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उस दानी व्यक्ति ने साधू की बहुत सेवा की | साधू उसकी दानवीरता और सेवा पर प्रसन्न  हो गये और दानी व्यक्ति को कहा मै तुमारी सेवा से प्रसन्न हूँ | तुम मुझसे जो आशीर्वाद मागों गे ओ कभी असफल नहीं होगा |आप सवार्थ भाव से माँगा तो कभी पूरा नहीं होगा |
 
उस दानी व्यक्ति ने साधू की बहुत सेवा की | साधू उसकी दानवीरता और सेवा पर प्रसन्न  हो गये और दानी व्यक्ति को कहा मै तुमारी सेवा से प्रसन्न हूँ | तुम मुझसे जो आशीर्वाद मागों गे ओ कभी असफल नहीं होगा |आप सवार्थ भाव से माँगा तो कभी पूरा नहीं होगा |
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दानी व्यक्ति ने साधू से कहा मै निस्वार्थ भाव से मागूंगा  | दानी व्यक्ति ने साधू से एसा आशीर्वाद  माँगा  की मेरे पास इतनी संपत्ति आए की मेरे हाथों द्वारा गरीबों को दान मिले |कुछ दिन बाद दानी व्यक्ति  गरीब हो गया | अब उस दानी व्यक्ति की एसी हालत हो गई की जो दुसरे लोग दान देकर जाते थे उसी से उसका गुजरा चलता था
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दानी व्यक्ति ने साधू से कहा मै निस्वार्थ भाव से मागूंगा  | दानी व्यक्ति ने साधू से एसा आशीर्वाद  माँगा  की मेरे पास इतनी संपत्ति आए की मेरे हाथों द्वारा गरीबों को दान मिले |कुछ दिन बाद दानी व्यक्ति  गरीब हो गया | अब उस दानी व्यक्ति की एसी हालत हो गई की जो दुसरे लोग दान देकर जाते थे उसी से उसका गुजरा चलता था |
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बेताल  ने विक्रम को कहानी सुनने के बाद एक प्रसन पूछा  की परमज्ञानी साधू का आशीर्वाद सत्य क्यों नही हुआ
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