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विद्यालय परिसर में माँस, मदिरा, तम्बाकु आदि वस्तुओं को लेकर नहीं आना और उनका सेवन नहीं करना । परिसर के बाहर भी उनका सेवन नहीं करना ही अपेक्षित है।
 
विद्यालय परिसर में माँस, मदिरा, तम्बाकु आदि वस्तुओं को लेकर नहीं आना और उनका सेवन नहीं करना । परिसर के बाहर भी उनका सेवन नहीं करना ही अपेक्षित है।
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व्यक्तिगत जीवन और विद्यालय व्यवहार का क्या सम्बन्ध है ऐसा तर्क भारतीय मानसिकता तो नहीं करती । एक शिक्षक सर्वत्र शिक्षक है, एक विद्यार्थी सर्वत्र विद्यार्थी । इस दृष्टि से विद्यालय परिसर में शेअर बाजार, चुनाव, व्यवसाय आदि की मन्त्रणायें भी नहीं होना अपेक्षित है।
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विद्यालय परिसर में अशिष्ट वेश धारण करके आना, अशिष्ट भाषा बोलना, झगडा करना भी निषिद्ध होना चाहिये । विद्यालय परिसर में कोलाहल करना, नारेबाजी करना आदि भी नहीं होना चाहिये।
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विद्यालय में हडताल, धरना, विरोधप्रदर्शन होना भी विद्यालय को शोभा नहीं देता । ये सब बातें अचानक नहीं हो जातीं । वर्षों तक वातावरण बिगडते बिगडते बात यहाँ तक पहुँचती है। मुख्याध्यापक और शिक्षकों ने ऐसा होने दिया ऐसा ही उसका अर्थ है । विद्यालय को अनिष्ट तत्त्वों से बचाने का दायित्व तो शिक्षकों का ही है।
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शिक्षक जब कहने लगते हैं कि हम क्या कर सकते हैं, तभी सब कुछ दुर्गति की और जाता है ।
    
© विद्यालय की आन्तरिक व्यवस्थाओं का मामला
 
© विद्यालय की आन्तरिक व्यवस्थाओं का मामला
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