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१४. नवरात्रि जैसे उत्सवों में दिखाई देने वाली उच्छृंखलता और उत्सव समाप्ति के बाद बढ़ते हुए गर्भपात की मात्रा सांस्कृतिक अधःपतन का लक्षण है। ये उत्सव धार्मिक और सांस्कृतिक हैं । इनका वैसा ही पवित्र स्वरूप बनाये रखने का दायित्व सामाजिक संस्थाओं तथा शिक्षासंस्थाओं का है ।
 
१४. नवरात्रि जैसे उत्सवों में दिखाई देने वाली उच्छृंखलता और उत्सव समाप्ति के बाद बढ़ते हुए गर्भपात की मात्रा सांस्कृतिक अधःपतन का लक्षण है। ये उत्सव धार्मिक और सांस्कृतिक हैं । इनका वैसा ही पवित्र स्वरूप बनाये रखने का दायित्व सामाजिक संस्थाओं तथा शिक्षासंस्थाओं का है ।
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१५. सार्वजनिक कार्यों की व्यवस्थाओं के लिये सरकार को जितनी कम व्यवस्था करनी पडे उतना अच्छा है । उदाहरण के लिये इन दिनों तीर्थस्थानों के लिये पदयात्रियों की संख्या में बहुत बढोतरी हुई है । उनके यात्रा मार्गों पर भोजन विश्रान्ति की सेवा हेतु अनेक लोग व्यक्तिगत रूप में या समूह बनाकर कार्य करते हैं । उसी प्रकार से प्रचलित यात्राओं, शोभायात्राओं की सेवा और सुरक्षा हेतु लोग स्वेच्छा से आगे आयें इस प्रकार का आयोजन और प्रबोधन सामाजिक संस्थाओं को करना चाहिये ।
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१५. सार्वजनिक कार्यों की व्यवस्थाओं के लिये सरकार को जितनी कम व्यवस्था करनी पड़े उतना अच्छा है । उदाहरण के लिये इन दिनों तीर्थस्थानों के लिये पदयात्रियों की संख्या में बहुत बढोतरी हुई है । उनके यात्रा मार्गों पर भोजन विश्रान्ति की सेवा हेतु अनेक लोग व्यक्तिगत रूप में या समूह बनाकर कार्य करते हैं । उसी प्रकार से प्रचलित यात्राओं, शोभायात्राओं की सेवा और सुरक्षा हेतु लोग स्वेच्छा से आगे आयें इस प्रकार का आयोजन और प्रबोधन सामाजिक संस्थाओं को करना चाहिये ।
    
१६. एक और निर्धन, असंस्कारी और दूसरी ओर अति धनवान और असंस्कारी युवक लडकियों को छेडते हैं । इन पर पुलीस की या न्यायालय की खास कुछ नहीं चलती । इन पर नियन्त्रण करना, उन्हें ऐसे कामों से परावृत्त करना भी सामाजिक संस्थाओं का काम है ।
 
१६. एक और निर्धन, असंस्कारी और दूसरी ओर अति धनवान और असंस्कारी युवक लडकियों को छेडते हैं । इन पर पुलीस की या न्यायालय की खास कुछ नहीं चलती । इन पर नियन्त्रण करना, उन्हें ऐसे कामों से परावृत्त करना भी सामाजिक संस्थाओं का काम है ।

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