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=== चैत्र शुक्ल दोज (बालेन्द्र व्रत) ===
 
=== चैत्र शुक्ल दोज (बालेन्द्र व्रत) ===
 
यह व्रत चैत्र मास की शुक्ल पक्ष दोज को रखा जाता है। इस दिन साल के प्रारम्भ में सबसे पहले दिन चन्द्रमा के दर्शन होते हैं। इस दिन चन्द्रमा छोटे होते हैं; इसलिए इन्हें बालेन्द्र कहते हैं। इस दिन ब्रह्माजी की पूजा करें तथा उनकी प्रतिमा के समक्ष बैठकर हवन करें। जिसमें छवि, अन्न मिष्ठान आदि की आहुति दें। साथ ही रात्रि में चन्द्रमा को अर्घ्य दें। इस दिन दही, घी का भोजन करें। यह व्रत समस्त मनोकामनाओं को पूर्ण करने वाला है तथा यह व्रत मृत्यु के पश्चात् मोक्ष प्रदान करता है। इस व्रत के प्रभाव से सुख-समृद्धि व धन में वृद्धि होती है।
 
यह व्रत चैत्र मास की शुक्ल पक्ष दोज को रखा जाता है। इस दिन साल के प्रारम्भ में सबसे पहले दिन चन्द्रमा के दर्शन होते हैं। इस दिन चन्द्रमा छोटे होते हैं; इसलिए इन्हें बालेन्द्र कहते हैं। इस दिन ब्रह्माजी की पूजा करें तथा उनकी प्रतिमा के समक्ष बैठकर हवन करें। जिसमें छवि, अन्न मिष्ठान आदि की आहुति दें। साथ ही रात्रि में चन्द्रमा को अर्घ्य दें। इस दिन दही, घी का भोजन करें। यह व्रत समस्त मनोकामनाओं को पूर्ण करने वाला है तथा यह व्रत मृत्यु के पश्चात् मोक्ष प्रदान करता है। इस व्रत के प्रभाव से सुख-समृद्धि व धन में वृद्धि होती है।
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=== मत्स्यावतार जयन्ती ===
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यह व्रत चैत्र शुक्ल पक्ष की तृतीया को रखा जाता है। इस दिन भगवान मत्स्यावतार का जन्म माना जाता है, इसलिए इस दिन मत्स्यावतार की पूजा करनी चाहिए। यदि मत्स्यावतार की मूर्ति हो तो उसको स्नान कराके पूजन करें। भोग लगाकर फूल, धूप, दीप, चन्दन आदि से आरती उतारें। इस दिन चावलों का भोग लगाकर उसी को बांट देवें, कथा सुनें और स्वयं भी प्रसाद ग्रहण करें। इस प्रकार व्रत व पूजन करने से मनुष्य की रक्षा भगवान करते हैं। जिस प्रकार भगवान की सृष्टि की अन्तिम.अंकुरों की रक्षा की थी, उसी प्रकार निश्च्छल भाव से पूजन करने वाले भक्तों की भी रक्षा भगवान करते हैं।
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=== कुमार व्रत ===
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यह व्रत चैत्र मास शुक्ल पक्ष की षष्ठमी को रखा जाता है। इस दिन भगवान शिवजी के बड़े पुत्र कार्तिकेयजी की पूजा करनी चाहिए। भगवान कार्तिकेय की मूर्ति को शुद्ध जल से स्नान कराने के पश्चात् वस्त्राभूषणों से सुशोभित कर फलों का भोग लगाकर धूप, दीप आदि से आरती उतारें। फलों के भोग को भक्तजनों में बांटकर स्वयं भी प्रसाद ग्रहण करें। कुमार व्रत रखने वालों में भगवान ऊंचे विचार पैदा करते हैं, धन व पुत्रादि देते हैं; अन्ततः मोक्ष प्रदान करते हैं।
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=== रामनवमी ===
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चैत्र शुक्ल नवमी को इस दिन भगवान राम ने प्रादुर्भाव होकर बहुत- -से राक्षसों को मारकर इस पृथ्वी का भार उतारा और अपने भक्तों की रक्षा की। इनके चरित्र को ऋषि बाल्मीकि ने रामायण में तथा सन्त तुलसीदासजी ने रामचरितमानस में विस्तारपूर्वक वर्णन किया है। इन दिनों रामचरितमानस और रामायण का पाठ करने से मनुष्य संसार के जन्म-मरण के बंधनों से छूटकर मोक्ष पद को प्राप्त हो जाता है। पूरे भारतवर्ष के हिन्दू-परिवारों में श्रीराम का यह जन्म-महोत्सव मनाया जाता है। इस दिन के व्रत दशमी को करने का विधान है। पूजन के बाद यथाशक्ति सुपात्र ब्राह्मणों को दान करना चाहिए ।यह व्रत वास्तव में श्री हनुमानजी की भक्ति, लक्षमण जी की निष्ठा एवं जटायु के त्याग का स्मरण करता है ।
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