पहाड़ियों से घिरा हुआ सुरम्य स्थल हैअजमेर। पहाड़ी की तलहटी में तारागढ़ नामक दुर्ग है।अजमेर अजयमेरू का अपभ्रंश है। चौहान राजा अजयपाल ने इसकी स्थापना की थी तथा सुरक्षा की दृष्टि से एक सुदृढ़ किला भी बनवाया। पृथ्वीराज विजय’ तथा ‘हम्मीर महाकाव्य में इस बात का प्रमाण भी मिलता है। कुछ विद्वानों के अनुसार महाभारत काल में अजय मेरू विद्यमान था। महमूद गजनवी ने सन् १०२५ में इस नगर को लूटा। अजमेर कभी चौहान, कभी पठान, कभी राठौर तो कभी मुगल शासकों के अधीन रहा। अजमेर के आसपास के राज्य को पुराने समय में सपादक्ष के नाम सेपुकारा जाता था। कर्नल टॉड के अनुसारअजमेर का आधा दिन का झोपड़ा' हिन्दू मन्दिर का विध्वंस करके बनाया गया था। ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती की दरगाह अजमेर का मुख्य आकर्षण है। ख्वाजा विदेश आक्रान्ता शहाबुद्दीन गौरी के साथ दिल्ली आये और अजमेर में रहने लगे। संक्षेप में अजयमेरू (अजमेर) ने उत्थान व पतन दोनों इझेले हैं।अजमेर के पास ही पवित्र पुष्कर झील है। | पहाड़ियों से घिरा हुआ सुरम्य स्थल हैअजमेर। पहाड़ी की तलहटी में तारागढ़ नामक दुर्ग है।अजमेर अजयमेरू का अपभ्रंश है। चौहान राजा अजयपाल ने इसकी स्थापना की थी तथा सुरक्षा की दृष्टि से एक सुदृढ़ किला भी बनवाया। पृथ्वीराज विजय’ तथा ‘हम्मीर महाकाव्य में इस बात का प्रमाण भी मिलता है। कुछ विद्वानों के अनुसार महाभारत काल में अजय मेरू विद्यमान था। महमूद गजनवी ने सन् १०२५ में इस नगर को लूटा। अजमेर कभी चौहान, कभी पठान, कभी राठौर तो कभी मुगल शासकों के अधीन रहा। अजमेर के आसपास के राज्य को पुराने समय में सपादक्ष के नाम सेपुकारा जाता था। कर्नल टॉड के अनुसारअजमेर का आधा दिन का झोपड़ा' हिन्दू मन्दिर का विध्वंस करके बनाया गया था। ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती की दरगाह अजमेर का मुख्य आकर्षण है। ख्वाजा विदेश आक्रान्ता शहाबुद्दीन गौरी के साथ दिल्ली आये और अजमेर में रहने लगे। संक्षेप में अजयमेरू (अजमेर) ने उत्थान व पतन दोनों इझेले हैं।अजमेर के पास ही पवित्र पुष्कर झील है। |