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लेख सम्पादित किया
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{{One source|date=August 2020}}
 
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कुट्म्ब में शिक्षा
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''सीखा कैसे जाता है इसकी चर्चा जब होती है तब. में होती है । इस दृष्टि से कुटुम्ब में शिक्षा यह Pama''
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सीखा कैसे जाता है इसकी चर्चा जब होती है तब. में होती है । इस दृष्टि से कुट्म्ब में शिक्षा यह Pama
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''आपग्रहपूर्वक कहा जाता है कि साथ रहकर सीखना अथवा... का एक महत्त्वपूर्ण विषय है । इसलिए यह देखना महत्त्वपूर्ण''
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आपग्रहपूर्वक कहा जाता है कि साथ रहकर सीखना अथवा... का एक महत्त्वपूर्ण विषय है । इसलिए यह देखना महत्त्वपूर्ण
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''सीखने के लिये साथ रहना यह उत्तम पद्धति है'' <ref>धार्मिक शिक्षा : संकल्पना एवं स्वरूप (धार्मिक शिक्षा ग्रन्थमाला १): पर्व ५, प्रकाशक: पुनरुत्थान प्रकाशन सेवा ट्रस्ट, लेखन एवं संपादन: श्रीमती इंदुमती काटदरे</ref>''। गुरुकुलों .. होगा कि कुटुम्ब में शिक्षा होती कैसे है, और Hers की''
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सीखने के लिये साथ रहना यह उत्तम पद्धति है । गुरुकुलों .. होगा कि कुट्म्ब में शिक्षा होती कैसे है, और Hers की
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''में गुरुगृहबास होता है इसलिये भी यह उत्तम पद्धति है।. शिक्षा की विषयवस्तु कौन सी होगी ।''
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में गुरुगृहबास होता है इसलिये भी यह उत्तम पद्धति है।. शिक्षा की विषयवस्तु कौन सी होगी
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''परन्तु शत प्रतिशत छात्र गुरुकुल में नहीं रह सकते साथ कुछ मुद्दों को लेकर ही विचार करना उपयुक्त होगा ।''
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परन्तु शत प्रतिशत छात्र गुरुकुल में नहीं रह सकते । साथ कुछ मुद्दों को लेकर ही विचार करना उपयुक्त होगा
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''ही कोई भी व्यक्ति आजीवन गुरुकुल में नहीं रह सकता ''
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ही कोई भी व्यक्ति आजीवन गुरुकुल में नहीं रह सकता ।
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''केवल अध्यापक ही आजीवन गुरुकुल में रहता है । इस''
 
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केवल अध्यापक ही आजीवन गुरुकुल में रहता है । इस
      
दृष्टि से देखें तो कुटुम्ब लगभग शतप्रतिशत लोग आजीवन शिक्षा का यह महत्त्वपूर्ण सिद्धान्त है । इस पृथ्वी पर
 
दृष्टि से देखें तो कुटुम्ब लगभग शतप्रतिशत लोग आजीवन शिक्षा का यह महत्त्वपूर्ण सिद्धान्त है । इस पृथ्वी पर
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घर में रहते हैं । गुरुकुल में शास्त्रों का अध्ययन होता है यह... जन्म लेने से पूर्व ही मनुष्य का सीखना शुरु हो जाता है
 
घर में रहते हैं । गुरुकुल में शास्त्रों का अध्ययन होता है यह... जन्म लेने से पूर्व ही मनुष्य का सीखना शुरु हो जाता है
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उसकी विशेषता है । इसके अलावा शेष सारी शिक्षा कुट्म्ब SI जन्म के बाद आजीवन उसका शिक्षाक्रम चलता रहता
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उसकी विशेषता है । इसके अलावा शेष सारी शिक्षा कुटुम्ब SI जन्म के बाद आजीवन उसका शिक्षाक्रम चलता रहता
 
