७३
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− | a a3 शु. त्रयोदशी श४४"-१५६" ५७१
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− | २५ श७ कृ. द्वितीया श९२१-२०४ ५१४
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− | २६ श्८ कृ. तृतीया २०४१-२१६" KRY
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− | २७ श्९् कृ. चतुर्थी २१६१-२२८" ५६८
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− | २८ २० कृ. पंचमी २२८”-२४०” ५७६
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− | २९ २१ a. et २४०१-२५२* ५७४
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− | Ro २२ कृ. सप्तमी २५२१-२६४" ५४९
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− | मनुस्मृति में प्राप्त अनध्ययनकाल के संकेत
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− | निर्धघाते भूमिचलने ज्योतिषां चोपसर्जने ।
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− | एतानाकलिकान्विद्यादनध्यायानृतावपि ।।
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− | वर्षाकाल में मेघगर्जना, भूकम्प एवं सूर्यादि ज्योतियों का उपद्रब होने पर अनध्याय रखना चाहिये ।। ४.१०५ ।।
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− | ग्रादुष्कृतेष्वथ्रिषु तु विद्यात्स्तनितनि:स्वने ।
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− | सज्योति: स्यादनध्याय: शेषे रात्रौ यथा दिवा ॥।
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− | अग्रिहोत्र के अग्नि के प्रकट होने के बाद प्रातःकाल में बिजली का कौंधना और मेघों का गरजना हो तो सूर्य
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− | के रहने तक अर्थात् दिन में और सायंकाल में हो तो ताराज्योति के रहने तक अर्थात् रात्रि में अनध्याय रखना चाहिये ।। ४.१०६ II
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− | नित्यानध्याय एव स्यादू ग्रामेषु नगरेषु च ।
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− | धर्मनैपुण्यकामानां पूतिगन्धे च सर्वदा ॥।
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− | इसके अलावा जहां दुर्गनध का saga at वहाँ भी अध्ययन नहीं करना चाहिये ।। ४.१०७ ॥।
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− | अन्तर्गतशवे ग्रामे वृषलस्य च सच्निधौ ।
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− | अनध्यायो रुद्यमाने समवाये जनरूय च ||
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− | गांव में मृतदेह की उपस्थिति हो, पास में कहीं शूटर की उपस्थिति हो, जोरों से रुदन चल रहा हो और
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− | जनसम्मर्द हो तब भी अध्ययन नहीं करना चाहिये ।। ४.१०८ ॥।
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− | उदके मध्यरात्रे च विण्मूत्रस्य विसर्जने ।
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− | उच्छिष्ट: श्राद्धभुक् चैव मनसापि न चिन्तयेत् ॥।
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− | पानी में, मध्यरात्रि में, मलमूत्र विसर्जन के समय, जूठे मुँह से एवं श्राद्ध का भोजन करने के बाद एक दिन रात
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− | बीतने तक मन से भी अध्ययन नहीं करना चाहिये ।। ४.१०९ ।।
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− | पर्व ३ : विद्यालय की शैक्षिक व्यवस्थाएँ
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− | 9. विद्यालय में गणवेश होना चाहिये ? क्यों ?
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− | 2. कपड़ा, रंग, पैटर्न आदि के सन्दर्भ में गणवेश
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− | कैसा होना चाहिये ?
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− | 3. सप्ताह में एक से अधिक प्रकार का गणवेश
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− | क्योंह्हहोना चाहिये ?
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− | ४. विद्यालय में छात्र, आचार्य, प्रधानाचार्य,
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− | कार्यालय कर्मी, सहायक, व्यवस्थापक आदि
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− | विभिन्न वर्गों के व्यक्ति होते हैं। उनमें से किन
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− | किन के लिये गणवेश आवश्यक है ?
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− | ५... गणवेश में इन बातों का समावेश हो सकता है
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− | क्या ?
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− | १. कपड़े २. पादत्राण ३. केशभूषा ४. शुंगार ५.
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− | आभूषण |
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− | ६... गणवेश के आर्थिक पक्ष के विषय में आपके क्या
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− | विचार हैं ?
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− | प्रश्नावली से प्राप्त उत्तर
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− | विद्यालय में गणवेश की आवश्यकता पर ऊहापोह
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− | करने वाली इस प्रश्नावली में कुल ६ प्रश्न थे । उडिसा के
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− | ३८ शिक्षकों एवं १० प्रधानाचार्यों ने ये प्रश्नावलियाँ भरकर
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− | भेजी हैं । उडिसा के विद्याभारती के कार्यकर्ता श्री मोहन
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− | पात्र के द्वारा प्राप्त हुई है ।
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− | प्रश्न १ के उत्तर में सबने कहा है कि गणवेश केवल
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− | आवश्यक ही नहीं तो अनिवार्य है। अनिवार्यता के ये
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− | कारण बताये । धनवान और गरीब छात्रों में समानता,
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− | एकात्मभाव का निर्माण तथा गणवेश विद्यालय की पहचान
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− | का एक साधन है ।
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− | २. गणवेश के पेटर्न के सम्बन्ध में सभी मौन रहे ।
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− | परन्तु कपड़े व रंग के बारे में उनका मत है कि गणवेश का
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− | कपड़ा सूती व रंग सफेद व नीला होना चाहिये ।
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− | ३. कुछ लोगों ने बताया कि सप्ताह में एक दिन
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− | शारीरिक शिक्षा के लिए गणवेश में बदलाव होना चाहिए ।
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− | ४. लगभग सबका यह मत था कि संचालक मंडल
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− | विद्यालय में गणवेश
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− | श्२१
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− | को छोड़कर शेष सबका अर्थात् छात्र, शिक्षक, प्रधानाचार्य
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− | और सेवक का गणवेश होना चाहिए ।
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− | ५. गणवश के अन्तर्गत पदवेश, आभूषण, केश
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− | विन्यास आदि के बारे में किसी ने भी अपना मत नहीं
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− | रखा ।
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− | इन लोगों के अलावा समाज के अन्य लोगों के साथ | |
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− | गणवेश के सम्बन्ध में जानने का प्रयास किया, जिसमें कुछ | |
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− | नये सुझाव प्राप्त हुए । शिशुकक्षाओं के बच्चों को गणवेश | |
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− | के बन्धन में नहीं बाँधना चाहिए । उन्हें उनकी पसन्द के | |
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− | रंग-बिरंगे कपड़े, फ्रॉंक व निकर कमीज पहनने देना | |
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− | चाहिए । कुछ का मत यह भी था कि ग्रामीण क्षेत्र के | |
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− | विद्यालय में वहाँ का पारम्परिक वेश भी रहे तो अच्छा | |
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− | संस्कार होगा । | |
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− | अभिमत :
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| + | ==== अभिमत : ==== |
| हम सब एक ही परमात्मा के अंश हैं, इस लिए | | हम सब एक ही परमात्मा के अंश हैं, इस लिए |
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