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सन १९७९ में तत्कालीन सोवियत संघ ने अफघानिस्तान पर सैनिकी आक्रमण कर दिया । तब उस आक्रमण का मुकाबला करने के लिये अमरिकाने जिहादी तत्त्वों को निमंत्रित किया और तालिबान, अल कायदा, लष्कर ए तोयबा और बोको हराम जैसे आतंकी संगठनों का जो जन्म हुआ वह था अफघानिस्तान पर हए सोवियत आक्रमण के विरोध में । हमारा दुर्भाग्य रहा कि उसी दौरान पाकिस्तान को अमरिका की ओर से खाद पानी मिलना शुरु हुआ । ईक्कीसवीं शताब्दी का प्रारम्भ ही न्यूयोर्क पर हुए अति भयंकर आतंकी आक्रमण के साथ हुआ ।  
 
सन १९७९ में तत्कालीन सोवियत संघ ने अफघानिस्तान पर सैनिकी आक्रमण कर दिया । तब उस आक्रमण का मुकाबला करने के लिये अमरिकाने जिहादी तत्त्वों को निमंत्रित किया और तालिबान, अल कायदा, लष्कर ए तोयबा और बोको हराम जैसे आतंकी संगठनों का जो जन्म हुआ वह था अफघानिस्तान पर हए सोवियत आक्रमण के विरोध में । हमारा दुर्भाग्य रहा कि उसी दौरान पाकिस्तान को अमरिका की ओर से खाद पानी मिलना शुरु हुआ । ईक्कीसवीं शताब्दी का प्रारम्भ ही न्यूयोर्क पर हुए अति भयंकर आतंकी आक्रमण के साथ हुआ ।  
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शशी थरूर अत्यंत मार्मिक शब्दों में कहते हैं,<blockquote>'present century is born in blood and baptized in fire!'</blockquote>सन २००३ में अमरिकाने इराक पर हमला चढा कर सद्दाम को समाप्त किया । परिणामतः सुन्नी विरुद्ध शिया इस स्वरूप में भयानक संहार शुरू हुआ। इस्लामी आतंकवाद देखते ही देखते विश्व के सर्व देशों में प्रसारित हुआ। आफ्रिका खंड के नाईजीरिया, माली, घाना, जैसे अनेक देशों में बोको हराम ने कहर ढाया, रुस को चेचन्या के विद्रोहियों ने घायल किया और चीन में सीक्यांग प्रांत में इस्लामी आतंकवाद ने जन्म लिया । एक ओर सुन्नी पंथ वाले तो दूसरी ओर सुन्नी के विरुद्ध शिया, अलावी कुर्द इत्यादि पंथों के अनुयायी, ऐसा प्रकोप प्रारम्भ होने से पूरा अरब जगत आपदाग्रस्त हो गया । सुन्नी देश प्रारम्भ में मानते थे कि इस्लामिक स्टेट ऑफ इराक एंड सीरिया अर्थात आई एस आई एस संगठन केवल गैर सुन्नी को ही परेशान करेगा, परंतु एक बार कोई पंथ स्वयं को ही सत्य मान कर अन्य पंथों पर हमले करने लगता है तब उसी पंथ में उपपंथों का जन्म होता है और उनमें से प्रत्येक पंथ स्वयं को सत्य सिद्ध करने के प्रयास में रहता है । 'जो मेरे साथ नहीं है वह मेरा शत्रु है और उसे खतम ही करना है, उसका शरीर छिन्न विछिन्न करना है' यह सूत्र फिर अनेक भयंकर युद्धों को जन्म देता है। सीरियाने तो ऐसी भीषण लडाईयों की भीषण परिणति का अनुभव लिया है । विगत छः वर्ष में वहां पाँच लाख लोगों का लहू बहाया गया है। इजिप्त, सौदी, अरेबिया, तुर्कस्तान एवं पाकिस्तान जैसे सब देशों में आम तौर पर कत्तलें होती रहती हैं।
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शशी थरूर अत्यंत मार्मिक शब्दों में कहते हैं,<blockquote>'present century is born in blood and baptized in fire!'</blockquote>सन २००३ में अमरिकाने इराक पर हमला चढा कर सद्दाम को समाप्त किया । परिणामतः सुन्नी विरुद्ध शिया इस स्वरूप में भयानक संहार आरम्भ हुआ। इस्लामी आतंकवाद देखते ही देखते विश्व के सर्व देशों में प्रसारित हुआ। आफ्रिका खंड के नाईजीरिया, माली, घाना, जैसे अनेक देशों में बोको हराम ने कहर ढाया, रुस को चेचन्या के विद्रोहियों ने घायल किया और चीन में सीक्यांग प्रांत में इस्लामी आतंकवाद ने जन्म लिया । एक ओर सुन्नी पंथ वाले तो दूसरी ओर सुन्नी के विरुद्ध शिया, अलावी कुर्द इत्यादि पंथों के अनुयायी, ऐसा प्रकोप प्रारम्भ होने से पूरा अरब जगत आपदाग्रस्त हो गया । सुन्नी देश प्रारम्भ में मानते थे कि इस्लामिक स्टेट ऑफ इराक एंड सीरिया अर्थात आई एस आई एस संगठन केवल गैर सुन्नी को ही परेशान करेगा, परंतु एक बार कोई पंथ स्वयं को ही सत्य मान कर अन्य पंथों पर हमले करने लगता है तब उसी पंथ में उपपंथों का जन्म होता है और उनमें से प्रत्येक पंथ स्वयं को सत्य सिद्ध करने के प्रयास में रहता है । 'जो मेरे साथ नहीं है वह मेरा शत्रु है और उसे खतम ही करना है, उसका शरीर छिन्न विछिन्न करना है' यह सूत्र फिर अनेक भयंकर युद्धों को जन्म देता है। सीरियाने तो ऐसी भीषण लडाईयों की भीषण परिणति का अनुभव लिया है । विगत छः वर्ष में वहां पाँच लाख लोगों का लहू बहाया गया है। इजिप्त, सौदी, अरेबिया, तुर्कस्तान एवं पाकिस्तान जैसे सब देशों में आम तौर पर कत्तलें होती रहती हैं।
    
