Changes

Jump to navigation Jump to search
m
Text replacement - "जड" to "जड़"
Line 6: Line 6:     
=== कुटुम्ब ===
 
=== कुटुम्ब ===
कुटुम्ब परिवर्तन का सबसे जड़मूल का माध्यम है। समाज जीवन की वह नींव होता है। वह जितना सशक्त और व्यापक भूमिका का निर्वहन करेगा समाज उतना ही श्रेष्ठ बनेगा। कुटुम्ब में दो प्रकार के काम होते हैं। पहले हैं कुटुम्ब के लिए और दूसरे हैं कुटुम्ब में याने समाज, सृष्टि के लिए।  
+
कुटुम्ब परिवर्तन का सबसे जड़़मूल का माध्यम है। समाज जीवन की वह नींव होता है। वह जितना सशक्त और व्यापक भूमिका का निर्वहन करेगा समाज उतना ही श्रेष्ठ बनेगा। कुटुम्ब में दो प्रकार के काम होते हैं। पहले हैं कुटुम्ब के लिए और दूसरे हैं कुटुम्ब में याने समाज, सृष्टि के लिए।  
    
=== कुटुम्ब की – कुटुम्ब के लिए ===
 
=== कुटुम्ब की – कुटुम्ब के लिए ===
Line 128: Line 128:  
# भिन्न जीवनदृष्टि के लोग : शीघ्रातिशीघ्र भिन्न जीवनदृष्टि के लोगोंं को आत्मसात करना आवश्यक होता है। अन्यथा समाज जीवन अस्थिर और संघर्षमय बन जाता है।
 
# भिन्न जीवनदृष्टि के लोग : शीघ्रातिशीघ्र भिन्न जीवनदृष्टि के लोगोंं को आत्मसात करना आवश्यक होता है। अन्यथा समाज जीवन अस्थिर और संघर्षमय बन जाता है।
 
# स्वार्थ / संकुचित अस्मिताएँ : आवश्यकताओं की पुर्ति तक तो स्वार्थ भावना समर्थनीय है। अस्मिता या अहंकार यह प्रत्येक जीवंत ईकाई का एक स्वाभाविक पहलू होता है। किन्तु जब किसी ईकाई के विशिष्ट स्तर की यह अस्मिता अपने से ऊपर की ईकाई जिसका वह हिस्सा है, उसकी अस्मिता से बड़ी लगने लगती है तब समाज जीवन की शांति नष्ट हो जाती है। अतः यह आवश्यक है कि मजहब, रिलिजन, प्रादेशिक अलगता, भाषिक भिन्नता, धन का अहंकार, बौद्धिक श्रेष्ठता आदि जैसी संकुचित अस्मिताएँ अपने से ऊपर की जीवंत ईकाई की अस्मिता के विरोध में नहीं हो।
 
# स्वार्थ / संकुचित अस्मिताएँ : आवश्यकताओं की पुर्ति तक तो स्वार्थ भावना समर्थनीय है। अस्मिता या अहंकार यह प्रत्येक जीवंत ईकाई का एक स्वाभाविक पहलू होता है। किन्तु जब किसी ईकाई के विशिष्ट स्तर की यह अस्मिता अपने से ऊपर की ईकाई जिसका वह हिस्सा है, उसकी अस्मिता से बड़ी लगने लगती है तब समाज जीवन की शांति नष्ट हो जाती है। अतः यह आवश्यक है कि मजहब, रिलिजन, प्रादेशिक अलगता, भाषिक भिन्नता, धन का अहंकार, बौद्धिक श्रेष्ठता आदि जैसी संकुचित अस्मिताएँ अपने से ऊपर की जीवंत ईकाई की अस्मिता के विरोध में नहीं हो।
# विपरीत शिक्षा : विपरीत या दोषपूर्ण शिक्षा यह तो सभी समस्याओं की जड़ होती है।
+
# विपरीत शिक्षा : विपरीत या दोषपूर्ण शिक्षा यह तो सभी समस्याओं की जड़़ होती है।
    
=== कारक तत्व ===
 
=== कारक तत्व ===

Navigation menu