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हम अध्ययन के दिन के विषय में कुछ अनुमान कर सकते हैं । अमावस्या को वैसे भी अपवित्र माना जाता है । उस समय अध्ययन जैसा पवित्र कार्य नहीं करना चाहिए, चतुर्दशी भी अमावस्या के समान अपवित्र मानी जाती है इसलिए उसे भी अनध्ययन के दिन में गिना जा सकता है । इतना ही ध्यान में आता है शेष दिनों के लिए अनुमान नहीं हो सकता है । एक बहुत सीधा-साधा अनुमान है कि १ मास के चार भाग बनाकर नियमित अंतराल में अनध्ययन की व्यवस्था करने से व्यवहारिक सुविधा रहती हैं, इसलिए अनध्ययन की व्यवस्था की होगी । अनध्ययन के दिनों में व्यवहार के अन्य अनेक उपयोगी कार्य हो सकते हैं । एक व्यवस्था बनाने से सबके लिए सुविधा रहती है ।
 
हम अध्ययन के दिन के विषय में कुछ अनुमान कर सकते हैं । अमावस्या को वैसे भी अपवित्र माना जाता है । उस समय अध्ययन जैसा पवित्र कार्य नहीं करना चाहिए, चतुर्दशी भी अमावस्या के समान अपवित्र मानी जाती है इसलिए उसे भी अनध्ययन के दिन में गिना जा सकता है । इतना ही ध्यान में आता है शेष दिनों के लिए अनुमान नहीं हो सकता है । एक बहुत सीधा-साधा अनुमान है कि १ मास के चार भाग बनाकर नियमित अंतराल में अनध्ययन की व्यवस्था करने से व्यवहारिक सुविधा रहती हैं, इसलिए अनध्ययन की व्यवस्था की होगी । अनध्ययन के दिनों में व्यवहार के अन्य अनेक उपयोगी कार्य हो सकते हैं । एक व्यवस्था बनाने से सबके लिए सुविधा रहती है ।
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==== अध्ययन दिन तथा अनध्ययन दिन : चन्द्रमा का प्रभाव ====
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=== अध्ययन दिन तथा अनध्ययन दिन : चन्द्रमा का प्रभाव ===
 
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शुक्ल अष्टमी ८४-९६" ३९७
 
शुक्ल अष्टमी ८४-९६" ३९७
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