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==== व्यर्थ का खर्च टाले ====
 
==== व्यर्थ का खर्च टाले ====
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'''फालतू खर्चमत करो'''
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मित्रो हमें अपने आस-पास की अनेक वस्तुएँ चाहिए। कुछ प्राकृतिक वस्तुएँ तो कुछ मनुष्य निर्मित वस्तुएँ । उदाहरण के लिए पानी, बिजली, कागज, कपड़ा और पैसे आदि। ऐसी अनेक वस्तुओं का उपयोग करके हम अपना काम पूरा करते हैं । प्रत्येक वस्तु उपयोगी होती है।
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तुम्हारी माँ तुम्हें कहती है, बाल्टी भर गई हो तो नल बन्द कर दे, अन्यथा व्यर्थ में पानी बहेगा। तुम अपने पिताजी से जब कोई वस्तु माँगते हो तो वे कहते हैं, फालतू खर्च करने के लिए मेरे पास पैसे नहीं हैं। कभी-कभी बड़े भाई कहते हैं, अरे ! मौसम ठंडा है तो पंखा क्यों चला रखा है ? क्यों बिजली बिगाड़ रहा है ?
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इन सब बातों का अर्थ यही है कि जब आवश्यकता न हो तो वस्तु का उपयोग नहीं करना चाहिए। अगर उस समय वस्तु का उपयोग करेंगे तो वह व्यर्थ जायेगा।
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किसी वस्तु का व्यर्थ में उपयोग करना, यह लापरवाही है। अतः किसी भी वस्तु का व्यर्थ में उपयोग नहीं करना चाहिए।
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इसलिए आज हम व्यर्थ के उपयोग को किस प्रकार रोकना चाहिए, जानेंगे।
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==== व्यर्थ में पानी मत बहाओ ====
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पानी को व्यर्थ न गँवाओ।
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झरने का पानी कैसा कलकल' बहता है। नदी का पानी भी कलकल - छलछल बहता है। समुद्र का पानी शान्त होता है।
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ये सभी आवाजें सबको अच्छी लगती है। वर्षा का रिमझिम - रिमझिम गिरता पानी देखकर तो गीत गाने का मन करता है.....। जरा सोचें, क्या हम पानी के बिना जीवित रह सकते हैं, भला ? बिल्कुल नहीं।
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प्यास लगते ही पानी न मिले तो ऊपर-नीचे हो जाते हैं। क्यों कि पानी ही जीवन है। इसलिए पानी का सोच समझकर उपयोग करना चाहिए। पानी को व्यर्थ में नहीं बहाना चाहिए। इसके लिए हमें क्या - क्या करना चाहिए ?
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१. पानी पीते समय जितना चाहिए उतना पानी ही लेना चाहिए। पहले अधिक लेना और बाद में बचा हुआ फेंक देना । अपने इस व्यवहार को बदलना चाहिए।
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२. कपड़े धोने, बर्तन साफ करने, नहाने और साफ-सफाई के लिए पानी की आवश्यकता पड़ती है। इसलिए आवश्यकता के अनुसार ही पानी का उपयोग करना चाहिए। नल को खुला छोड़ कर हाथ-मुँह नहीं धोना, बाल्टी और मग का उपयोग करना चाहिए । इसी प्रकार फव्वारे के नीचे खड़े खड़े नहाने से पता ही नहीं चलता कि कितना पानी व्यर्थ में बह गया।
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३. वर्षा का पानी हमारे घर की छत पर गिरता है और नाली से होता हुआ बाहर गली में बह जाता है । हमें इस पानी को घर के टेंक में इकट्ठा करना चाहिए। इसके लिए बाहर खुलने वाली नालियों के मुँह टेंकसें जोड़ देने चाहिए।
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४. गर्मियों में पानी घटता है, कुँए सूख जाते हैं । अगर हमने वर्षाका पानी जमीन में उतारा तो कुँए नहीं सूखेंगे । और गर्मियों में भी पानी की कमी नहीं होगी।
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पानी का सदुपयोग करो। पानी को फालतू में बहाओगे तो जीवन संकट में पड़ जायेगा।
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'''पानी रोको, पानी बचाओ और पानी को जमीन में उतारो।'''
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==== बिजली जलाओ, सावधानी से ====
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पानी से ही बिजली उत्पन्न होती है। बिजली का महत्त्व भी खूब है। हम बिजली का उपयोग किस किस काम में करते हैं ?
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बल्ब, पंखा, फ्रिज, ईस्त्री, टी.वी. रेलगाड़ियाँ मशीनें आदि अनेक वस्तुओं को चलाने के लिए बिजली का उपयोग होता है।
