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अर्थात भारत समक्ष अधिक जटिल आह्वान खड़े ही हैं। चीन और पाकिस्तान की मैत्री राहु केतु की युति समान है। आज रुस भी उस युति के साथ हाथ मिलाने जा रहा है। अमरिका ने भारत, जपान और ऑस्ट्रेलिया इन तीनों देशों के साथ मित्रता के संकेत दिये हैं यह सत्य है परंतु अमरिका के वर्तमान अध्यक्ष डोनाल्ड ट्रम्प विश्वसनीय नहीं लगते है। ग्रेट ब्रिटन का स्मॉल इंग्लैंड में परिवर्तन हुआ है। मुस्लिम देश भारत की ओर द्रष्टि फेरने लगे हैं। क्यों कि भारत की बहुविधता, सर्वसमावेशकता, यहाँ की मिट्टी में समाहित सर्वधर्मसमभाव, यहाँ का लोकतंत्र, आर्थिक विकास, यहाँ की संरक्षण सिद्धता, सुशिक्षितता इत्यादि विशेषताओं का मुस्लिम विश्व पर गहरा प्रभाव होता जा रहा है। परंतु इस्लामिक स्टेट धार्मिक मुस्लिमों को भी प्रभावित करेगा क्या यह गंभीर सवाल हमारे सामने भी उठ खडा हुआ है।
 
अर्थात भारत समक्ष अधिक जटिल आह्वान खड़े ही हैं। चीन और पाकिस्तान की मैत्री राहु केतु की युति समान है। आज रुस भी उस युति के साथ हाथ मिलाने जा रहा है। अमरिका ने भारत, जपान और ऑस्ट्रेलिया इन तीनों देशों के साथ मित्रता के संकेत दिये हैं यह सत्य है परंतु अमरिका के वर्तमान अध्यक्ष डोनाल्ड ट्रम्प विश्वसनीय नहीं लगते है। ग्रेट ब्रिटन का स्मॉल इंग्लैंड में परिवर्तन हुआ है। मुस्लिम देश भारत की ओर द्रष्टि फेरने लगे हैं। क्यों कि भारत की बहुविधता, सर्वसमावेशकता, यहाँ की मिट्टी में समाहित सर्वधर्मसमभाव, यहाँ का लोकतंत्र, आर्थिक विकास, यहाँ की संरक्षण सिद्धता, सुशिक्षितता इत्यादि विशेषताओं का मुस्लिम विश्व पर गहरा प्रभाव होता जा रहा है। परंतु इस्लामिक स्टेट धार्मिक मुस्लिमों को भी प्रभावित करेगा क्या यह गंभीर सवाल हमारे सामने भी उठ खडा हुआ है।
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इस परिस्थिति में मुस्लिमों का सूफी संप्रदाय कैसे बना रहेगा, शताब्दियों से भारत में अपने मूल जमाये बैठा सामाजिक ऐक्य कैसे सुद्रढ होगा, जयिष्णुता और सहिष्णुता, क्रोधावशता और क्षमाशीलता एवं सर्वसमावेशकता और व्यावर्तकता के बीच उचित सन्तुलन कैसे निर्माण होगा वही हमारे लिये चिंता के विषय हैं।
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इस परिस्थिति में मुस्लिमों का सूफी संप्रदाय कैसे बना रहेगा, शताब्दियों से भारत में अपने मूल जमाये बैठा सामाजिक ऐक्य कैसे सुद्रढ होगा, जयिष्णुता और सहिष्णुता, क्रोधावशता और क्षमाशीलता एवं सर्वसमावेशकता और व्यावर्तकता के मध्य उचित सन्तुलन कैसे निर्माण होगा वही हमारे लिये चिंता के विषय हैं।
    