डॉ. अबूबक्र अल बगदादी नामक जिहादी सरदार ने इराक और सीरिया में इस्लामिक स्टेट के नाम से खिलाफत की स्थापना की और' मैं स्वयं ही खलीफा हूँ 'ऐसी घोषणा कर दी, तभी अल कायदा के सरदार एमान अल जवाहरी से भी अधिक शक्तिशाली मुखिया पैदा हुआ। उसके बाद अल नुस्रा, बोको हराम जैसे संगठनों ने उस मुखिया से संपर्क स्थापित किया। भारत सहित अनेक देशों में से इस्लामिक स्टेट के आदेशानुसार आत्मघाती पंथ के जथ्थे इराक की दिशामें आगे बढ़ने लगे । इराक और तुर्कस्तान में रह रहे कुर्द नागरिक इस्लामिक स्टेट एवं खिलाफत के क्रूर हमलों के शिकार हुए । हाल में ही अफघानिस्तान में भी इस्लामिक स्टेट ने अपना स्थान जमा लिया है। इस वर्ष सौदी अरेबिया की अगुवाई में ३९ सुन्नी मुस्लिम राष्ट्र एक झंडे के नीचे आ गये हैं । इन ३९ राष्ट्रों की युति का नेतृत्व पाकिस्तान के भूतपूर्व सरसेनापति जनरल राहील शरीफ के हाथों में सोंपा गया है। 'हमारी युति शांति की प्रस्थापना के लिये निर्माण की गई हैं' ऐसा दावा सौदी अरेबिया व पाकिस्तान के शासकों ने किया है। परंतु यह युति 'हम शिया राष्ट्रों के विरोध में खडी हुई है' ऐसी टिप्पणी इरान ने की है । तात्पर्य यह की इस्लामी आतंकवाद को समाप्त करने के लिये हमें पंथभेद भूल कर एक होना चाहिये यह समज अभी तक किसी को नहीं हुई है। परिणामतः पंथ बुद्ध, टोलीयुद्ध, वंश विच्छेद, अंधाधूंध हत्याएँ जैसी घटनाएँ विश्व में घटती ही रहेगी ऐसे दुश्चिन्ह् दिखाई दे रहे हैं।
 
डॉ. अबूबक्र अल बगदादी नामक जिहादी सरदार ने इराक और सीरिया में इस्लामिक स्टेट के नाम से खिलाफत की स्थापना की और' मैं स्वयं ही खलीफा हूँ 'ऐसी घोषणा कर दी, तभी अल कायदा के सरदार एमान अल जवाहरी से भी अधिक शक्तिशाली मुखिया पैदा हुआ। उसके बाद अल नुस्रा, बोको हराम जैसे संगठनों ने उस मुखिया से संपर्क स्थापित किया। भारत सहित अनेक देशों में से इस्लामिक स्टेट के आदेशानुसार आत्मघाती पंथ के जथ्थे इराक की दिशामें आगे बढ़ने लगे । इराक और तुर्कस्तान में रह रहे कुर्द नागरिक इस्लामिक स्टेट एवं खिलाफत के क्रूर हमलों के शिकार हुए । हाल में ही अफघानिस्तान में भी इस्लामिक स्टेट ने अपना स्थान जमा लिया है। इस वर्ष सौदी अरेबिया की अगुवाई में ३९ सुन्नी मुस्लिम राष्ट्र एक झंडे के नीचे आ गये हैं । इन ३९ राष्ट्रों की युति का नेतृत्व पाकिस्तान के भूतपूर्व सरसेनापति जनरल राहील शरीफ के हाथों में सोंपा गया है। 'हमारी युति शांति की प्रस्थापना के लिये निर्माण की गई हैं' ऐसा दावा सौदी अरेबिया व पाकिस्तान के शासकों ने किया है। परंतु यह युति 'हम शिया राष्ट्रों के विरोध में खडी हुई है' ऐसी टिप्पणी इरान ने की है । तात्पर्य यह की इस्लामी आतंकवाद को समाप्त करने के लिये हमें पंथभेद भूल कर एक होना चाहिये यह समज अभी तक किसी को नहीं हुई है। परिणामतः पंथ बुद्ध, टोलीयुद्ध, वंश विच्छेद, अंधाधूंध हत्याएँ जैसी घटनाएँ विश्व में घटती ही रहेगी ऐसे दुश्चिन्ह् दिखाई दे रहे हैं।

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