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१. कुटुम्ब में आजीवन शिक्षा
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है । जिस प्रकार मनुष्य एक क्षण भी
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कर्म किये बिना नहीं रह सकता उसी प्रकार वह कुछ न
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कुछ सीखे बिना भी नहीं रह सकता । मनुष्य के जीवन की
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अवस्थायें इस प्रकार होती हैं - १. गर्भावस्‍था, 2.
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== कुटुम्ब में आजीवन शिक्षा ==
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जिस प्रकार मनुष्य एक क्षण भी कर्म किये बिना नहीं रह सकता उसी प्रकार वह कुछ न कुछ सीखे बिना भी नहीं रह सकता । मनुष्य के जीवन की अवस्थायें इस प्रकार होती हैं:
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शिशुअवस्था, ३. किशोरअवस्था, ४. तरुण अवस्था, ५.
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१. गर्भावस्‍था, 2. शिशुअवस्था, ३. किशोरअवस्था, ४. तरुण अवस्था, ५. युवावस्था, ६. प्रौढावस्था और ७. वृद्धावस्था । इन सभी
 
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युवावस्था, ६. प्रौदावस्था और ७. वृद्धावस्था । इन सभी
      
अवस्थाओं में उसकी सीखने की पद्धति और विषयवस्तु
 
अवस्थाओं में उसकी सीखने की पद्धति और विषयवस्तु
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शास्त्रों की शिक्षा होती है, ज्ञानार्जन के करणों के विकास
 
शास्त्रों की शिक्षा होती है, ज्ञानार्जन के करणों के विकास
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की शिक्षा होती है। कुट्म्ब की शिक्षा आजीवन शिक्षा
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की शिक्षा होती है। कुटुम्ब की शिक्षा आजीवन शिक्षा
    
होती है । प्रथम दृष्टि से ही विद्यालयीन शिक्षा आजीवन
 
होती है । प्रथम दृष्टि से ही विद्यालयीन शिक्षा आजीवन
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के समय के छात्रावासों के समान ही होंगे ।
 
के समय के छात्रावासों के समान ही होंगे ।
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कुट्म्ब में आजीवन शिक्षा सम्भव होने का
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कुटुम्ब में आजीवन शिक्षा सम्भव होने का
    
स्वाभाविक कारण है । घर में सब परिवार भावना से
 
स्वाभाविक कारण है । घर में सब परिवार भावना से
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ऐसी अपेक्षा करते हैं । ऐसे सम्बन्ध को ही हम ज्ञानार्जन
 
ऐसी अपेक्षा करते हैं । ऐसे सम्बन्ध को ही हम ज्ञानार्जन
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प्रक्रिया का आधार मानते हैं । यह कुट्म्ब में सहज ही
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प्रक्रिया का आधार मानते हैं । यह कुटुम्ब में सहज ही
    
होता है ।
 
होता है ।
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दूसरा महत्त्वपूर्ण आयाम यह है कि कुट्म्ब में आयु
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दूसरा महत्त्वपूर्ण आयाम यह है कि कुटुम्ब में आयु
    
की सभी अवस्थाओं के विद्यार्थी एक साथ रहते हैं । सब
 
की सभी अवस्थाओं के विद्यार्थी एक साथ रहते हैं । सब
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छोटे विद्यार्थियों को पढ़ाते हैं ऐसी व्यवस्था को अच्छी
 
छोटे विद्यार्थियों को पढ़ाते हैं ऐसी व्यवस्था को अच्छी
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व्यवस्था माना गया है । कुट्म्ब में हर आयु के लोग एक
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व्यवस्था माना गया है । कुटुम्ब में हर आयु के लोग एक
    
साथ रहते हैं, उनकी संख्या का अनुपात भी आदर्श ही
 
साथ रहते हैं, उनकी संख्या का अनुपात भी आदर्श ही
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रहता है । कुट्म्ब अच्छा शिक्षा केन्द्र होने का यह दूसरा
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रहता है । कुटुम्ब अच्छा शिक्षा केन्द्र होने का यह दूसरा
    
कारण है ।
 
कारण है ।
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२. आवश्यकता के अनुसार शिक्षा
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== आवश्यकता के अनुसार शिक्षा ==
 
   
aera में जिसे जिस बात की आवश्यकता होती है,
 
aera में जिसे जिस बात की आवश्यकता होती है,
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योग्य शिक्षक भी अपने आप उपलब्ध हो जाते हैं ।
 
योग्य शिक्षक भी अपने आप उपलब्ध हो जाते हैं ।
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कुट्म्ब में क्या क्या सीखने की आवश्यकता होती
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कुटुम्ब में क्या क्या सीखने की आवश्यकता होती
    
