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* विद्यालय का सामान व्यवस्थित रखना  
 
* विद्यालय का सामान व्यवस्थित रखना  
 
* विद्यालय के बेंक, यातायात, डाकघर आदि के कामकाज करना
 
* विद्यालय के बेंक, यातायात, डाकघर आदि के कामकाज करना
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इन सभी कामों को शिक्षाक्रम के साथ जोड़ना चाहिए । उदाहरण के लिए स्वच्छता का सामान कैसा होना चाहिए, कितना होना चाहिए, उनका प्रयोग कैसे करना चाहिए, कम समय में, कम परिश्रम से, कम वस्तुओं का प्रयोग कर अच्छे से अच्छा काम कैसे करना चाहिए इसकी शिक्षा विभिन्न विषयों की व्यावहारिक शिक्षा ही है। व्यावहारिक आयाम सीखते सीखते सैद्धान्तिक समझ भी स्पष्ट होती है। प्रत्यक्ष काम करते करते सर्व प्रकार की शिक्षा होती है। ये सारी बातें घर और विद्यालय दोनों में सीखी जाती हैं इसलिए कम समय में और अच्छी तरह सीखना सम्भव होता है।
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===== वर्तमान में ये बातें होती क्यों नहीं हैं ? =====
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एक तो सारी शिक्षा यांत्रिक बन गई है। ऐसा भ्रम निर्माण हुआ है कि शिक्षा पुस्तकें पढ़ना, प्रश्नों के उत्तर लिखना और परीक्षा में उत्तीर्ण होना ही है। ऐसे सीमित
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परन्तु हम सब जानते हैं कि हमें इनमें से एक भी
 
परन्तु हम सब जानते हैं कि हमें इनमें से एक भी
  
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