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→‎अजमेर ( अजयमेरु ): लेख सम्पादित किया
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=== अजमेर ( अजयमेरु ) ===
 
=== अजमेर ( अजयमेरु ) ===
 
पहाड़ियों से घिरा हुआ सुरम्य स्थल हैअजमेर। पहाड़ी की तलहटी में तारागढ़ नामक दुर्ग है।अजमेर अजयमेरू का अपभ्रंश है। चौहान राजा अजयपाल ने इसकी स्थापना की थी तथा सुरक्षा की दृष्टि से एक सुदृढ़ किला भी बनवाया। पृथ्वीराज विजय’ तथा ‘हम्मीर महाकाव्य में इस बात का प्रमाण भी मिलता है। कुछ विद्वानों के अनुसार महाभारत काल में अजय मेरू विद्यमान था। महमूद गजनवी ने सन् १०२५ में इस नगर को लूटा। अजमेर कभी चौहान, कभी पठान, कभी राठौर तो कभी मुगल शासकों के अधीन रहा। अजमेर के आसपास के राज्य को पुराने समय में सपादक्ष के नाम सेपुकारा जाता था। कर्नल टॉड के अनुसारअजमेर का आधा दिन का झोपड़ा' हिन्दू मन्दिर का विध्वंस करके बनाया गया था। ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती की दरगाह अजमेर का मुख्य आकर्षण है। ख्वाजा विदेश आक्रान्ता शहाबुद्दीन गौरी के साथ दिल्ली आये और अजमेर में रहने लगे। संक्षेप में अजयमेरू (अजमेर) ने उत्थान व पतन दोनों इझेले हैं।अजमेर के पास ही पवित्र पुष्कर झील है।   
 
पहाड़ियों से घिरा हुआ सुरम्य स्थल हैअजमेर। पहाड़ी की तलहटी में तारागढ़ नामक दुर्ग है।अजमेर अजयमेरू का अपभ्रंश है। चौहान राजा अजयपाल ने इसकी स्थापना की थी तथा सुरक्षा की दृष्टि से एक सुदृढ़ किला भी बनवाया। पृथ्वीराज विजय’ तथा ‘हम्मीर महाकाव्य में इस बात का प्रमाण भी मिलता है। कुछ विद्वानों के अनुसार महाभारत काल में अजय मेरू विद्यमान था। महमूद गजनवी ने सन् १०२५ में इस नगर को लूटा। अजमेर कभी चौहान, कभी पठान, कभी राठौर तो कभी मुगल शासकों के अधीन रहा। अजमेर के आसपास के राज्य को पुराने समय में सपादक्ष के नाम सेपुकारा जाता था। कर्नल टॉड के अनुसारअजमेर का आधा दिन का झोपड़ा' हिन्दू मन्दिर का विध्वंस करके बनाया गया था। ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती की दरगाह अजमेर का मुख्य आकर्षण है। ख्वाजा विदेश आक्रान्ता शहाबुद्दीन गौरी के साथ दिल्ली आये और अजमेर में रहने लगे। संक्षेप में अजयमेरू (अजमेर) ने उत्थान व पतन दोनों इझेले हैं।अजमेर के पास ही पवित्र पुष्कर झील है।   
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जोधपुर 
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जोधपुर थार के मरूस्थल का प्रवेश-द्वार कहा जा सकता है। इसकी स्थापना सन 1459 ई. में कु. जोधासिंह ने कीथी। यहाँ पर पहाड़ी पर एक सुदृढ़ किला बना हुआ है। नगर के चारों ओर परकोटा है। अनेक झील, महल तथा मन्दिर नगर के सौन्दर्य को बढ़ाते हैं। मोतीमहल, फूलमहल तथा मानमहल यहाँ के दर्शनीय भवन हैं। अनेक वैष्णव, शैव तथा जैन मन्दिर यहाँ पर विद्यमान हैं। जोधपुर में विजयादशमी आदि पवाँ पर मेले का आयोजन भी किया जाता है।
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=== कोटा-बूढ़ी ===
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नगरद्वय राजस्थान के प्रमुख नगरहैं और राजपूतीइतिहास के साक्षी हैं। यहाँ (कोटा) का पुराना राजवंश वल्लभ सम्प्रदाय में दीक्षित रहा है। अतः यहाँ वल्लभ सम्प्रदाय के कई पुराने व सुन्दर मन्दिर हैं।पुराने किले में भी मधुरेश, श्री नवनीतप्रिया, बालकृष्ण आदि मन्दिरहैं। नगर के पूर्व में  किशोर सागर नामक पवित्र सरोवर हैं। भीमताल, क्षेमकरी देवी मन्दिर, रामेश्वर आदि  बून्दी के समीपवर्ती धार्मिक स्थान हैं।
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बाथट्टाया
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उदयपुर से 48 कि.मी. दूर बनास नदी पर नाथद्वार स्थित है। यहाँ
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भगवान् श्रीनाथ का सुन्दर मन्दिर है। श्री नाथजी की प्रतिमा मूलत:
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वजभूमि में गोवर्धन पर प्रतिष्ठित थी। औरंगजेब के शासन के दौरान वहाँ
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से हटाकर नाथद्वारा मेंप्रस्थापित करा दी गयी। स्वयं महाप्रभु वल्लभाचार्य
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श्री विग्रह को लेकरआये थे। अत: यह स्थान वल्लभाचार्य के शिष्यों का
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प्रमुख तीर्थ स्थल है। नाथद्वारा में वनमाली जी का मन्दिर, मीरा मन्दिर,
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नवनीतलाल जी का मन्दिर तथा अन्य प्रमुख मन्दिरहैं। नाथद्वारा मन्दिर
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के माध्यम से यहाँ हस्तलिखित व मुद्रित ग्रन्थों का विशाल पुस्तकालय
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संचालित किया जाता है। 
    
==References==
 
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