३१. सोलह से पचीस वर्ष की आयु में दो तीन प्रकार से विचार किया जाना चाहिये । इसमें गृहस्थाश्रम की शिक्षा सबके लिये प्रमुख विषय है । इसके साथ जुड़कर समाजशास्त्र, संस्कृति, धर्म, इतिहास, अर्थशास्त्र, राजशास्त्र आदि सभी बातों का समावेश होगा । दूसरा आयाम है शास्त्रों का अध्ययन और अनुसन्धान । तीसरा विषय है व्यवसाय का प्रगत ज्ञान । तीन में गृहस्थाश्रम की शिक्षा अनिवार्य है । शेष दो में चयन की स्वतन्त्रता भी हो सकती है । | ३१. सोलह से पचीस वर्ष की आयु में दो तीन प्रकार से विचार किया जाना चाहिये । इसमें गृहस्थाश्रम की शिक्षा सबके लिये प्रमुख विषय है । इसके साथ जुड़कर समाजशास्त्र, संस्कृति, धर्म, इतिहास, अर्थशास्त्र, राजशास्त्र आदि सभी बातों का समावेश होगा । दूसरा आयाम है शास्त्रों का अध्ययन और अनुसन्धान । तीसरा विषय है व्यवसाय का प्रगत ज्ञान । तीन में गृहस्थाश्रम की शिक्षा अनिवार्य है । शेष दो में चयन की स्वतन्त्रता भी हो सकती है । |