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शैक्षिक दृष्टि से सरकारी प्राथमिक विद्यालयों में पर्याप्त व्यवस्था होती है । कई निजी विद्यालयों में शिक्षक उचित योग्यता वाले नहीं भी होते परन्तु सरकारी विद्यालयों में पर्याप्त योग्यता वाले होते ही हैं । उनके प्रशिक्षण की और निरीक्षण की पर्याप्त व्यवस्था होती है । साधनसामग्री, पुस्तकें आदि का अभाव नहीं होता । सरकारी शिक्षकों का जितना प्रशिक्षण होता है उतना तो अन्यत्र कहीं नहीं होता । वेतनमान भी निजी विद्यालयों की अपेक्षा अच्छा होता है । तो भी शिक्षा अच्छी नहीं होती इसका क्या कारण है ?
शैक्षिक दृष्टि से सरकारी प्राथमिक विद्यालयों में पर्याप्त व्यवस्था होती है । कई निजी विद्यालयों में शिक्षक उचित योग्यता वाले नहीं भी होते परन्तु सरकारी विद्यालयों में पर्याप्त योग्यता वाले होते ही हैं । उनके प्रशिक्षण की और निरीक्षण की पर्याप्त व्यवस्था होती है । साधनसामग्री, पुस्तकें आदि का अभाव नहीं होता । सरकारी शिक्षकों का जितना प्रशिक्षण होता है उतना तो अन्यत्र कहीं नहीं होता । वेतनमान भी निजी विद्यालयों की अपेक्षा अच्छा होता है । तो भी शिक्षा अच्छी नहीं होती इसका क्या कारण है ?
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यह स्थिति एक बात तो सिद्ध करती है कि नियम,
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यह स्थिति एक बात तो सिद्ध करती है कि नियम, कानून, सुविधा, सामग्री, शिक्षण, प्रशिक्षण, निरीक्षण, दण्ड का प्रावधान, वेतन की बढोतरी, परस्कार, आदि कछ होने पर भी शिक्षा अच्छी ही होगी ऐसा नियम नहीं है । अच्छी नहीं होती इसके कारण तो हमारे सामने ही है। पहला कारण यह है कि शिक्षक यदि पढाना न चाहे तो कोई उसे पढाने के लिये बाध्य नहीं कर सकता । पढाया सा लगता है परन्तु पढाया जाता नहीं है । पढने वाले की इच्छा न हो तो अच्छे से अच्छा शिक्षक भी उसे पढा नहीं सकता यह भी सत्य है, परन्तु प्राथमिक विद्यालय में विद्यार्थी की अनिच्छा का संकट नहीं होता । शिक्षक उसे पढने के लिये प्रेरित कर सकते हैं । अतः इन विद्यालयों में शिक्षा नहीं होती इसका सीधा दायित्व तो शिक्षकों का ही बनता है ।
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===== शिक्षक क्यों नहीं पढ़ाते ? =====
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सरकारी प्राथमिक विद्यालयों में शिक्षक पढाते क्यों नहीं है इसका भी ठीक से विचार करना चाहिये । यदि निदान ठीक करेंगे तो उपाय भी ठीक कर पायेंगे।
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1. आज के शैक्षिक वातावरण में प्रेरणा का तत्त्व गायब है। कोई कहे या न कहे, कोई देखे या न देखे, पुरस्कार या प्रशंसा मिले या न मिले, कोई दण्ड दे या न
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भारतीय शिक्षा के व्यावहारिक आयाम
कानून, सुविधा, सामग्री, fem, (२) पढ़ाने न पढ़ाने का मूल्यांकन करने की पद्धति अत्यन्त
कानून, सुविधा, सामग्री, fem, (२) पढ़ाने न पढ़ाने का मूल्यांकन करने की पद्धति अत्यन्त