Changes

Jump to navigation Jump to search
Line 452: Line 452:  
गृहस्थाश्रम की इस प्रकार की शिक्षा विद्यालयों में देने से ही घर बचेंगे । घर बचेंगे तो संस्कृति बचेगी ।
 
गृहस्थाश्रम की इस प्रकार की शिक्षा विद्यालयों में देने से ही घर बचेंगे । घर बचेंगे तो संस्कृति बचेगी ।
   −
+
8. घर में साथ साथ जीने का एक अत्यन्त प्रभावी माध्यम व्यवसाय है । पतिपत्नी यदि एक ही व्यवसाय करते हैं, साथ मिलकर व्यवसाय करते हैं और अपनी सन्तानो को  भी अपने व्यवसाय में साथ लेने की योजना बनाते हैं तो घर कितना महत्त्वपूर्ण और अर्थपूर्ण स्थान बन जाता है इसकी कल्पना करने में भी आनन्द है । उसमें भी यदि घर में ही व्यवसाय भी चलता हो तो और भी अच्छा है । इससे सुख, समृद्धि और आनन्द तीनों मिलते हैं । ऐसे गृह के लाभ विद्यार्थियों के मन और मस्तिष्क में बिठाना विद्यालय का काम है ।
   −
घर में साथ साथ जीने का एक अत्यन्त प्रभावी माध्यम
+
आज यदि विद्यालयों ने ऐसा किया तो दो पीढ़ी बाद घर स्वयं शिक्षा के केन्द्र बन जायेंगे और प्रत्यक्ष विद्यालयों में ज्ञान के नये नये क्षेत्र खुलते जायेंगे ।
   −
व्यवसाय है । पतिपत्नी यदि एक ही व्यवसाय करते
+
=== विद्यार्थियों का सामाजिक दायित्वबोध ===
   −
हैं, साथ मिलकर व्यवसाय करते हैं और अपनी
+
==== समाज के लिये समृद्धि और संस्कृति दोनों आवश्यक ====
 +
सुसंस्कृत मनुष्यों का समूह समाज कहा जाता है । समाज के अंगभूत घटक बनकर रहना मनुष्य के लिये स्वाभाविक है, इष्ट भी है । परन्तु समाज के अंगभूत घटक बनकर रहने के लिये मनुष्य को साधना करनी होती है, बहुत कुछ सीखना होता है । यही उसका धर्म है, यही उसकी शिक्षा का महत्त्वपूर्ण अंग है ।
   −
aa a भी अपने व्यवसाय में साथ लेने की
+
श्रेष्ठ समाज के दो लक्षण हैं, एक है समृद्धि और दूसरा है संस्कृति । दोनों अनिवार्य हैं । दोनों एकदूसरे के लिये उपकारक हैं । संस्कृति के बिना समृद्धि आसुरी बन जाती है । आसुरी समृद्धि कुछ समय तक तो सुख देने वाली होती है परन्तु अन्ततोगत्वा यह अपना और सबका नाश करती है । समृद्धि के बिना संस्कृति की रक्षा ही नहीं हो सकती | धर्मों रक्षति रक्षित: अर्थात्‌ धर्म की रक्षा करो तो धर्म तुम्हारी रक्षा करेगा ऐसा वचन हमने सुना है । संस्कृति धर्म की ही रीति है इसलिये जो बात धर्म को लागू है वही संस्कृति को भी लागू है । संस्कृति की रक्षा करने से ही वह हमारी रक्षा करती है । समृद्धि नहीं है तो संस्कृति की रक्षा नहीं हो सकती । अतः दोनों चाहिये ।
   −
योजना बनाते हैं तो घर कितना महत्त्वपूर्ण और
+
==== संस्कृति के अभाव में समृद्धि आसुरी बन जाती है उसके क्या लक्षण हैं ? ====
 
+
* समृद्धि प्राप्त करने के लिये असंस्कारी व्यक्ति अनैतिक पद्धति अपनाता है । वह असत्य, कपट और शोषण का मार्ग अपनाता है ।
अर्थपूर्ण स्थान बन जाता है इसकी कल्पना करने में भी
+
* अपना अधिकार नहीं है ऐसी वस्तुयें भी प्राप्त करने की चाह रखता है, प्राप्त करने के प्रयास भी करता है।
 
+
* वह चोरी और लूट करता है, दुर्बलों की सम्पत्ति छीन लेता है ।
आनन्द है । उसमें भी यदि घर में ही व्यवसाय भी
+
* वह दान नहीं करता उल्टे अधिक से अधित स्वयं ही लेना चाहता है ।
 