वर्तमान में इंडो पॅसिफिक विश्व में दक्षिण एशिया का ठीक ठीक विस्तार हुआ है। तथ्य तो यह है कि अब बृहत्तर दक्षिण एशिया ही उदयमान हुआ है। इस बृहत्तर दक्षिण एशिया के उत्तर में अफघानिस्तान और मध्य एशिया के पाँच मुस्लिम राष्ट्र जम कर बैठे हुए हैं। पश्चिम में पर्शिया की खाडी है और पूर्व में मलक्का की सामुद्रधुनी है। दक्षिण दिशा में विषुववृत्त तक बृहत्तर दक्षिण एशिया फैला हुआ है। विश्व की अपेक्षा है की यह बृहत्तर दक्षिण एशिया का नेतृत्व भारत करे । भारत ने भी उस दायित्व का स्वीकार किया है ऐसा दिखाई देता है। इसीलिये सन २०१४ के बाद हमारी सरकार ने हीनताबोध को एक ओर कर आत्मविश्वास के साथ अधिक व्यवहार्य, अधिक गतिमान विदेश नीति को कार्यान्वित किया है। अब पहले की असंलग्नता की नीति बहुसंलग्नता में परिवर्तित हुई है। अमरिका, जपान और ऑस्ट्रेलिया, इन राष्ट्रों के साथ हमने हमारे स्नेह सम्बन्ध अधिक द्रढ किये हैं। हमारी संस्कृति का, हमारी भावनाओं का, हमारी कालानुरूप परम्पराओं का यथोचित प्रयोग कर , अर्थात 'soft power' का प्रयोग कर हमने अनेक देशों के साथ मैत्री के सेतु निर्माण किये हैं। पूर्वाभिमुख नीति का पूर्वाभिमुख कृति में रूपान्तर किया है । भूसंलग्न मानसिकता को समुद्र संलग्न मानसिकता का साथ दिया है । भूमिदल, वायुदल एवं नौदल अत्याधुनिक एवं सामर्थ्यशील हों इस हेतु से कदम उठाये हैं। सब से महत्त्वपूर्ण बात यह है कि आवश्यकता होने पर हम सर्जिकल स्ट्राईक कर सकते हैं, शत्रु के आतंकवाद के केंद्र ध्वस्त कर सकते हैं ऐसी हमारी क्षमता हमने विश्व को दीखा दी है। ये सब होने पर भी प्रतियोगी सहकारिता 'responsive cooperation' यही हमारा प्रमुख सूत्र रहा है। पडोस के देश संयम रखते हैं तो हम भी यथोचित सम्बन्ध बनाये रखेंगे, परंतु विरोध करेंगे तो हम भी करारा जवाब देंगे' यही हमारी घोषणा है।
 
वर्तमान में इंडो पॅसिफिक विश्व में दक्षिण एशिया का ठीक ठीक विस्तार हुआ है। तथ्य तो यह है कि अब बृहत्तर दक्षिण एशिया ही उदयमान हुआ है। इस बृहत्तर दक्षिण एशिया के उत्तर में अफघानिस्तान और मध्य एशिया के पाँच मुस्लिम राष्ट्र जम कर बैठे हुए हैं। पश्चिम में पर्शिया की खाडी है और पूर्व में मलक्का की सामुद्रधुनी है। दक्षिण दिशा में विषुववृत्त तक बृहत्तर दक्षिण एशिया फैला हुआ है। विश्व की अपेक्षा है की यह बृहत्तर दक्षिण एशिया का नेतृत्व भारत करे । भारत ने भी उस दायित्व का स्वीकार किया है ऐसा दिखाई देता है। इसीलिये सन २०१४ के बाद हमारी सरकार ने हीनताबोध को एक ओर कर आत्मविश्वास के साथ अधिक व्यवहार्य, अधिक गतिमान विदेश नीति को कार्यान्वित किया है। अब पहले की असंलग्नता की नीति बहुसंलग्नता में परिवर्तित हुई है। अमरिका, जपान और ऑस्ट्रेलिया, इन राष्ट्रों के साथ हमने हमारे स्नेह सम्बन्ध अधिक द्रढ किये हैं। हमारी संस्कृति का, हमारी भावनाओं का, हमारी कालानुरूप परम्पराओं का यथोचित प्रयोग कर , अर्थात 'soft power' का प्रयोग कर हमने अनेक देशों के साथ मैत्री के सेतु निर्माण किये हैं। पूर्वाभिमुख नीति का पूर्वाभिमुख कृति में रूपान्तर किया है । भूसंलग्न मानसिकता को समुद्र संलग्न मानसिकता का साथ दिया है । भूमिदल, वायुदल एवं नौदल अत्याधुनिक एवं सामर्थ्यशील हों इस हेतु से कदम उठाये हैं। सब से महत्त्वपूर्ण बात यह है कि आवश्यकता होने पर हम सर्जिकल स्ट्राईक कर सकते हैं, शत्रु के आतंकवाद के केंद्र ध्वस्त कर सकते हैं ऐसी हमारी क्षमता हमने विश्व को दीखा दी है। ये सब होने पर भी प्रतियोगी सहकारिता 'responsive cooperation' यही हमारा प्रमुख सूत्र रहा है। पडोस के देश संयम रखते हैं तो हम भी यथोचित सम्बन्ध बनाये रखेंगे, परंतु विरोध करेंगे तो हम भी करारा जवाब देंगे' यही हमारी घोषणा है।

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