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अतः शिक्षक प्रबोधन के कुछ बिन्दु और चरण इस प्रकार होंगे
 
अतः शिक्षक प्रबोधन के कुछ बिन्दु और चरण इस प्रकार होंगे
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1. शिक्षक में स्वतन्त्रता की चाह और आवश्यकता निर्माण करना । शिक्षा भी तभी स्वतन्त्र होगी जब शिक्षक स्वतन्त्र होता है । शिक्षा स्वतन्त्र होगी तभी वह समाज को भी स्वतन्त्र बनना सिखायेगी ।
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शिक्षक में स्वतन्त्रता की चाह और आवश्यकता
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2. स्वतन्त्र बनना तो कोई भी चाहेगा परन्तु स्वतन्त्रता के साथ जो दायित्व होता है वह कोई नहीं चाहता । प्रबोधन का दूसरा मुद्दा दायित्व का भी है । शिक्षा को ठीक करने का दायित्व शिक्षक का है। पूर्व उदाहरण भी हैं, परम्परा भी है और तर्क भी इसी बात को कहता है ।
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निर्माण करना । शिक्षा भी तभी स्वतन्त्र होगी जब
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3. “अपना घर है और हमें उस
 
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शिक्षक स्वतन्त्र होता है । शिक्षा स्वतन्त्र होगी तभी
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वह समाज को भी स्वतन्त्र बनना सिखायेगी ।
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स्वतन्त्र बनना तो कोई भी चाहेगा परन्तु स्वतन्त्रता
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े चलाना है' ऐसा मानने
 
े चलाना है' ऐसा मानने
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