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बडा होगा, शिक्षा का दर्जा बढ़ेगा ।
बडा होगा, शिक्षा का दर्जा बढ़ेगा ।
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=== शिक्षा के तीन केन्द्र ===
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===शिक्षा के तीन केन्द्र===
भारतीय शिक्षाविचार के अनुसार शिक्षा मनुष्य के जीवन के साथ अभिन्न रूप से जुडी है । वह आजीवन होती है और सर्वत्र चलती है ।
भारतीय शिक्षाविचार के अनुसार शिक्षा मनुष्य के जीवन के साथ अभिन्न रूप से जुडी है । वह आजीवन होती है और सर्वत्र चलती है ।
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नहीं करनी पडतीं । परिवारशिक्षा की योजना कैसे और कैसी हो सकती है ?
नहीं करनी पडतीं । परिवारशिक्षा की योजना कैसे और कैसी हो सकती है ?
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परिवार शिक्षा के कुछ विषय
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=== परिवार शिक्षा के कुछ विषय ===
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हरेक व्यक्ति को अच्छा परिवारजन बनाना इसका उद्देश्य होना चाहिये । इसका अर्थ क्या है ? हर लडके को अच्छा पुरुष, अच्छा पति, अच्छा गृहस्थ और अच्छा पिता तथा हर लडकी को अच्छी स्त्री, अच्छी पत्नी, अच्छी गृहिणी और अच्छी माता बनना है यह परिवार
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हरेक व्यक्ति को अच्छा परिवारजन बनाना इसका
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शिक्षा का आधारभूत कथन है । इसके आधार पर अनेक प्रकार के पाठ्यक्रम और पाठ्यसामग्री तैयार करनी चाहिये ।
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उद्देश्य होना चाहिये । इसका अर्थ क्या है ? हर लडके को
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अच्छा पुरुष, अच्छा पति, अच्छा गृहस्थ और अच्छा
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पर्व २ : विद्यार्थी, शिक्षक, विद्यालय, परिवार
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पिता तथा हर लडकी को अच्छी स्त्री, अच्छी पत्नी,
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अच्छी गृहिणी और अच्छी माता बनना है यह परिवार
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शिक्षा का आधारभूत कथन है । इसके आधार पर अनेक
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प्रकार के पाठ्यक्रम और पाठ्यसामग्री तैयार करनी चाहिये ।
इस शिक्षा के कुछ विषय इस प्रकार हो सकते हैं
इस शिक्षा के कुछ विषय इस प्रकार हो सकते हैं
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g. स्त्री, स््रीत्व, स्रीत्व के लक्षण, स्त्रीत्व के विकास का
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# स्त्री, स्रीत्व, स्रीत्व के लक्षण, स्त्रीत्व के विकास का स्वरूप
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स्वरूप
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# पुरुष, पुरुषत्व, पुरुषत्व के लक्षण, पुरुषत्व के विकास का स्वरूप हर स्तर पर ख्त्रीपुरुष सम्बन्ध का स्वरूप
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# हर स्तर पर स्त्रीपुरुष सम्बन्ध का स्वरूप
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२.. पुरुष, पुरुषत्व, पुरुषत्व के लक्षण, पुरुषत्व के
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# सोलह संस्कारों का शास्त्रीय स्वरूप, प्रयोजन और आवश्यकता
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विकास का स्वरूप
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# परिवार, परिवार रचना, परिवार व्यवस्था, परिवार भावना और परिवार का सांस्कृतिक महत्त्व
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हर स्तर पर ख्त्रीपुरुष सम्बन्ध का स्वरूप
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# व्यक्ति के जीवन की विभिन्न अवस्थाओं में शिक्षा का स्वरूप : गर्भावस्था, शिशुअवस्था, बालअवस्था, किशोर अवस्था, युवावस्था, प्रौढावस्था, वृद्धावस्था
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# लालयेत पंचवर्षाणि, दशवर्षाणि ताडयेत प्राप्तेतुषोडशे वर्ष पुत्र मित्र समाचरेतू अर्थात् मातापिता द्वारा सन्तान की एक पीढ़ी की शिक्षा
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४... सोलह संस्कारों का शास्त्रीय स्वरूप, प्रयोजन और
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# परिवार एक सामाजिक सांस्कृतिक इकाई
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आवश्यकता
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# परिवार एक आर्थिक इकाई
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# गृहस्थाश्रमी का समाजधर्म
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५... परिवार, परिवार रचना, परिवार व्यवस्था, परिवार
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# गृहस्थाश्रमी का सृष्टिधर्म
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भावना और परिवार का सांस्कृतिक महत्त्व
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# परिवार का राष्ट्रधर्म
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# परिवार और शिक्षा
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&. व्यक्ति के जीवन की विभिन्न अवस्थाओं में शिक्षा का
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# परिवार में शिक्षा
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स्वरूप : गर्भावस्था, शिशुअवस्था, बालअवस्था,
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# वर्तमान सन्दर्भ में विवाहविचार
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किशोर अवस्था, युवावस्था, प्रौढावस्था, वृद्धावस्था
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# वर्तमान समय में अथार्जिन
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# वर्तमान समय में धर्माचरण
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७... लालयेत पंचवर्षाणि, दशवर्षाणि ताडयेत प्राप्तेतुषोडशे
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# आश्रमव्यवस्था. और आश्रमचतुष्ट्य में करणीय अकरणीय कार्य
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वर्ष पुत्र मित्र समाचरेतू अर्थात् मातापिता द्वारा सन्तान
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# घर की शिक्षा और विद्यालय की शिक्षा का समायोजन
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की एक पीढ़ी की शिक्षा
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# सज्जनों का व्यवहार
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é. परिवार एक सामाजिक सांस्कृतिक इकाई
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९, परिवार एक आर्थिक इकाई
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१०, गृहस्थाश्रमी का समाजधर्म
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११, गृहस्थाश्रमी का सृष्टिधर्म
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१२. परिवार का राष्ट्रधर्म
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५१३, परिवार और शिक्षा
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१४. परिवार में शिक्षा
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१५, वर्तमान सन्दर्भ में विवाहविचार
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१६, वर्तमान समय में अथार्जिन
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१७, वर्तमान समय में धर्माचरण
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१८, आश्रमव्यवस्था. और आश्रमचतुष्ट्य में करणीय
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अकरणीय कार्य
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Fok
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१९, घर की शिक्षा और विद्यालय की
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शिक्षा का समायोजन
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२०. सज्जनों का व्यवहार
क्रियान्वयन हेतु आवश्यक बातें
क्रियान्वयन हेतु आवश्यक बातें