Changes

Jump to navigation Jump to search
m
no edit summary
Line 3: Line 3:  
संविधान के द्वारा अल्पसंख्यकों को अपने जीवन की शिक्षा का प्रावधान किया गया है। यह इसलिए था कि मान लिया गया था कि सामान्य सभी विद्यालयों में भारतीयता की, धार्मिक रीति के अनुरूप शिक्षा तो दी ही जाएगी<ref>दिलीप केलकर, भारतीय शिक्षण मंच</ref>। लेकिन प्रत्यक्ष में ऐसा नहीं हो रहा है।
 
संविधान के द्वारा अल्पसंख्यकों को अपने जीवन की शिक्षा का प्रावधान किया गया है। यह इसलिए था कि मान लिया गया था कि सामान्य सभी विद्यालयों में भारतीयता की, धार्मिक रीति के अनुरूप शिक्षा तो दी ही जाएगी<ref>दिलीप केलकर, भारतीय शिक्षण मंच</ref>। लेकिन प्रत्यक्ष में ऐसा नहीं हो रहा है।
   −
Zales टोयन्बी कहते हैं - मानव जाति को यदि आत्मनाश से बचाना हो तो, जिस प्रकरण का प्रारम्भ पश्चिम ने किया है, उस का अंत अनिवार्यता से भारतीय ही होना चाहिए। इस का कारण भारतीयता या हिन्दुत्व यह एक वैश्विक जीवनइष्टि है, यह है। हिन्दुत्व यह मानवता का दूसरा नाम है। सर्वे भवन्तु सुखिनः याने चर-अचर एेसे सभी जीव सुखी हौ, यह मेरा दायित्व है, मातृवत परदारेषु याने हर पराई स्त्री मेरे लिए माता समान है, वसुधैव कुटुबकम्‌ याने सारी पृथ्वी मेरा कुटुब है, ऐसे वैश्विक विचार हमारी विशेषता भी हैं और इस लिए पहचान भी हैँ। अन्यां से भिन्नता या विशेषता से पहचान बनती है।
+
अर्नाल्ड टोयन्बी कहते हैं - मानव जाति को यदि आत्मनाश से बचाना हो तो, जिस प्रकरण का प्रारम्भ पश्चिम ने किया है, उस का अंत अनिवार्यता से भारतीय ही होना चाहिए। इस का कारण भारतीयता या हिन्दुत्व यह एक वैश्विक जीवनइष्टि है, यह है। हिन्दुत्व यह मानवता का दूसरा नाम है। सर्वे भवन्तु सुखिनः याने चर-अचर एेसे सभी जीव सुखी हौ, यह मेरा दायित्व है, मातृवत परदारेषु याने हर पराई स्त्री मेरे लिए माता समान है, वसुधैव कुटुबकम्‌ याने सारी पृथ्वी मेरा कुटुब है, ऐसे वैश्विक विचार हमारी विशेषता भी हैं और इस लिए पहचान भी हैँ। अन्यां से भिन्नता या विशेषता से पहचान बनती है।
    
हिन्दू जीवन एक सुखी, समृद्ध, सुसंस्कृत जीवन होता है। एेसे जीवन के लिए हमारे पूर्वजौ ने समाज को एक व्यापक संगठन प्रणाली मेँ बाधा था। कुटुब भावना, प्रेम, सहानुभूति, परस्पर विश्वास की व्यावहारिक अभिव्यक्ति ही आध्यात्मिक जीवन है। एक ओर स्नेहपूर्णं आध्यात्मिक जीवन जीते हूए दूसरी ओर अभ्युदय याने भौतिक समृद्धि के लिए किए गए पुरुषार्थ के कारण ही भारत सोने की चिड़िया' भी था।  
 
हिन्दू जीवन एक सुखी, समृद्ध, सुसंस्कृत जीवन होता है। एेसे जीवन के लिए हमारे पूर्वजौ ने समाज को एक व्यापक संगठन प्रणाली मेँ बाधा था। कुटुब भावना, प्रेम, सहानुभूति, परस्पर विश्वास की व्यावहारिक अभिव्यक्ति ही आध्यात्मिक जीवन है। एक ओर स्नेहपूर्णं आध्यात्मिक जीवन जीते हूए दूसरी ओर अभ्युदय याने भौतिक समृद्धि के लिए किए गए पुरुषार्थ के कारण ही भारत सोने की चिड़िया' भी था।  

Navigation menu