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विक्रम के कंधे पर बेताल बैठकर विक्रम से कहा मै आप को एक कहानी सुनाऊंगा अगर तुमने कुछ बोला तो मै उड़ जाऊंगा | विक्रम से वैताल ने कहा की मै एक कहानी सुनाऊंगा उस कहानी अंत में आप उत्तर नहीं दिया तो तुम्हारे के सर के सौ  टुकड़े हो जाएंगे | बेताल ने विक्रम को कहानी सुनने लगा |
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विक्रम के बेताल को पकड़कर अपने कंधे पर बिठा लिया| कंधे पर बैठकर विक्रम ने बेताल से कहा मै तुम्हे एक कहानी सुनाऊंगा अगर तुमने कुछ बोला तो मै उड़ जाऊंगा | विक्रम से बेताल ने कहा की मै एक कहानी सुनाऊंगा उस कहानी अंत में एक प्रश्न पूछूँगा उसका उत्तर नहीं दिया तो तुम्हारे के सर के सौ  टुकड़े हो जाएंगे | बेताल ने विक्रम को कहानी सुनने लगा |
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एक राज्य में एक बहुत ही ज्ञानी साधू रहते थे |वह एक दिन नगर में घुमने निकले थे | साधू का दिया हुआ आशीर्वाद कभी असफल  नही  होता था | जैसे उन्होंने आगे की तरफ बढ़ा वैसे ही देखा की एक आदमी गरीबो में दान दे रहा था | साधू ने तय किया की वो उस दानी व्यक्ति  के घर पर रुकेगा |
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एक राज्य में बहुत ही ज्ञानी साधू रहते थे |वह एक दिन नगर में घुमने निकले थे | साधू का दिया हुआ आशीर्वाद कभी असफल  नही  होता था | जैसे उन्होंने आगे की तरफ बढ़ा वैसे ही देखा की एक आदमी गरीबो में दान दे रहा था | साधू ने तय किया की वो उस दानी व्यक्ति  के घर पर रुकेगा |
    
उस दानी व्यक्ति ने साधू की बहुत सेवा की | साधू उसकी दानवीरता और सेवा पर प्रसन्न  हो गये और दानी व्यक्ति को कहा मै तुमारी सेवा से प्रसन्न हूँ | तुम मुझसे जो आशीर्वाद मागों गे ओ कभी असफल नहीं होगा |आप सवार्थ भाव से माँगा तो कभी पूरा नहीं होगा |
 
उस दानी व्यक्ति ने साधू की बहुत सेवा की | साधू उसकी दानवीरता और सेवा पर प्रसन्न  हो गये और दानी व्यक्ति को कहा मै तुमारी सेवा से प्रसन्न हूँ | तुम मुझसे जो आशीर्वाद मागों गे ओ कभी असफल नहीं होगा |आप सवार्थ भाव से माँगा तो कभी पूरा नहीं होगा |
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