है ? इस प्रश्न को दूसरे शब्दों में He a Hera में क्या
 
है ? इस प्रश्न को दूसरे शब्दों में He a Hera में क्या
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उठना, बैठना, खेलना, गाना आदि । यह सब हमारे
 
उठना, बैठना, खेलना, गाना आदि । यह सब हमारे
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............. page-205 .............
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''............. page-205 .............''
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''पर्व ५ : कुटुम्बशिक्षा एवं लोकशिक्षा''
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पर्व ५ : कुटुम्बशिक्षा एवं लोकशिक्षा
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''लिये इतना सहज हो गया है कि यह सीखना भी साथ, अपने से छोटों के साथ,''
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लिये इतना सहज हो गया है कि यह सीखना भी साथ, अपने से छोटों के साथ,
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''होता है यह बात ध्यान में ही नहीं आती । सीखना अपनों के और परायों के साथ, सज्जनों और दुर्जनों''
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होता है यह बात ध्यान में ही नहीं आती सीखना अपनों के और परायों के साथ, सज्जनों और दुर्जनों
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''और सिखाना सहज ही होता रहता है । विशेष रूप के साथ, धनवानों और सत्तावानों के साथ, विद्वानों''
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और सिखाना सहज ही होता रहता है । विशेष रूप के साथ, धनवानों और सत्तावानों के साथ, विद्वानों
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''से विचार करने पर ही ध्यान में आता है कि कुटुम्ब और सन्तों के साथ, नौकरों और चाकरों के साथ''
   −
से विचार करने पर ही ध्यान में आता है कि कुट्म्ब और सन्तों के साथ, नौकरों और चाकरों के साथ
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''नहीं होता तो भाषा नहीं सीखी जाती है, नहाना, कैसा व्यवहार किया जाता है इसकी शिक्षा भी घर में''
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नहीं होता तो भाषा नहीं सीखी जाती है, नहाना, कैसा व्यवहार किया जाता है इसकी शिक्षा भी घर में
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''धोना, खाना, पीना आदि नहीं सीखा जाता है । मिलती है । यह कम मिलती है या अधिक, पर्याप्त''
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धोना, खाना, पीना आदि नहीं सीखा जाता है । मिलती है । यह कम मिलती है या अधिक, पर्याप्त
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''०"... घर के छोटे से लेकर बड़े काम सीखने होते हैं घर मात्रा में मिलती है या अधूरी, अच्छी मिलती है या''
   −
०"... घर के छोटे से लेकर बड़े काम सीखने होते हैं । घर मात्रा में मिलती है या अधूरी, अच्छी मिलती है या
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''में यदि खानापीना है तो खाना बनाना भी है, पानी कम अच्छी, सही मिलती है या गलत इसका आधार''
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में यदि खानापीना है तो खाना बनाना भी है, पानी कम अच्छी, सही मिलती है या गलत इसका आधार
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''भरना भी है, बर्तनों की सफाई करनी है, उन्हें aera के चरित्र पर है । जैसा कुटुम्ब वैसी शिक्षा ।''
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भरना भी है, बर्तनों की सफाई करनी है, उन्हें aera के चरित्र पर है । जैसा कुट्म्ब वैसी शिक्षा
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''जमाकर रखने भी हैं । यदि सोना है तो बिस्तर. *. मन की शिक्षा का मुख्य केन्द्र कुटुम्ब ही है । सारे''
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जमाकर रखने भी हैं यदि सोना है तो बिस्तर. *. मन की शिक्षा का मुख्य केन्द्र कुट्म्ब ही है सारे
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''लगाना और समेटना भी है घर में रहना है तो घर सदूगुण यहीं सीखे जाते हैं झूठ नहीं बोलना,''
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लगाना और समेटना भी है । घर में रहना है तो घर सदूगुण यहीं सीखे जाते हैं । झूठ नहीं बोलना,
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''की साफसफाई करनी है और साजसज्जा भी करनी अनीति नहीं करना, सफलताओं से फूल नहीं जाना,''
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की साफसफाई करनी है और साजसज्जा भी करनी अनीति नहीं करना, सफलताओं से फूल नहीं जाना,
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''है। नहाना धोना है तो कपड़े धोने भी हैं और उपलब्धियों से मदान्वित नहीं होना, लालच में''
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है। नहाना धोना है तो कपड़े धोने भी हैं और उपलब्धियों से मदान्वित नहीं होना, लालच में
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''स्नानगृह की स्वच्छता भी करनी है। संक्षेप में tea नहीं, आपत्तियों में धैर्य नहीं खोना, धमकियों''
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स्नानगृह की स्वच्छता भी करनी है। संक्षेप में tea नहीं, आपत्तियों में धैर्य नहीं खोना, धमकियों
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''असंख्य छोटी बड़ी बातें हैं जो घर के लिये से भयभीत नहीं होना, कष्टीं से नहीं धबड़ाना, स्वार्थ''
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असंख्य छोटी बड़ी बातें हैं जो घर के लिये से भयभीत नहीं होना, कष्टीं से नहीं धबड़ाना, स्वार्थ
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''आवश्यक होती हैं और वे सब सीखनी होती हैं । साधने के लिये किसीकी खुशामद नहीं करना, किसी''
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आवश्यक होती हैं और वे सब सीखनी होती हैं । साधने के लिये किसीकी खुशामद नहीं करना, किसी
