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०... मुझे क्या पडी है कि मैं कुछ करूँ ? बडे बडे नहीं करते तो मुझे क्यों कहा जाता है कि कुछ करो ?
 
०... मुझे क्या पडी है कि मैं कुछ करूँ ? बडे बडे नहीं करते तो मुझे क्यों कहा जाता है कि कुछ करो ?
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उपभोग की ही चाह रखता है और बुद्धि किसीकी भलाई के
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अपना काम पढ़ाने का है, और किसी झंझट में पड़ने  की क्या आवश्यकता है ? चरित्रनिर्माण, प्रामाणिकता आदि सब पुरानी बातें हो गई । आज यह सब नहीं चलता । आज भलाई का जमाना नहीं है। कुछ करने जाओ तो स्वयं ही परेशानी में पड जायेंगे ।
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लिये नहीं, अपनी ही “भलाई' के लिये प्रयुक्त होती है ।
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विद्यार्थी सुनते नहीं, अभिभावकों को पडी नहीं है, कुछ भले के लिये करो तो उल्टी शिकायत कर देते हैं, संचालक डाँटते हैं अथवा कार्यवाही करते हैं । तो फिर कुछ भी करने की क्या आवश्यकता है ? अपना वेतन लो, पाठ्यक्रम पूरा करो और मौज करो
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शिक्षा को शिक्षकाधीन बनाने हेतु प्रथम तो शिक्षक
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सारी अपेक्षा शिक्षक से ही क्यों की जाती है ? और लोग भी तो अपना काम ठीक नहीं करते । उनसे जाकर कहो । पहले इन राजनीति वालों को ठीक करो । अर्थात्‌ उसने पराधीनता का स्वीकार कर लिया और जान लिया की स्वाधीन और स्वतन्त्र नहीं हुआ जा सकता तो वह बेपरवाह भी हो गया । प्रयास करना छोड दिया और जैसा रखा जाता है वैसा रहने लगा । दुनिया ऐसी ही है, जीवन ऐसा ही है, अब किसी के लिये कुछ करने की आवश्यकता नहीं, अपने में रहो, अपने से रहो ।
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के मरे हुए मन को जीवन्त करना होगा और निष्क्रिय बुद्धि
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ऐसी स्थिति में उसका मन अब स्वतन्त्रता की नहीं, उपभोग की ही चाह रखता है और बुद्धि किसीकी भलाई के लिये नहीं, अपनी ही “भलाई' के लिये प्रयुक्त होती है ।
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अपमान, अवहेलना, उपेक्षा, निर्धनता, आत्मग्लानि आदि
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शिक्षा को शिक्षकाधीन बनाने हेतु प्रथम तो शिक्षक के मरे हुए मन को जीवन्त करना होगा और निष्क्रिय बुद्धि को सक्रिय बनानी होगी ।
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भावों ने उसे जकड लिया है । आज उसके व्यवहार में
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==== शिक्षक प्रबोधन के बिन्दु व चरण ====
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मरे हुए मन को जीवन्त बनाने का काम कठिन है । अपमान, अवहेलना, उपेक्षा, निर्धनता, आत्मग्लानि आदि भावों ने उसे जकड लिया है । आज उसके व्यवहार में जडता, निष्ठा का अभाव, काम की उपेक्षा, बेपरवाही, स्वार्थ, लालच, बिकाऊपन दिखाई देता है परन्तु इस व्यवहार के पीछे उसकी पूर्व में बताई ऐसी मानसिकता है ।
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जडता, निष्ठा का अभाव, काम की उपेक्षा, बेपरवाही,
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अतः शिक्षक प्रबोधन के कुछ बिन्दु और चरण इस प्रकार होंगे
 
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... स्वार्थ, लालच, बिकाऊपन दिखाई देता है परन्तु इस
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व्यवहार के पीछे उसकी पूर्व में बताई ऐसी मानसिकता है ।
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अतः शिक्षक प्रबोधन के कुछ
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बिन्दु और चरण इस प्रकार होंगे
      
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