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| उच्च कोटि की थी । | | उच्च कोटि की थी । |
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− | इसी प्रकार का है विद्यादान का. वैयक्तिक रहते हैं तब उस व्यक्ति का दृष्टिकोण परोपकार से
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− | गुण । उसके लिए आदिम स्थान था आचार्य का घर ।.... पुण्य कमाने का रहता है । दान देकर स्वर्ग में पहुँचने का
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− | क्रमशः गुरुकुल विकसित हुआ । बड़े बड़े विद्यालय निर्मित. रहता है। किन्तु उसके लिए किया जाता प्रबन्ध जब
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− | हुए । आगे चलकर समाज से प्राप्त धन से Ma = वृहदाकार का होता है, सामूहिक सहकारिता का होता है
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− | आचार्यों द्वारा अध्यापित नालन्दा, तक्षशिला, विक्रमशिला, ... तब भागीदारों का दृष्टिकोण वैयक्तिक पुण्य से ऊपर उठकर
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− | काश्वीपुरम्ू जैसे विश्वविद्यालयों का उदय हुआ । उनका... व्यक्ति निरपेक्ष समष्टि पुण्य का हो जाता है । तब उद्धार
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− | उल्लेख करते हुए विश्व के सभी इतिहासकारों का अभिप्राय है... समष्टि का होता है ।
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− | कि तत्कालीन भारतीय सभ्यता अप्रतिम थी । वास्तव में यही है संस्कृति और सभ्यता का
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− | दूष्टान्त के नाते हमने ऊपर केवल चार गुणों का... सम्बन्ध । संस्कृति के कारण वृद्धिंगत ज्ञान के भरोसे
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− | विचार किया । इसी प्रकार का सभी सांस्कृतिक गुणों का... सभ्यता लोकोपकारी दिशा में विकसित हो जाती है और
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− | सभ्यता की ओर विकास होता रहा है । विकसित सभ्यता के कारण चिरन्तन मूल्यों से संस्कृति
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− | सभ्यता का यह विकास संस्कृति को भी विकसित... सर्वसमावेशी हो जाती है ।
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− | करता है । जब दान, दया, शुचिता, विद्यादान गुण मात्र
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| == आधुनिकता == | | == आधुनिकता == |
− | “आधुनिक मात्र एक कालवाचक पद नहीं है, यह... सोलहवीं सदी के पुनर्जागरण ने यूनानी एवं रोमन सभ्यता
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− | गुणवाचक पद भी है। “आधुनिक' एक काल खंड है और की दुहाई देते हुए जिस “मानववाद' (Humanism)
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− | “आधुनिकता' जीवन और जगत के प्रति एक विचार दृष्टि। .. पुनर्प्रतिष्ठिति किया वह एक स्वयंभू AAMT (Masterless
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− | सोलहवीं सदी के इटली के लोरेंस आदि नगर राज्यों के... 27), एक. स्वत्वसंपन्न.. मनुष्य. (?0556९55४९
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− | *पुनर्जागरण' (Renaissance) & BAYA AT URE — Individual) at wiser etl ga मानववाद की अन्य
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− | माना जाता है। यह ईसाई धर्म एवं परम्परा के विस्द्ध .. अभिव्यक्तियाँ नामवाद (Nominalism), व्यक्तिवाद
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− | feta oft fret wert ae at ast am aaa = (Individualism), इहलोकवाद = (Secularism) एवं
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− | | |
− | देशों पर अपना धार्मिक, वैचारिक एवं राजनीतिक वर्चस्व... वैज्ञानिक gfgare (Scientieic Rationalism) & fret
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− | बनाए रखा। वैसे आधुनिक विचार दृष्टि का बीजारोपण. आधुनिक विचार दृष्टि को बौद्धिक पोषण दिया है।
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− | चौदहवीं एवं पन्द्रहवीं शताब्दियों में ही हो गया था।.. प्रोटेस्टेट सुधार आन्दोलन के जनक मार्टिन लूथर ने
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− | विलियम ऑफ atten, altel ऑफ usa, प्रोटेस्टेन्ट ईसाईयत के जिन सिद्धांतों का प्रतिपादन किया वे
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− | वाइक्लिफ आदि दार्शनिकों ने चर्च में व्याप्त भ्रष्टाचार का... ईसाई धर्म परम्परा की साकल्यवादी (०58८) दृष्टि को
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− | सुधार करने का जो मार्ग बताया उसने व्यक्तिवादी, aan कर धर्म के क्षेत्र में भी “व्यक्तिवाद' की स्थापना