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''© घर में बच्चों का संगोपन करना, उन्हें संस्कार देना, की सफलताओं के प्रति मत्सर नहीं होना, स्वमान''
   −
© घर में बच्चों का संगोपन करना, उन्हें संस्कार देना, की सफलताओं के प्रति मत्सर नहीं होना, स्वमान
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''घर के लोगों की शुश्रूषा करना, वृद्धों की ओर नहीं खोना आदि मूल्यवान बातों के लिये दृढ़''
   −
घर के लोगों की शुश्रूषा करना, वृद्धों की ओर नहीं खोना आदि मूल्यवान बातों के लिये दृढ़
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''बीमार लोगों की परिचर्या करना, अतिथिसत्कार मनोबल की आवश्यकता होती है । यही व्यक्ति का''
   −
बीमार लोगों की परिचर्या करना, अतिथिसत्कार मनोबल की आवश्यकता होती है । यही व्यक्ति का
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''करना, ब्रत-उत्सव-त्योहार मनाना, कौट्म्बिक और चरित्र है । यह सब सीखने का प्रमुख eg Hers''
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करना, ब्रत-उत्सव-त्योहार मनाना, कौट्म्बिक और चरित्र है । यह सब सीखने का प्रमुख eg Hers
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''सामुदायिक सम्बन्धों के अनुसार विवाह-जन्म-मृत्यु ही है।''
   −
सामुदायिक सम्बन्धों के अनुसार विवाह-जन्म-मृत्यु ही है।
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''आदि अवसरों में सहभागी होना, समाजसेवा के''
   −
आदि अवसरों में सहभागी होना, समाजसेवा के
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''कार्यों में सहभागी होना आदि अनेक महत्त्वपूर्ण कार्य... *'''
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कार्यों में सहभागी होना आदि अनेक महत्त्वपूर्ण कार्य... *' कौटुम्बिक परिचय
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''कौटुम्बिक परिचय''
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घर में ही सीखे जाते हैं। यह सीखना भी अन्य सभी मनुष्यों के जीवन में pers sc अनिवार्य
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''घर में ही सीखे जाते हैं। यह सीखना भी अन्य सभी मनुष्यों के जीवन में pers sc अनिवार्य''
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विषयों के ही समान क्रियात्मक, भावात्मक और... बना हुआ है कि हम उसे गृहीत मानकर चलते हैं । जिस
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''विषयों के ही समान क्रियात्मक, भावात्मक और... बना हुआ है कि हम उसे गृहीत मानकर चलते हैं । जिस''
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ज्ञानात्मक पद्धति से होता है । विशेष बात यह है कि... प्रकार श्वासप्रश्चास जीवित रहने के लिये अनिवार्य है परन्तु
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''ज्ञानात्मक पद्धति से होता है । विशेष बात यह है कि... प्रकार श्वासप्रश्चास जीवित रहने के लिये अनिवार्य है परन्तु''
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वह इसी क्रम में होता है । यहाँ सबकुछ पहले किया... हम उसे गृहीत ही मानते हैं, उसके लिये खास पुरुषार्थ
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''वह इसी क्रम में होता है । यहाँ सबकुछ पहले किया... हम उसे गृहीत ही मानते हैं, उसके लिये खास पुरुषार्थ''
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जाता है, करना सीखने के बाद और सीखने के साथ... करने की आवश्यकता हमें लगती नहीं है, उसी प्रकार
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''जाता है, करना सीखने के बाद और सीखने के साथ... करने की आवश्यकता हमें लगती नहीं है, उसी प्रकार''
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साथ उसे मन से स्वीकार करना भी सिखाया जाता है... कुट्म्ब में रहने के लिये भी खास कुछ करने की
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''साथ उसे मन से स्वीकार करना भी सिखाया जाता है... कुटुम्ब में रहने के लिये भी खास कुछ करने की''
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और बाद में उसका ज्ञानात्मक पक्ष सीखा जाता है।... आवश्यकता हमें नहीं लगती है । परन्तु वह लगनी चाहिये
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''और बाद में उसका ज्ञानात्मक पक्ष सीखा जाता है।... आवश्यकता हमें नहीं लगती है । परन्तु वह लगनी चाहिये''
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ज्ञानात्मक पक्ष सीखने-सिखाने में विद्यालय, ग्रन्थ, .... ऐसा वर्तमान स्थिति देखकर ध्यान में आता है |
+
''ज्ञानात्मक पक्ष सीखने-सिखाने में विद्यालय, ग्रन्थ, .... ऐसा वर्तमान स्थिति देखकर ध्यान में आता है |''
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सन्त आदि अन्य लोगों की सहायता अवश्य होती हर व्यक्ति की एक व्यक्तिगत पहचान होती है ।
+
''सन्त आदि अन्य लोगों की सहायता अवश्य होती हर व्यक्ति की एक व्यक्तिगत पहचान होती है ।''
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है परन्तु इस क्रियात्मक शिक्षा का केन्द्र तो कुट्म्ब eT या गोरा होना, लम्बा या नाटा होना, बुद्धिमान या
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''है परन्तु इस क्रियात्मक शिक्षा का केन्द्र तो कुटुम्ब eT या गोरा होना, लम्बा या नाटा होना, बुद्धिमान या''
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ae | बुद्ध होना, मूर्ख या समझदार होना, दुर्बल या बलवान
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''ae | बुद्ध होना, मूर्ख या समझदार होना, दुर्बल या बलवान''
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०. अपने से बड़ों के साथ, समान आयु के लोगों के... होना, सुन्दर या कुरूप होना व्यक्तिगत पहचान के आयाम
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''०. अपने से बड़ों के साथ, समान आयु के लोगों के... होना, सुन्दर या कुरूप होना व्यक्तिगत पहचान के आयाम''
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828
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''828''
    
