Changes

Jump to navigation Jump to search
Line 243: Line 243:  
नहीं करनी पडतीं । परिवारशिक्षा की योजना कैसे और कैसी हो सकती है ?
 
नहीं करनी पडतीं । परिवारशिक्षा की योजना कैसे और कैसी हो सकती है ?
   −
=== परिवार शिक्षा के कुछ विषय ===
+
===परिवार शिक्षा के कुछ विषय===
 
हरेक व्यक्ति को अच्छा परिवारजन बनाना इसका उद्देश्य होना चाहिये । इसका अर्थ क्या है ? हर लडके को अच्छा पुरुष, अच्छा पति, अच्छा गृहस्थ और अच्छा पिता तथा हर लडकी को अच्छी स्त्री, अच्छी पत्नी, अच्छी गृहिणी और अच्छी माता बनना है यह परिवार
 
हरेक व्यक्ति को अच्छा परिवारजन बनाना इसका उद्देश्य होना चाहिये । इसका अर्थ क्या है ? हर लडके को अच्छा पुरुष, अच्छा पति, अच्छा गृहस्थ और अच्छा पिता तथा हर लडकी को अच्छी स्त्री, अच्छी पत्नी, अच्छी गृहिणी और अच्छी माता बनना है यह परिवार
 
शिक्षा का आधारभूत कथन है । इसके आधार पर अनेक प्रकार के पाठ्यक्रम और पाठ्यसामग्री तैयार करनी चाहिये ।
 
शिक्षा का आधारभूत कथन है । इसके आधार पर अनेक प्रकार के पाठ्यक्रम और पाठ्यसामग्री तैयार करनी चाहिये ।
Line 249: Line 249:  
इस शिक्षा के कुछ विषय इस प्रकार हो सकते हैं
 
इस शिक्षा के कुछ विषय इस प्रकार हो सकते हैं
   −
# स्त्री, स्रीत्व, स्रीत्व के लक्षण, स्त्रीत्व के विकास का स्वरूप
+
#स्त्री, स्रीत्व, स्रीत्व के लक्षण, स्त्रीत्व के विकास का स्वरूप
# पुरुष, पुरुषत्व, पुरुषत्व के लक्षण, पुरुषत्व के विकास का स्वरूप हर स्तर पर ख्त्रीपुरुष सम्बन्ध का स्वरूप
+
#पुरुष, पुरुषत्व, पुरुषत्व के लक्षण, पुरुषत्व के विकास का स्वरूप हर स्तर पर ख्त्रीपुरुष सम्बन्ध का स्वरूप
# हर स्तर पर स्त्रीपुरुष सम्बन्ध का स्वरूप  
+
#हर स्तर पर स्त्रीपुरुष सम्बन्ध का स्वरूप
# सोलह संस्कारों का शास्त्रीय स्वरूप, प्रयोजन और आवश्यकता
+
#सोलह संस्कारों का शास्त्रीय स्वरूप, प्रयोजन और आवश्यकता
# परिवार, परिवार रचना, परिवार व्यवस्था, परिवार भावना और परिवार का सांस्कृतिक महत्त्व
+
#परिवार, परिवार रचना, परिवार व्यवस्था, परिवार भावना और परिवार का सांस्कृतिक महत्त्व
# व्यक्ति के जीवन की विभिन्न अवस्थाओं में शिक्षा का स्वरूप : गर्भावस्‍था, शिशुअवस्था, बालअवस्था, किशोर अवस्था, युवावस्था, प्रौढावस्था, वृद्धावस्था
+
#व्यक्ति के जीवन की विभिन्न अवस्थाओं में शिक्षा का स्वरूप : गर्भावस्‍था, शिशुअवस्था, बालअवस्था, किशोर अवस्था, युवावस्था, प्रौढावस्था, वृद्धावस्था
# लालयेत पंचवर्षाणि, दशवर्षाणि ताडयेत प्राप्तेतुषोडशे वर्ष पुत्र मित्र समाचरेतू अर्थात्‌ मातापिता द्वारा सन्तान की एक पीढ़ी की शिक्षा
+
#लालयेत पंचवर्षाणि, दशवर्षाणि ताडयेत प्राप्तेतुषोडशे वर्ष पुत्र मित्र समाचरेतू अर्थात्‌ मातापिता द्वारा सन्तान की एक पीढ़ी की शिक्षा
# परिवार एक सामाजिक सांस्कृतिक इकाई
+
#परिवार एक सामाजिक सांस्कृतिक इकाई
# परिवार एक आर्थिक इकाई
+
#परिवार एक आर्थिक इकाई
# गृहस्थाश्रमी का समाजधर्म
+
#गृहस्थाश्रमी का समाजधर्म
# गृहस्थाश्रमी का सृष्टिधर्म
+
#गृहस्थाश्रमी का सृष्टिधर्म
# परिवार का राष्ट्रधर्म
+
#परिवार का राष्ट्रधर्म
# परिवार और शिक्षा
+
#परिवार और शिक्षा
# परिवार में शिक्षा
+
#परिवार में शिक्षा
# वर्तमान सन्दर्भ में विवाहविचार
+
#वर्तमान सन्दर्भ में विवाहविचार
# वर्तमान समय में अथार्जिन
+
#वर्तमान समय में अथार्जिन
# वर्तमान समय में धर्माचरण
+
#वर्तमान समय में धर्माचरण
# आश्रमव्यवस्था. और आश्रमचतुष्ट्य में करणीय अकरणीय कार्य
+
#आश्रमव्यवस्था. और आश्रमचतुष्ट्य में करणीय अकरणीय कार्य
# घर की शिक्षा और विद्यालय की शिक्षा का समायोजन
+
#घर की शिक्षा और विद्यालय की शिक्षा का समायोजन
# सज्जनों का व्यवहार
+
#सज्जनों का व्यवहार
   −
क्रियान्वयन हेतु आवश्यक बातें
+
=== क्रियान्वयन हेतु आवश्यक बातें ===
 +
इस सूची को घटाया बढाया जा सकता है । परन्तु महत्त्वपूर्ण बात इसकी व्यवस्था की है । इसे प्रभावी ढंग से कार्यान्वित करने के लिये इतनी बातों की आवश्यकता होगी ।
   −
इस सूची को घटाया बढाया जा सकता है । परन्तु
+
# पाठ्यक्रमों का विवरण विस्तार से लिखना
महत्त्वपूर्ण बात इसकी व्यवस्था की है । इसे प्रभावी ढंग से
+
# इसके लिये पाठन-पठन सामग्री का निर्माण करना
कार्यान्वित करने के लिये इतनी बातों की आवश्यकता
+
# ऐसी सामग्री निर्माण करने हेतु अध्ययन और अनुसन्धान करना
होगी ।
+
# इसे पढ़ाने वाले लोग तैयार करना तैयार होने योग्य लोग ढूँढना
 +
# पाठ्यक्रम चलाने के लिये स्थान, अन्य सामग्री और धन की व्यवस्था करना
 +
# पढ़ने वाले लोग प्राप्त करना
   −
, पाठ्यक्रमों का विवरण विस्तार से लिखना
+
अनुभव ऐसा है कि पढने वाले लोग तो मिल ही जाते हैं। आज का समय ऐसा है कि लोग वर्तमान असंस्कारिता से तथा अन्य समस्याओं से त्रस्त हो गये हैं और उनका हल चाहते हैं । लोग अच्छे बच्चे भी चाहते हैं इसलिये पढ़ने के लिये विद्यार्थी मिल ही जायेंगे । कठिन बात है पढ़ाने वाले, लिखने वाले, अध्ययन और अनुसन्धान करनेवाले लोग प्रयासपूर्वक निमन्त्रित करने होंगे । परन्तु इन विषयों का महत्त्व समझाने पर लोग अवश्य प्राप्त होंगे ।
   −
२... इसके लिये पाठन-पठन सामग्री का निर्माण करना
+
इस दृष्टि से परिवार हेतु विद्यालय तो विद्यार्थियों के साथ ही हो सकता है परन्तु शेष बातों के लिये अध्ययन अनुसन्धान संस्थान प्रारम्भ करना चाहिये । एक बार यह काम प्रारम्भ हुआ तो वह शीघ्र ही गति पकड लेगा ऐसा होने की सारी सम्भावनायें हैं ।
 
