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२९. वर्तमान उद्योगों, उत्पादनों, यन्त्रों , रसायनों, व्यवस्थापन, वाहनों आदि को नियन्त्रित करने की शक्ति किसी के पास नहीं है । इनका विकल्प निर्माण किये बिना यह सम्भव भी नहीं होगा । इस प्रकार के उद्यमिता विद्यालय विकल्प निर्माण करने की दिशा में एक कदम सिद्ध होगा ।
 
२९. वर्तमान उद्योगों, उत्पादनों, यन्त्रों , रसायनों, व्यवस्थापन, वाहनों आदि को नियन्त्रित करने की शक्ति किसी के पास नहीं है । इनका विकल्प निर्माण किये बिना यह सम्भव भी नहीं होगा । इस प्रकार के उद्यमिता विद्यालय विकल्प निर्माण करने की दिशा में एक कदम सिद्ध होगा ।
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३०. सोलह वर्ष के होते होते हर तरुण का उत्पादन और अधथर्जिन शुरु हो जाना लगभग अनिवार्य बनाना चाहिये । इन विद्यालयों ने आर्थिक स्वावलम्बन, स्वमान, स्वगौरव आदि से युक्त युवा निर्माण करने चाहिये जो स्वतन्त्र व्यवसाय करें और नौकरी की सुरक्षा का विचार न करें ।
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३०. सोलह वर्ष के होते होते हर तरुण का उत्पादन और अधथर्जिन आरम्भ हो जाना लगभग अनिवार्य बनाना चाहिये । इन विद्यालयों ने आर्थिक स्वावलम्बन, स्वमान, स्वगौरव आदि से युक्त युवा निर्माण करने चाहिये जो स्वतन्त्र व्यवसाय करें और नौकरी की सुरक्षा का विचार न करें ।
    
३१. सोलह से पचीस वर्ष की आयु में दो तीन प्रकार से विचार किया जाना चाहिये । इसमें गृहस्थाश्रम की शिक्षा सबके लिये प्रमुख विषय है । इसके साथ जुड़कर समाजशास्त्र, संस्कृति, धर्म, इतिहास, अर्थशास्त्र, राजशास्त्र आदि सभी बातों का समावेश होगा । दूसरा आयाम है शास्त्रों का अध्ययन और अनुसन्धान । तीसरा विषय है व्यवसाय का प्रगत ज्ञान । तीन में गृहस्थाश्रम की शिक्षा अनिवार्य है । शेष दो में चयन की स्वतन्त्रता भी हो सकती है ।
 
३१. सोलह से पचीस वर्ष की आयु में दो तीन प्रकार से विचार किया जाना चाहिये । इसमें गृहस्थाश्रम की शिक्षा सबके लिये प्रमुख विषय है । इसके साथ जुड़कर समाजशास्त्र, संस्कृति, धर्म, इतिहास, अर्थशास्त्र, राजशास्त्र आदि सभी बातों का समावेश होगा । दूसरा आयाम है शास्त्रों का अध्ययन और अनुसन्धान । तीसरा विषय है व्यवसाय का प्रगत ज्ञान । तीन में गृहस्थाश्रम की शिक्षा अनिवार्य है । शेष दो में चयन की स्वतन्त्रता भी हो सकती है ।

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