अपने परिवार, समाज और संस्कृति के अनुरूप ही हमारी जीवनचर्या होती है । उदाहरण के लिये हम भारतीय हैं, हम संकुचित और स्वार्थी नहीं हो सकते, विश्व कल्याण हो सके ऐसी ही हमारी जीवनचर्या होगी । हम पृथ्वी, पानी, वनस्पति, प्राणी और मनुष्यों का शोषण नहीं कर सकते | | अपने परिवार, समाज और संस्कृति के अनुरूप ही हमारी जीवनचर्या होती है । उदाहरण के लिये हम भारतीय हैं, हम संकुचित और स्वार्थी नहीं हो सकते, विश्व कल्याण हो सके ऐसी ही हमारी जीवनचर्या होगी । हम पृथ्वी, पानी, वनस्पति, प्राणी और मनुष्यों का शोषण नहीं कर सकते | |