  −
३, ऐसी सामग्री निर्माण करने हेतु अध्ययन और
  −
अनुसन्धान करना
  −
 
  −
¥. इसे पढ़ाने वाले लोग तैयार करना
  −
तैयार होने योग्य लोग ढूँढना
  −
 
  −
६... पाठ्यक्रम चलाने के लिये स्थान, अन्य सामग्री और
  −
धन की व्यवस्था करना
  −
 
  −
७. . पढ़ने वाले लोग प्राप्त करना
  −
 
  −
अनुभव ऐसा है कि पढने वाले लोग तो मिल ही
  −
जाते हैं। आज का समय ऐसा है कि लोग वर्तमान
  −
असंस्कारिता से तथा अन्य समस्याओं से त्रस्त हो गये हैं
  −
और उनका हल चाहते हैं । लोग अच्छे बच्चे भी चाहते हैं
  −
इसलिये पढ़ने के लिये विद्यार्थी मिल ही जायेंगे । कठिन
  −
बात है पढ़ाने वाले, लिखने वाले, अध्ययन और
  −
अनुसन्धान करनेवाले लोग प्रयासपूर्वक निमन्त्रित करने
  −
होंगे । परन्तु इन विषयों का महत्त्व समझाने पर लोग
  −
अवश्य प्राप्त होंगे ।
  −
 
  −
इस दृष्टि से परिवार हेतु विद्यालय तो विद्यार्थियों के
  −
साथ ही हो सकता है परन्तु शेष बातों के लिये अध्ययन
  −
अनुसन्धान संस्थान प्रारम्भ करना चाहिये । एक बार यह
  −
काम प्रारम्भ हुआ तो वह शीघ्र ही गति पकड लेगा ऐसा
  −
होने की सारी सम्भावनायें हैं ।
  −
  −
 
  −
............. page-118 .............
  −
 
  −
 
      +
== शिक्षा और परिवार प्रबोधन ==
 
शिक्षा समाजजीवन का अभिन्न अंग है । समाज और
 
शिक्षा समाजजीवन का अभिन्न अंग है । समाज और
 
शिक्षा का एकदूसरे पर प्रभाव पडता है । शिक्षा समाज को
 
शिक्षा का एकदूसरे पर प्रभाव पडता है । शिक्षा समाज को
1,815

edits

Navigation menu