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हैं। परन्तु कुट्म्ब के सन्दर्भ में हर
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हैं। परन्तु कुटुम्ब के सन्दर्भ में हर
    
व्यक्ति की विशेष पहचान होती है । वह किसी का पुत्र
 
व्यक्ति की विशेष पहचान होती है । वह किसी का पुत्र
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किसीका देवर होता है, किसी का बहनोई । यह पहचान
 
किसीका देवर होता है, किसी का बहनोई । यह पहचान
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कुट्म्ब से ही प्राप्त होती है यह तो स्पष्ट ही है । कौट्म्बिक
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कुटुम्ब से ही प्राप्त होती है यह तो स्पष्ट ही है । कौट्म्बिक
    
सम्बन्धों की यह शृंखला बहुत लम्बी चौड़ी होती है । यह
 
सम्बन्धों की यह शृंखला बहुत लम्बी चौड़ी होती है । यह
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भारतीय शिक्षा : संकल्पना एवं स्वरूप
 
भारतीय शिक्षा : संकल्पना एवं स्वरूप
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कुट्म्ब में उस का स्वीकार होता है । कुट्म्ब में सबका
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कुटुम्ब में उस का स्वीकार होता है । कुटुम्ब में सबका
    
समान रूप से अधिकार है । व्यक्ति को आपत्ति में आधार,
 
समान रूप से अधिकार है । व्यक्ति को आपत्ति में आधार,
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दुर्गुणों और दोषों का परिष्कार, दुःखों में आश्वस्ति, संकटों
 
दुर्गुणों और दोषों का परिष्कार, दुःखों में आश्वस्ति, संकटों
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में सहायता कुट्म्ब में सहज प्राप्त होते हैं । न इसका पैसा
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में सहायता कुटुम्ब में सहज प्राप्त होते हैं । न इसका पैसा
    
