चैत्र शुक्ल नवमी को इस दिन भगवान राम ने प्रादुर्भाव होकर बहुत- -से राक्षसों को मारकर इस पृथ्वी का भार उतारा और अपने भक्तों की रक्षा की। इनके चरित्र को ऋषि बाल्मीकि ने रामायण में तथा सन्त तुलसीदासजी ने रामचरितमानस में विस्तारपूर्वक वर्णन किया है। इन दिनों रामचरितमानस और रामायण का पाठ करने से मनुष्य संसार के जन्म-मरण के बंधनों से छूटकर मोक्ष पद को प्राप्त हो जाता है। पूरे भारतवर्ष के हिन्दू-परिवारों में श्रीराम का यह जन्म-महोत्सव मनाया जाता है। इस दिन के व्रत दशमी को करने का विधान है। पूजन के बाद यथाशक्ति सुपात्र ब्राह्मणों को दान करना चाहिए ।यह व्रत वास्तव में श्री हनुमानजी की भक्ति, लक्षमण जी की निष्ठा एवं जटायु के त्याग का स्मरण करता है । | चैत्र शुक्ल नवमी को इस दिन भगवान राम ने प्रादुर्भाव होकर बहुत- -से राक्षसों को मारकर इस पृथ्वी का भार उतारा और अपने भक्तों की रक्षा की। इनके चरित्र को ऋषि बाल्मीकि ने रामायण में तथा सन्त तुलसीदासजी ने रामचरितमानस में विस्तारपूर्वक वर्णन किया है। इन दिनों रामचरितमानस और रामायण का पाठ करने से मनुष्य संसार के जन्म-मरण के बंधनों से छूटकर मोक्ष पद को प्राप्त हो जाता है। पूरे भारतवर्ष के हिन्दू-परिवारों में श्रीराम का यह जन्म-महोत्सव मनाया जाता है। इस दिन के व्रत दशमी को करने का विधान है। पूजन के बाद यथाशक्ति सुपात्र ब्राह्मणों को दान करना चाहिए ।यह व्रत वास्तव में श्री हनुमानजी की भक्ति, लक्षमण जी की निष्ठा एवं जटायु के त्याग का स्मरण करता है । |