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बिजली पानी में से पैदा होती है । बिजली कोयले से भी बनाई जाती है। पानी कम होगा तो बिजली कम बनेगी। कोयला कम होगा तब भी बिजली कम बनेगी। इसलिए बिजली का उपयोग भी सावधानी पूर्वक करना चाहिए। सबको बिजली चाहिए । ऐसी बिजली फालतू में खर्च न हो, इसके लिए क्या करना चाहिए ?
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कमरे से बाहर निकलते समय बल्ब, पंखा, एसी बन्द करने चाहिए । ताला लगाने से पहले देख लेना चाहिए कि सब खटके बन्द हैं या नहीं।
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जो काम बिजली के बिना हो सकते हैं, उन कामों को हाथ से करना चाहिए । रसोई घर में बिजली की खपत अधिक होती है । मिक्सर के बदले हाथ घोटनी काम में ली जा सकती है । ऐसा करके हम माँ की सहायता भी कर सकेंगे।
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बिजली की ईस्त्री के स्थान पर कोयले की ईस्त्री काम में ली जा सकती है।
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आजकल सूर्य की उष्मा से चलने वाले उपकरण बनने लगे हैं, हमें सौर उर्जा से चलने वाले साधनों का उपयोग करना चाहिए।
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पूरे दिन टी.वी. देखना बन्द करना चाहिए। इससे बिजली तो बचेगी ही हमारी आँखें भी खराब नहीं होंगी।
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इस प्रकार जितना सम्भव हो, उतना बिजली का फिजूल खर्च टालना चाहिए।
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==== लकड़ी कुदरती सम्पत्ति है ====
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हम लकड़ी का उपयोग किस किस में करते हैं ? लकड़ी से घर में अनेक वस्तुएँ बनती हैं। जैसे कुर्सीटेबल, पलंग, अलमारी, खिड़की-दरवाजे आदि अनेक वस्तुएँ बनती हैं।
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अनेक प्रदेशों में घर भी लकड़ी के ही बनते हैं। खेती तथा अन्य अनेक व्यवसायों में लकड़ी से बने साधन काम आते हैं।
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लिखने के लिए कागज तथा वस्तुएँ रखने के डिब्बे भी लकड़ी से ही बनते हैं।
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खिलौने भी लकड़ी के बनते हैं।
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इनमें कितनी ही वस्तुएँ आवश्यक होती हैं तो कितनी ही केवल शोभा शृंगार के लिए होती हैं। हम घर की सजावट इन्हीं लकड़ी की वस्तुओं से करते हैं।
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परन्तु लकड़ी का बढ़ता उपयोग हमारे लिए संकट खड़ा कर सकता है, जैसे ?
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लकड़ी कहाँ से मिलती है ? वृक्षों से, लकड़ी प्राप्त करने के लिए वृक्ष काटने पड़ते हैं। आवश्यकता से अधिक वृक्ष काटने से धीरे धीरे जंगल समाप्त हो जाते हैं।
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जब जंगल ही नहीं रहेंगे तो पानी बरसाने वाले बादलों को कौन रोकेगा ? जब बादल नहीं रुकेंगे तो वर्षा कैसे होगी ? वर्षा नहीं होगी तो नदियों व कुँओं में पानी कहाँ से आयेगा ? पानी की कमी होगी तो पशु-पक्षी और मनुष्यों का जीवन संकट में पड़ जायेगा । वृक्ष भी बिना पानी सूख जायेंगे।
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अतः लकड़ी का उपयोग जितना आवश्यक है, उतना ही करना चाहिए । हम अनावश्यक लकड़ी जलाकर उसका बिगाड़ करते हैं। एक दूसरे की देखादेखी में भी व्यर्थ खर्च करते हैं।
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आहति देने योग्य पदार्थ ही अहम माना जाता था। किन्तु इसका लाक्षणिक अर्थ है, गुरु के लिये उपयोगी हो ऐसा कुछ न कछ लेकर जाना। क्या आज हर विद्यालय सशुल्क ही चलता है । इसमें किसी को आपत्ति भी नहीं होती । विद्यालय की शुल्कव्यवस्था इस प्रश्नावली के प्रश्न पुछकर कुछ लोगों से बातचीत हुई उनसे प्राप्त उत्तर इस प्रकार रहे -
 
आहति देने योग्य पदार्थ ही अहम माना जाता था। किन्तु इसका लाक्षणिक अर्थ है, गुरु के लिये उपयोगी हो ऐसा कुछ न कछ लेकर जाना। क्या आज हर विद्यालय सशुल्क ही चलता है । इसमें किसी को आपत्ति भी नहीं होती । विद्यालय की शुल्कव्यवस्था इस प्रश्नावली के प्रश्न पुछकर कुछ लोगों से बातचीत हुई उनसे प्राप्त उत्तर इस प्रकार रहे -
  
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