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− | बुद्धिबादी और इहलोकवादी मान्यताओं को पुष्ट किया। यही... करते हैं। यूँ तो मार्टिन लूथर तथा अन्यान्य धर्म सुधारकों
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− | मान्यताएं आधुनिकता का आधार स्तम्भ बनीं। इन... का उद्देश्य चर्च में व्याप्त नैतिक अधःपतन को दूर कर
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− | दार्शनिकों ने लौकिक एवं पारलौकिक के मध्य भेद करते. ईसाईयत को परिशुद्ध करना था, परन्तु वास्तव में इस धर्म
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− | हुए लौकिक मामलों में चर्च के हस्तक्षेप तथा धार्मिक एवं... सुधार आन्दोलन ने ईसाई धर्म परम्परा पर ही कुठाराघात
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− | नैतिक सिद्धांतों के अनुशासन को अनुचित बताया और इस. किया और धर्म तत्त्व का ही तिरस्कार किया। धर्मसुधार
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− | प्रकार धर्मसत्ता की सर्वोच्चता एवं व्यापकता को चुनौती दी। आन्दोलन ने पहले संशय और कालान्तर में अनास्था को
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| बल प्रदान किया। अत: जिस मानववाद का प्रतिपादन | | बल प्रदान किया। अत: जिस मानववाद का प्रतिपादन |
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| आधुनिकता की मूल प्रतिस्थापनाओं को संक्षेप में | | आधुनिकता की मूल प्रतिस्थापनाओं को संक्षेप में |
| निम्न प्रकार से प्रस्तुत किया जा सकता है- | | निम्न प्रकार से प्रस्तुत किया जा सकता है- |
| + | |
| &. Hast a vila (Creature) 7 WHat GST UT | | &. Hast a vila (Creature) 7 WHat GST UT |
| | | |
| १०, | | १०, |
− |
| |
− | शिक्षा मनुष्य के जीवन के साथ श्वास के समान ही
| |
− | जुड़ी हुई है। अच्छी या बुरी, शिक्षा के बिना मनुष्य का
| |
− | अस्तित्व ही नहीं है । वह चाहे या न चाहे शिक्षा ग्रहण
| |
− | किये बिना वह रह ही नहीं सकता । इस जन्म के जीवन के
| |
− | लिये वह माता की कोख में पदार्पण करता है और उसका
| |
− | सीखना शुरू हो जाता है । संस्कारों के रूप में वह सीखता
| |
− | है। जन्म होता है और उसका शरीर क्रियाशील हो जाता
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| eal (Creator) मानना। | | eal (Creator) मानना। |
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| 38 | | 38 |
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− | है। वह प्रयोजन के या बिना प्रयोजन के कुछ न कुछ | + | शिक्षा मनुष्य के जीवन के साथ श्वास के समान ही |
− | करता ही रहता है । उसकी ज्ञानेन्द्रियों पर बाहरी वातावरण
| + | जुड़ी हुई है। अच्छी या बुरी, शिक्षा के बिना मनुष्य का |
− | से असंख्य अनुभव पड़ते ही रहते हैं । उनसे वह सीखे बिना
| + | अस्तित्व ही नहीं है । वह चाहे या न चाहे शिक्षा ग्रहण |
− | रह नहीं सकता । आसपास की दुनिया का हर तरह का | + | किये बिना वह रह ही नहीं सकता । इस जन्म के जीवन के |
− | व्यवहार उसे सीखाता ही रहता है । विकास करने की, बड़ा
| + | लिये वह माता की कोख में पदार्पण करता है और उसका |
− | बनने की अंतरतम इच्छा उसे अन्दर से ही कुछ न कुछ
| + | सीखना शुरू हो जाता है । संस्कारों के रूप में वह सीखता |
− | करने के लिए प्रेरित करती रहती है । अंदर की प्रेरणा और
| + | है। जन्म होता है और उसका शरीर क्रियाशील हो जाता |
− | | |
− | बाहर के सम्पर्क ऐसे उसका मानसिक निकालने के लिए है ।
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− | पिण्ड बनाते ही रहते हैं । वह न केवल अनुभव करता है, शिक्षा मुक्ति के मार्ग पर ले जाती है ।
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− | वह प्रतिसाद भी देता है क्योंकि वह विचार करता है । यह यह शिक्षा का भारतीय दर्शन है । भारत में इसीके
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− | उसके विकास का सहज क्रम है । मनुष्य की यह सहज... अनुसार शिक्षा चलती रही है । हर युग में, हर पीढ़ी में
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− | प्रवृत्ति है । शिक्षकों तथा विचारकों को अपनी पद्धति से इसे समझना
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− | | |
− | परमात्मा ने मनुष्य को केवल शरीर ही नहीं दिया है, होता है और अपनी वर्तमान आवश्यकताओं के अनुसार उसे
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− | परमात्मा ने उसे सक्रिय अन्तःकरण भी दिया है । जिज्ञासा... ढालना होता है । प्रकृति परिवर्तनशील है इसलिए तंत्र में
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− | उसके स्वभाव का लक्षण है । संस्कार ग्रहण करना उसका... परिवर्तन होता रहता है । तत्त्व को अपरिवर्तनीय रखते हुए
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− | सहज कार्य है । विचार करते ही रहना उसकी सहज प्रवृत्ति... यह परिवर्तन करना होता है । परन्तु वर्तमान समय में भारत
