− | मनुष्य का मन बहुत सक्रिय है । रागद्वेष, लोभ, मोह, मद, मत्सर आदि से उद्वेलित होकर वह अनेक प्रकार के | + | मनुष्य का मन बहुत सक्रिय है । रागद्वेष, लोभ, मोह, मद, मत्सर आदि से उद्वेलित होकर वह अनेक प्रकार के उपद्रव करता है। इसमें से अनेक प्रकार की परेशानियाँ निर्माण होती हैं । मनुष्य की बुद्धि में जिज्ञासा है । जिज्ञासा से प्रेरित होकर वह असंख्य बातें जानना चाहता है और जानने के लिये नये नये प्रयोग करता रहता है। अनेक कलाओं का आविष्कार मनुष्य की सृजन करने की इच्छा में से होता हैं। इन सबका एक बहुत बड़ा संसार बनता है। इन मनोव्यापारों और गतिविधियों के नियमन हेतु अनेक प्रकार की व्यवस्थायें बनती हैं। अर्थव्यवस्था, राज्यव्यवस्था, इनके अन्तर्गत न्यायव्यवस्था, दण्डव्यवस्था, उत्पादन, वाणिज्य, विवाह आदि मनुष्यों को नियमन में रखने के लिये ही बनी हैं। इन व्यवस्थाओं के चलते अनेक प्रकार के समूह बनते हैं। |