  −
चलता हो तो और भी अच्छा है । इससे सुख, समृद्धि
  −
 
  −
और आनन्द तीनों मिलते हैं ।
  −
 
  −
ऐसे गृह के लाभ विद्यार्थियों के मन और मस्तिष्क में
  −
 
  −
बिठाना विद्यालय का काम है ।
  −
 
  −
आज यदि विद्यालयों ने ऐसा किया तो दो पीढ़ी बाद
  −
 
  −
घर स्वयं शिक्षा के केन्द्र बन जायेंगे और प्रत्यक्ष
  −
 
  −
विद्यालयों में ज्ञान के नये नये क्षेत्र खुलते जायेंगे ।
  −
 
  −
विद्यार्थियों का सामाजिक दायित्वबोध
  −
 
  −
समाज के लिये समृद्धि और संस्कृति दोनों आवश्यक
  −
 
  −
सुसंस्कृत मनुष्यों का समूह समाज कहा जाता है ।
  −
 
  −
समाज के अंगभूत घटक बनकर रहना मनुष्य के लिये
  −
 
  −
स्वाभाविक है, इष्ट भी है । परन्तु समाज के अंगभूत घटक
  −
 
  −
बनकर रहने के लिये मनुष्य को साधना करनी होती है,
  −
 
  −
बहुत कुछ सीखना होता है । यही उसका धर्म है, यही
  −
 
  −
उसकी शिक्षा का महत्त्वपूर्ण अंग है ।
  −
 
  −
श्रेष्ठ समाज के दो लक्षण हैं, एक है समृद्धि और दूसरा
  −
 
  −
Yo
  −
 
  −
............. page-57 .............
  −
 
  −
पर्व २ : विद्यार्थी, शिक्षक, विद्यालय, परिवार
  −
 
  −
है संस्कृति । दोनों अनिवार्य हैं । दोनों एकदूसरे के लिये
  −
 
  −
उपकारक हैं । संस्कृति के बिना समृद्धि आसुरी बन जाती
  −
 
  −
है । आसुरी समृद्धि कुछ समय तक तो सुख देने वाली होती
  −
 
  −
है परन्तु अन्ततोगत्वा यह अपना और सबका नाश करती
  −
 
  −
है । समृद्धि के बिना संस्कृति की रक्षा ही नहीं हो सकती |
  −
 
  −
धर्मों रक्षति रक्षित: अर्थात्‌ धर्म की रक्षा करो तो धर्म तुम्हारी
  −
 
  −
रक्षा करेगा ऐसा वचन हमने सुना है । संस्कृति धर्म की ही
  −
 
  −
रीति है इसलिये जो बात धर्म को लागू है वही संस्कृति को
  −
 
  −
भी लागू है । संस्कृति की रक्षा करने से ही वह हमारी रक्षा
  −
 
  −
करती है । समृद्धि नहीं है तो संस्कृति की रक्षा नहीं हो
  −
 
  −
सकती । अतः दोनों चाहिये ।
  −
 
  −
संस्कृति के अभाव में समृद्धि आसुरी बन जाती है
  −
 
  −
उसके क्या लक्षण हैं ?
  −
 
  −
०... समृद्धि प्राप्त करने के लिये असंस्कारी व्यक्ति अनैतिक
  −
 
  −
पद्धति अपनाता है । वह असत्य, कपट और शोषण
  −
 
  −
का मार्ग अपनाता है ।
  −
 
  −
०... अपना अधिकार नहीं है ऐसी वस्तुयें भी प्राप्त करने
  −
 
  −
की चाह रखता है, प्राप्त करने के प्रयास भी करता
  −
 
  −
है।
  −
 
  −
०... वह चोरी और लूट करता है, दुर्बलों की सम्पत्ति छीन
  −
 
  −
लेता है ।
  −
 
  −
०... वह दान नहीं करता उल्टे अधिक से अधित स्वयं ही
  −
 
  −
लेना चाहता है ।
  −
 
  −
आज अनेक स्वरूपों में संस्कृतिविहीन समृद्धि
  −
 
  −
प्राप्त करने के प्रयास दिख रहे हैं. . .
      +
==== आज अनेक स्वरूपों में संस्कृतिविहीन समृद्धि प्राप्त करने के प्रयास दिख रहे हैं. . . ====
 
०... जब रासायनिक खाद का और यंत्रों का प्रयोग होता
 
०... जब रासायनिक खाद का और यंत्रों का प्रयोग होता
  
1,815

edits

Navigation menu