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− | है । यह सब मैं कर रहा हूँ, यह मुझे चाहिये, यह मेरे लिए. में जो परिवर्तन हुआ है वह स्वाभाविक नहीं है। यह
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− | है, ऐसा अहंभाव उसमें अभिमान जागृत करता है । ये सब... परिवर्तन ऐसा है कि शिक्षा को अभारतीय कहने की नौबत
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− | उसके सीखने के ही तो साधन हैं । ये सब हैं इसका अर्थ ही... आ गई है । शिक्षा का अभारतीयकरण दो शतकों से चल
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− | यह है कि सीखना उसके लिए स्वाभाविक है, अनिवार्य है ।... रहा है । शुरू हुआ तबसे उसे रोकने का प्रयास नहीं हुआ
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− | | |
− | मनुष्य की इस स्वाभाविक प्रवृत्ति का ही मनीषियों ने... ऐसा तो नहीं है परन्तु दैवदुर्विलास से उसे रोकना बहुत संभव
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− | शास्त्र बनाकर उसे व्यवस्थित किया । उसकी सहज प्रवृत्ति .. नहीं हुआ है । आज अभारतीयकरण भारत की मुख्य धारा
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− | को समझा, उसके लक्ष्य को अवगत किया, उस लक्ष्य को... की शिक्षा में अंतरबाह्य घुल गया है । यह घुलना ऐसा है कि
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− | प्राप्त करने के मार्ग में जो बाधायें आती हैं उनका आकलन. शिक्षा अभारतीय है ऐसा सामान्यजन और अभिजातजन को
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− | किया और शिक्षा का शास्त्र बनाया । शिक्षा के मूर्त स्वरूप. लगता भी नहीं है । देश उसीके अनुसार चलता है । इसे
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− | के रूप में उसने शिक्षकत्व की कल्पना की और उस तत्त्व... युगानुकूल परिवर्तन नहीं कहा जा सकता क्योंकि राष्ट्रीय | |
− | को विभिन्न भूमिकाओं में स्थापित किया । माता व्यक्ति की... जीवन के सारे संकट उसमें से जन्म लेते हैं । इसलिए शिक्षा
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− | प्रथम गुरु बनी, पिता ने उसे साथ दिया, आचार्य ने उसे... के भारतीयकरण का मुद्दा बहुत महत्त्वपूर्ण हो गया है ।
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− | शास्त्र सिखाया, शास्त्र के अनुसार आचार सिखाए, धर्माचार्य मुख्य प्रवाह की शिक्षा अभारतीय होने पर भी देश के
| |
− | लोकशिक्षक बन उसे आजीवन सिखाते रहे । शिक्षा को... विभिन्न तबकों में यह कुछ ठीक नहीं हो रहा है ऐसी भावना
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− | मनीषियों ने प्रेरणा, मार्गदर्शन, उपदेश, संस्कार आदि अनेक... धीरे धीरे बलवती हो रही है । इसमें से ही मूल्यशिक्षा का
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− | नाम दिये और उनके स्वरूप निश्चित किए । उसने शिक्षा के... मुद्दा प्रभावी बन रहा है । अब शिक्षाक्षेत्र में भी भारतीय
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− | कुछ प्रमुख आयाम निश्चित किए । ये आयाम इस प्रकार... और अभारतीय की चर्चा शुरू हुई है । यद्यपि यह कार्य
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− | बने ... कठिन है ऐसा सबको लग रहा है तथापि इसकी
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− | शिक्षा मनुष्य की विशेषता है । आवश्यकता भी अनुभव में आ रही है । शासन से लेकर
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− | शिक्षा का लक्ष्य ज्ञान प्राप्त करना है । छोटी बड़ी संस्थाओं में भारतीयकरण के विषय में मन्थन
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− | शिक्षा का मूल जिज्ञासा है । चल रहा है । इस परिप्रेक्ष्य में भारतीय शिक्षा की सांगोपांग
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− | शिक्षा आजीवन चलने वाली प्रक्रिया है । चर्चा होना आवश्यक है । कहीं वर्तमान सन्दर्भ छोड़कर,
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− | शिक्षा सर्वत्र होती है । कहीं उसे लेकर, तत्त्व में परिवर्तन नहीं करते हुए नई रचना
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− | शिक्षा सबके लिए है । कैसे करना यह नीति रखकर यहाँ चिंतन प्रस्तुत करने का
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− | शिक्षा धर्म सिखाती है । उपक्रम है । इस प्रथम ग्रन्थ में शिक्षाविषयक चिंतन प्रस्तुत
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− | शिक्षा सभी प्रश्नों का हल ज्ञानात्मक मार्ग से... करने का ही प्रयास किया गया है ।
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| == References == | | == References == |
| <references /> | | <references /> |
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