देना पड़ता है न इसके लिये विज्ञप्ति करनी पड़ती है ।
 
देना पड़ता है न इसके लिये विज्ञप्ति करनी पड़ती है ।
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लेनदेन का हिसाब नहीं होता ।
 
लेनदेन का हिसाब नहीं होता ।
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४. एक पीढी की शिक्षा
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== एक पीढी की शिक्षा ==
 
   
कुट्म्बजीवन परम्परा निर्माण करने का, उसे बनाये
 
कुट्म्बजीवन परम्परा निर्माण करने का, उसे बनाये
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शिक्षित और दीक्षित किया जाता है । हम सहज ही समझ
 
शिक्षित और दीक्षित किया जाता है । हम सहज ही समझ
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सकते हैं कि कुट्म्ब का यह कार्य कितना महत्त्वपूर्ण है ।
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सकते हैं कि कुटुम्ब का यह कार्य कितना महत्त्वपूर्ण है ।
    
संस्कृति रक्षा का यह कार्य कुटुम्ब के अलावा और कहीं
 
संस्कृति रक्षा का यह कार्य कुटुम्ब के अलावा और कहीं
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नहीं हो सकता । इसके छोटे छोटे हिस्से तो अन्यत्र अन्य
 
नहीं हो सकता । इसके छोटे छोटे हिस्से तो अन्यत्र अन्य
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लोगों द्वारा हो सकते हैं परन्तु वे सब कुट्म्ब नामक मुख्य
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लोगों द्वारा हो सकते हैं परन्तु वे सब कुटुम्ब नामक मुख्य
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केन्द्र के पोषक होते हैं । बिना कुट्म्ब के सब अनाश्रित हो
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केन्द्र के पोषक होते हैं । बिना कुटुम्ब के सब अनाश्रित हो
    
जाते हैं ।
 
जाते हैं ।
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पर्व ५ : कुटुम्बशिक्षा एवं लोकशिक्षा
 
पर्व ५ : कुटुम्बशिक्षा एवं लोकशिक्षा
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है । बीज अब अंकुरित और पछ्लवित होता है । बीज
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है । बीज अब अंकुरित और पल्लवित होता है । बीज
    
की गुणवत्ता और सम्भावनायें अब प्रकट होने लगती
 
की गुणवत्ता और सम्भावनायें अब प्रकट होने लगती
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हैं। अंकुरित और पढछ़वित होने में जिन बातों का
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हैं। अंकुरित और पल्लवित होने में जिन बातों का
    
ध्यान रखना चाहिये उन बातों का ध्यान रखने से
 
ध्यान रखना चाहिये उन बातों का ध्यान रखने से
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अपना हिस्सा मिलता 2 |
 
अपना हिस्सा मिलता 2 |
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इस प्रकार कुट्म्ब शिक्षा का अत्यन्त महत्त्वपूर्ण
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इस प्रकार कुटुम्ब शिक्षा का अत्यन्त महत्त्वपूर्ण
    
केन्द्र है । मातापिता शिक्षक हैं और सन्तानें विद्यार्थी,
 
केन्द्र है । मातापिता शिक्षक हैं और सन्तानें विद्यार्थी,
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इतना उत्तम माना गया है कि गुरुकुल में भी गुरु और
 
इतना उत्तम माना गया है कि गुरुकुल में भी गुरु और
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शिष्य को पिता-पुत्र ही कहा जाता है । कुट्म्ब के
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शिष्य को पिता-पुत्र ही कहा जाता है । कुटुम्ब के
    
सम्बन्धों का. आदर्श समाजजीवन के पहलू में
 
सम्बन्धों का. आदर्श समाजजीवन के पहलू में
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है इसका हमें अनुमान भी नहीं हो रहा है । परन्तु इस
 
है इसका हमें अनुमान भी नहीं हो रहा है । परन्तु इस
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विमुखता को छोडकर कुट्म्ब में होने वाली पीढ़ी की
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विमुखता को छोडकर कुटुम्ब में होने वाली पीढ़ी की
    
शिक्षा की ओर हमें सक्रिय रूप से ध्यान देना होगा
 
शिक्षा की ओर हमें सक्रिय रूप से ध्यान देना होगा

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