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==== यह तो व्यावहारिकता है ====
==== यह तो व्यावहारिकता है ====
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मार्गदर्शन, न निषेध । दस प्रतिशत विद्यार्थी अपनी पढाई
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महाविद्यालयीन छात्रा के मुख से सुना हुआ एक किस्सा है। आजकल सभी स्तरों की, परीक्षाओं में एमसीक्यू (मल्टीपल चोईस क्वेश्चन) सही पर्याय ढूँढने के प्रश्न पूछे जाते हैं । बीस प्रतिशत अंकों के होते हैं । अर्थात् एक प्रश्न होता है, उसके चार उत्तर प्रश्नपत्र में ही दिये जाते हैं। उनमें से जो सही उत्तर है उसके ऊपर निशान लगाना होता है। वह छात्रा कह रही थी कि परीक्षा खण्ड में सब मिलकर एक मेधावी छात्र निश्चित करते हैं । संकेत निश्चित किया जाता है। वह नाक पर पेन टिकाता है तो संकेत है कि सही उत्तर 'ए' है, ठुड्डी पर टिकाता है तो सही उत्तर 'बी' है, कुछ और संकेत पर 'सी', कुछ और पर 'डी' । वह कह रही थी कि परीक्षा शुरू होने से प्रथम दस या पन्द्रह मिनट में सभी विद्यार्थी यह उत्तर मालिका पूरी कर देते हैं बाद में अन्य प्रश्नों की ओर मुडते हैं । उस छात्रा से कहा गया कि यह तो अनैतिक आचरण है, यह परीक्षा में नकल करना है, तब उसका उत्तर था कि यह तो व्यावहारिकता है, इन बीस उत्तरों के लिये पूरा पाठ्यक्रम अच्छी तरह से पढने की झंझट से बचने में क्या बुराई है ।
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महाविद्यालयीन छात्रा के मुख से सुना हुआ एक को गम्भीरता | लेते हैं, शेष मजे नि के लिये
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किस्सा है। आजकल सभी स्तरों की, परीक्षाओं में महाविद्यालय में जाते हैं । महाविद्यालय में जाकर कक्षा में
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एमसीक्यू (मल्टीपल चोईस क्रेश्नन) सही पर्याय ढूँढने के नहीं जाना, होटल में जाना, स्कूटर या बाइक पर बैठकर
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प्रश्न पूछे जाते हैं । बीस प्रतिशत अंकों के होते हैं । अर्थात बातें करना, छेडछाड करना आम बात है । महाविद्यालयों
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एक प्रश्न होता है, उसके चार उत्तर प्रश्नपत्र में ही दिये जाते... के प्रवास कार्यक्रमों में, रंगमंच कार्यक्रमों में, स्वतन्त्रता के
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हैं। उनमें से जो सही उत्तर हैं उसके ऊपर निशान लगाना... म पर स्वैरता, उच्छृंखलता और स्वच्छन्दता दिखाई देती
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होता है। वह छात्रा कह रही थी कि परीक्षा खण्ड में सब... हैं । कला के प्रदर्शन में सुरुचि, संस्कारिता और आभिजात्य
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मिलकर एक मेधावी छात्र निश्चित करते हैं । संकेत निश्चित नहीं दिखाई देते हैं . टीवी कार्यक्रमों , धारावाहिकों तथा
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किया जाता है । वह नाक पर पेन टिकाता है तो संकेत है... फिल्मों का प्रभाव वेशभूषा, केशभूषा, अलंकार, सौन्दर्य
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कि सही उत्तर wa, Saka dda WH, बोलचाल आदि में दिखाई देता है । देशभक्ति और
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'बी' है, कुछ और संकेत पर सी', कुछ और पर “डी' । सामाजिक सरोकार कहीं नहीं दिखाई देते । नवरात्रि,
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वह कह रही थी कि परीक्षा शुरू होने से प्रथम दस या ख़िस्ती नूतनवर्ष, वेलेण्टाइन डे जैसे समारोहों में स्खलनों
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पन््द्रह मिनट में सभी विद्यार्थी यह उत्तर मालिका पूरी कर. फी कोई सीमा नहीं रहती । हमारे अनुभवी मनीषियों ने कह
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कहा गया कि यह तो अनैतिक आचरण है, यह परीक्षा में यौवनं धनसम्पत्ति प्रभुत्वं अविवेकिता ।
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नकल करना है, तब उसका उत्तर था कि यह तो एकैकमप्यनर्थाय किमु यत्र चतुष्ट्यम् ।।
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व्यावहारिकता है, इन बीस उत्तरों के लिये पूरा पाठ्यक्रम अर्थात् ;
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अच्छी तरह से पढ़ने की झंझट से बचने में कया बुराई है । यौवन, धनसम्पत्ति, सत्ता और अविवेक में से एक भी
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यदि है तो वह अनर्थ का कारण बनता है । जहाँ चारों
==== मानसिकता के आयाम ====
==== मानसिकता के आयाम ====
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एकत्र हों तब तो अनर्थ की सीमा ही नहीं रहती ।
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महाविद्यालयीन छात्रों की यह मानसिकता है । परीक्षा में नकल करना उन्हें अपराध नहीं लगता है। इनकी
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महाविद्यालयीन छात्रों की यह मानसिकता है । परीक्षा आज के महाविद्यालय के विद्यार्थियों में दो तो होते
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में नकल करना उन्हें अपराध नहीं लगता है। इनकी. ही हैं। ये हैं यौवन और दूसरा है अविवेक । ठीक से
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मानसिकता के और आयाम भी उतने ही आधघातजनक है। .. रगोपन और अध्ययन नहीं होने के कारण से विवेक का
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जरा देखें... विकास नहीं होता है । इसके परिणाम स्वरूप अनर्थों की
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१, हम महाविद्यालय में पढ रहे हैं, अब हम स्वतन्त्र ... परम्परा निर्मित होती है । अपने अध्यापकों के प्रति उन्हें
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हैं, हमें कोई टोक नहीं सकता । वख््र परिधान में, खान पान... आदर नहीं होता । अनुशासनमें रहने की वृत्ति नहीं होती ।
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में, मनोरंजन में हमें न किसी का परामर्श चाहिये, न... गम्भीर अध्ययन करने की न इच्छा होती है न क्षमता ।
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