Changes

Jump to navigation Jump to search
m
Text replacement - "शुरु" to "आरम्भ"
Line 19: Line 19:     
== इस्लामी आतंकवाद का प्रसार ==
 
== इस्लामी आतंकवाद का प्रसार ==
सन १९७९ में तत्कालीन सोवियत संघ ने अफघानिस्तान पर सैनिकी आक्रमण कर दिया । तब उस आक्रमण का मुकाबला करने के लिये अमरिकाने जिहादी तत्त्वों को निमंत्रित किया और तालिबान, अल कायदा, लष्कर ए तोयबा और बोको हराम जैसे आतंकी संगठनों का जो जन्म हुआ वह था अफघानिस्तान पर हए सोवियत आक्रमण के विरोध में । हमारा दुर्भाग्य रहा कि उसी दौरान पाकिस्तान को अमरिका की ओर से खाद पानी मिलना शुरु हुआ । ईक्कीसवीं शताब्दी का प्रारम्भ ही न्यूयोर्क पर हुए अति भयंकर आतंकी आक्रमण के साथ हुआ ।  
+
सन १९७९ में तत्कालीन सोवियत संघ ने अफघानिस्तान पर सैनिकी आक्रमण कर दिया । तब उस आक्रमण का मुकाबला करने के लिये अमरिकाने जिहादी तत्त्वों को निमंत्रित किया और तालिबान, अल कायदा, लष्कर ए तोयबा और बोको हराम जैसे आतंकी संगठनों का जो जन्म हुआ वह था अफघानिस्तान पर हए सोवियत आक्रमण के विरोध में । हमारा दुर्भाग्य रहा कि उसी दौरान पाकिस्तान को अमरिका की ओर से खाद पानी मिलना आरम्भ हुआ । ईक्कीसवीं शताब्दी का प्रारम्भ ही न्यूयोर्क पर हुए अति भयंकर आतंकी आक्रमण के साथ हुआ ।  
    
शशी थरूर अत्यंत मार्मिक शब्दों में कहते हैं,<blockquote>'present century is born in blood and baptized in fire!'</blockquote>सन २००३ में अमरिकाने इराक पर हमला चढा कर सद्दाम को समाप्त किया । परिणामतः सुन्नी विरुद्ध शिया इस स्वरूप में भयानक संहार आरम्भ हुआ। इस्लामी आतंकवाद देखते ही देखते विश्व के सर्व देशों में प्रसारित हुआ। आफ्रिका खंड के नाईजीरिया, माली, घाना, जैसे अनेक देशों में बोको हराम ने कहर ढाया, रुस को चेचन्या के विद्रोहियों ने घायल किया और चीन में सीक्यांग प्रांत में इस्लामी आतंकवाद ने जन्म लिया । एक ओर सुन्नी पंथ वाले तो दूसरी ओर सुन्नी के विरुद्ध शिया, अलावी कुर्द इत्यादि पंथों के अनुयायी, ऐसा प्रकोप प्रारम्भ होने से पूरा अरब जगत आपदाग्रस्त हो गया । सुन्नी देश प्रारम्भ में मानते थे कि इस्लामिक स्टेट ऑफ इराक एंड सीरिया अर्थात आई एस आई एस संगठन केवल गैर सुन्नी को ही परेशान करेगा, परंतु एक बार कोई पंथ स्वयं को ही सत्य मान कर अन्य पंथों पर हमले करने लगता है तब उसी पंथ में उपपंथों का जन्म होता है और उनमें से प्रत्येक पंथ स्वयं को सत्य सिद्ध करने के प्रयास में रहता है । 'जो मेरे साथ नहीं है वह मेरा शत्रु है और उसे खतम ही करना है, उसका शरीर छिन्न विछिन्न करना है' यह सूत्र फिर अनेक भयंकर युद्धों को जन्म देता है। सीरियाने तो ऐसी भीषण लडाईयों की भीषण परिणति का अनुभव लिया है । विगत छः वर्ष में वहां पाँच लाख लोगों का लहू बहाया गया है। इजिप्त, सौदी, अरेबिया, तुर्कस्तान एवं पाकिस्तान जैसे सब देशों में आम तौर पर कत्तलें होती रहती हैं।
 
