यह व्रत चैत्र मास की शुक्ल पक्ष दोज को रखा जाता है। इस दिन साल के प्रारम्भ में सबसे पहले दिन चन्द्रमा के दर्शन होते हैं। इस दिन चन्द्रमा छोटे होते हैं; इसलिए इन्हें बालेन्द्र कहते हैं। इस दिन ब्रह्माजी की पूजा करें तथा उनकी प्रतिमा के समक्ष बैठकर हवन करें। जिसमें छवि, अन्न मिष्ठान आदि की आहुति दें। साथ ही रात्रि में चन्द्रमा को अर्घ्य दें। इस दिन दही, घी का भोजन करें। यह व्रत समस्त मनोकामनाओं को पूर्ण करने वाला है तथा यह व्रत मृत्यु के पश्चात् मोक्ष प्रदान करता है। इस व्रत के प्रभाव से सुख-समृद्धि व धन में वृद्धि होती है। | यह व्रत चैत्र मास की शुक्ल पक्ष दोज को रखा जाता है। इस दिन साल के प्रारम्भ में सबसे पहले दिन चन्द्रमा के दर्शन होते हैं। इस दिन चन्द्रमा छोटे होते हैं; इसलिए इन्हें बालेन्द्र कहते हैं। इस दिन ब्रह्माजी की पूजा करें तथा उनकी प्रतिमा के समक्ष बैठकर हवन करें। जिसमें छवि, अन्न मिष्ठान आदि की आहुति दें। साथ ही रात्रि में चन्द्रमा को अर्घ्य दें। इस दिन दही, घी का भोजन करें। यह व्रत समस्त मनोकामनाओं को पूर्ण करने वाला है तथा यह व्रत मृत्यु के पश्चात् मोक्ष प्रदान करता है। इस व्रत के प्रभाव से सुख-समृद्धि व धन में वृद्धि होती है। |