अभिभावकों की शिक्षा अलग बात है और विद्यार्थियों के अपराध या दोष के निवारण का हवाला अभिभावकों को सौंपना अलग बात है।
अभिभावकों की शिक्षा अलग बात है और विद्यार्थियों के अपराध या दोष के निवारण का हवाला अभिभावकों को सौंपना अलग बात है।
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इसी प्रकार से विद्यालय परिसर में पुलीस को बुलाना, न्यायालय में केस दर्ज करना आदि नहीं होना चाहिये । यह मुख्याध्यापक की वरिष्ठता समाप्त कर देता है। विद्यार्थी,
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इसी प्रकार से विद्यालय परिसर में पुलीस को बुलाना, न्यायालय में केस दर्ज करना आदि नहीं होना चाहिये । यह मुख्याध्यापक की वरिष्ठता समाप्त कर देता है। विद्यार्थी, शिक्षक, अभिभावक या समाज से अन्य कोई न्यायालय में शिकायत करे ऐसी नौबत नहीं आने देना यह विद्यालय के मुख्याध्यापक और शिक्षकों की गुणवत्ता और व्यवहार दक्षता पर निर्भर करता है । यह बात ठीक है कि विद्यालय स्वयं पुलिस या न्यायालय के सामने नहीं जायेगा परन्तु कोई यदि उन्हें घसीटता है तो उन्हें जाना पडेगा । परन्तु स्थितियों का ठीक से आकलन करना शिक्षकों को आना ही चाहिये । शिक्षक बनना आसान नहीं है, विद्याव्रत भी आसान व्रत नहीं है, शिक्षक के नाते सम्मान सस्ते में नहीं मिलता है ।
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====== ४. विद्यालय की गरिमा व पवित्रता की रक्षा ======
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विद्यालयीन शिष्टाचार में विद्यालय संस्था की गरिमा और पवित्रता की रक्षा करने के व्यवहार का भी समावेश होता है । जैसे कि -
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विद्यालय परिसर में माँस, मदिरा, तम्बाकु आदि वस्तुओं को लेकर नहीं आना और उनका सेवन नहीं करना । परिसर के बाहर भी उनका सेवन नहीं करना ही अपेक्षित है।