शशी थरूर अत्यंत मार्मिक शब्दों में कहते हैं,<blockquote>'present century is born in blood and baptized in fire!'</blockquote>सन २००३ में अमरिकाने इराक पर हमला चढा कर सद्दाम को समाप्त किया । परिणामतः सुन्नी विरुद्ध शिया इस स्वरूप में भयानक संहार आरम्भ हुआ। इस्लामी आतंकवाद देखते ही देखते विश्व के सर्व देशों में प्रसारित हुआ। आफ्रिका खंड के नाईजीरिया, माली, घाना, जैसे अनेक देशों में बोको हराम ने कहर ढाया, रुस को चेचन्या के विद्रोहियों ने घायल किया और चीन में सीक्यांग प्रांत में इस्लामी आतंकवाद ने जन्म लिया । एक ओर सुन्नी पंथ वाले तो दूसरी ओर सुन्नी के विरुद्ध शिया, अलावी कुर्द इत्यादि पंथों के अनुयायी, ऐसा प्रकोप प्रारम्भ होने से पूरा अरब जगत आपदाग्रस्त हो गया । सुन्नी देश प्रारम्भ में मानते थे कि इस्लामिक स्टेट ऑफ इराक एंड सीरिया अर्थात आई एस आई एस संगठन केवल गैर सुन्नी को ही परेशान करेगा, परंतु एक बार कोई पंथ स्वयं को ही सत्य मान कर अन्य पंथों पर हमले करने लगता है तब उसी पंथ में उपपंथों का जन्म होता है और उनमें से प्रत्येक पंथ स्वयं को सत्य सिद्ध करने के प्रयास में रहता है । 'जो मेरे साथ नहीं है वह मेरा शत्रु है और उसे खतम ही करना है, उसका शरीर छिन्न विछिन्न करना है' यह सूत्र फिर अनेक भयंकर युद्धों को जन्म देता है। सीरियाने तो ऐसी भीषण लडाईयों की भीषण परिणति का अनुभव लिया है । विगत छः वर्ष में वहां पाँच लाख लोगों का लहू बहाया गया है। इजिप्त, सौदी, अरेबिया, तुर्कस्तान एवं पाकिस्तान जैसे सब देशों में आम तौर पर कत्तलें होती रहती हैं।
Line 38: Line 38:  
भारत को तो चीन ने फाँस ही लिया है। पाक अधिकृत कश्मीर में से सीधा ग्वादर बंदरगाह तक चीन ने इकॉनोमिक कोरिडोर (economic corridor) निर्माण किया है और भारत के पश्चिम में अरब सागर में उसने छलांग लगाई है। भारत के पूर्व में म्याँमार के क्याउक फ्यू बंदरगाह तक भी चीन ने ऐसा ही 'सिल्क रोड'का निर्माण किया है। हिंदी महासागर में चीन के उत्पात का उल्लेख तो उपर हुआ ही है।  
 
भारत को तो चीन ने फाँस ही लिया है। पाक अधिकृत कश्मीर में से सीधा ग्वादर बंदरगाह तक चीन ने इकॉनोमिक कोरिडोर (economic corridor) निर्माण किया है और भारत के पश्चिम में अरब सागर में उसने छलांग लगाई है। भारत के पूर्व में म्याँमार के क्याउक फ्यू बंदरगाह तक भी चीन ने ऐसा ही 'सिल्क रोड'का निर्माण किया है। हिंदी महासागर में चीन के उत्पात का उल्लेख तो उपर हुआ ही है।  
   −
सारांश यह कि सन १९६२में चीन ने भारत पर हिमालय की वादियों में से आक्रमण किया था। तब से, अर्थात, तिब्बत में अपना पक्का स्थान बना लेने के बाद चीन ने घूसखोरी करनी शुरु कर दी है, 'अरुणाचल हमारा है' ऐसा उद्घोष वह करने लगा है। विगत चार वर्षों से 'समुद्री रेशम मार्ग' के निर्माण से भारत की तीनों दिशाओं में व्याप्त समुद्र में से चीन ने भारत को त्रासदी का अनुभव देना शुरु किया है।
+
सारांश यह कि सन १९६२में चीन ने भारत पर हिमालय की वादियों में से आक्रमण किया था। तब से, अर्थात, तिब्बत में अपना पक्का स्थान बना लेने के बाद चीन ने घूसखोरी करनी आरम्भ कर दी है, 'अरुणाचल हमारा है' ऐसा उद्घोष वह करने लगा है। विगत चार वर्षों से 'समुद्री रेशम मार्ग' के निर्माण से भारत की तीनों दिशाओं में व्याप्त समुद्र में से चीन ने भारत को त्रासदी का अनुभव देना आरम्भ किया है।
    
प्रभु श्री रामचंद्र का चरित्र वर्णन करते हुए कहा गया है, 'समुद्र ईव गांभीर्ये , धैर्येण हिमवान ईव'। यह वर्णन भारत को भी लागू होता है। परंतु चीन ने भारत के आसपास के समुद्र एवं मस्तक पर के मुकुट समान हिमालय, ये दोनों के लिये चिंता का कारण निर्माण किया है।
 
प्रभु श्री रामचंद्र का चरित्र वर्णन करते हुए कहा गया है, 'समुद्र ईव गांभीर्ये , धैर्येण हिमवान ईव'। यह वर्णन भारत को भी लागू होता है। परंतु चीन ने भारत के आसपास के समुद्र एवं मस्तक पर के मुकुट समान हिमालय, ये दोनों के लिये चिंता का कारण निर्माण किया है।

Navigation menu