महाविद्यालयों, विश्वविद्यालयों और शोधसंस्थानों में स्वतन्त्र छात्रालयों में रहनेवाले विद्यार्थी अनेक प्रकार के सांस्कृतिक संकटों से घिर जाते हैं, अनेक सांस्कृतिक संकट निर्माण भी करते हैं जिन्हें वे मुक्तता और सुख मानते हैं। धूम्रपान करने वाली लडकियाँ, युवकयुवतियों की मित्रता और पराकाष्ठा की उनकी निकटता, शराब जैसे व्यसन इस प्रकार के छात्रावासों में सहज होता है। इनमें गम्भीर अध्ययन कनरेवाले विद्यार्थी भी होते ही हैं परन्तु इन दूषणों से बचना अत्यन्त कठिन हो जाता है । इन युवाओं के लिये सारे उत्सव सांस्कृतिक नहीं अपितु मनोरंजन के साधन ही होते हैं । | महाविद्यालयों, विश्वविद्यालयों और शोधसंस्थानों में स्वतन्त्र छात्रालयों में रहनेवाले विद्यार्थी अनेक प्रकार के सांस्कृतिक संकटों से घिर जाते हैं, अनेक सांस्कृतिक संकट निर्माण भी करते हैं जिन्हें वे मुक्तता और सुख मानते हैं। धूम्रपान करने वाली लडकियाँ, युवकयुवतियों की मित्रता और पराकाष्ठा की उनकी निकटता, शराब जैसे व्यसन इस प्रकार के छात्रावासों में सहज होता है। इनमें गम्भीर अध्ययन कनरेवाले विद्यार्थी भी होते ही हैं परन्तु इन दूषणों से बचना अत्यन्त कठिन हो जाता है । इन युवाओं के लिये सारे उत्सव सांस्कृतिक नहीं अपितु मनोरंजन के साधन ही होते हैं । |