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अपने परिवार, समाज और संस्कृति के अनुरूप ही हमारी जीवनचर्या होती है । उदाहरण के लिये हम भारतीय हैं, हम संकुचित और स्वार्थी नहीं हो सकते, विश्व कल्याण हो सके ऐसी ही हमारी जीवनचर्या होगी । हम पृथ्वी, पानी, वनस्पति, प्राणी और मनुष्यों का शोषण नहीं कर सकते |
 
अपने परिवार, समाज और संस्कृति के अनुरूप ही हमारी जीवनचर्या होती है । उदाहरण के लिये हम भारतीय हैं, हम संकुचित और स्वार्थी नहीं हो सकते, विश्व कल्याण हो सके ऐसी ही हमारी जीवनचर्या होगी । हम पृथ्वी, पानी, वनस्पति, प्राणी और मनुष्यों का शोषण नहीं कर सकते |
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इस प्रकार हमारी दिनचर्या, ऋतुचर्या और जीवनचर्या
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इस प्रकार हमारी दिनचर्या, ऋतुचर्या और जीवनचर्या सन्तुलित होती है तभी उसे वैज्ञानिक कहा जा सकता है ।
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कहने की आवश्यकता नहीं कि बातबात में वैज्ञानिकता की दुहाई देने के बाद भी प्रत्यक्ष व्यवहार में हम वैज्ञानिकता से कोसों दूर है। प्रत्यक्ष व्यवहार में घोर अवैज्ञानिक होते है तब भी हमें असुविधाजनक लगने वाली बातों को अवैज्ञानिक कहकर उन्हें छोड़ते जा रहे हैं।  इस उलटी दिशा को सही करना शिक्षा का काम है।
 
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पर्व २ : विद्यार्थी, शिक्षक, विद्यालय, परिवार
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सन्तुलित होती है तभी उसे वैज्ञानिक कहा जा सकता है । अवैज्ञानिक होते हैं तब भी हमें
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कहने की आवश्यकता नहीं कि बातबात में... असुविधाजनक लगने वाली बातों को अवैज्ञानिक कहकर
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वैज्ञानिकता की दुहाई देने के बाद भी प्रत्यक्ष व्यवहार में. उन्हें छोड़ते जा रहे हैं । इस उल्टी दिशा को सही करना
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हम वैज्ञानिकता से कोसों दूर हैं । प्रत्यक्ष व्यवहार में घोर... शिक्षा का काम है ।
      
=== विद्यार्थियों की मानसिकता : समस्या और निराकरण ===
 
=== विद्यार्थियों की मानसिकता : समस्या और निराकरण ===
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