समाज में हिंसा, चोरी, अनाचार, भ्रष्टाचार, असत्य, धोखाधडी आदि दिखाई देता है तो मानना चाहिये कि देश के विद्यालयों में (तथा परिवार में) सद्गुण और सदाचार की शिक्षा नहीं दी जाती है, शिक्षकों की तथा संचालकों की नीयत ठीक नहीं है, मातापिता गैरजिम्मेदार हैं। विद्यालय को समाज के संस्कारों का भी रक्षक और नियामक होना चाहिये। | समाज में हिंसा, चोरी, अनाचार, भ्रष्टाचार, असत्य, धोखाधडी आदि दिखाई देता है तो मानना चाहिये कि देश के विद्यालयों में (तथा परिवार में) सद्गुण और सदाचार की शिक्षा नहीं दी जाती है, शिक्षकों की तथा संचालकों की नीयत ठीक नहीं है, मातापिता गैरजिम्मेदार हैं। विद्यालय को समाज के संस्कारों का भी रक्षक और नियामक होना चाहिये। |