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| {{One source|date=August 2020}} | | {{One source|date=August 2020}} |
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− | कुट्म्ब में शिक्षा
| + | ''सीखा कैसे जाता है इसकी चर्चा जब होती है तब. में होती है । इस दृष्टि से कुटुम्ब में शिक्षा यह Pama'' |
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− | सीखा कैसे जाता है इसकी चर्चा जब होती है तब. में होती है । इस दृष्टि से कुट्म्ब में शिक्षा यह Pama
| + | ''आपग्रहपूर्वक कहा जाता है कि साथ रहकर सीखना अथवा... का एक महत्त्वपूर्ण विषय है । इसलिए यह देखना महत्त्वपूर्ण'' |
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− | आपग्रहपूर्वक कहा जाता है कि साथ रहकर सीखना अथवा... का एक महत्त्वपूर्ण विषय है । इसलिए यह देखना महत्त्वपूर्ण
| + | ''सीखने के लिये साथ रहना यह उत्तम पद्धति है'' <ref>धार्मिक शिक्षा : संकल्पना एवं स्वरूप (धार्मिक शिक्षा ग्रन्थमाला १): पर्व ५, प्रकाशक: पुनरुत्थान प्रकाशन सेवा ट्रस्ट, लेखन एवं संपादन: श्रीमती इंदुमती काटदरे</ref>''। गुरुकुलों .. होगा कि कुटुम्ब में शिक्षा होती कैसे है, और Hers की'' |
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− | सीखने के लिये साथ रहना यह उत्तम पद्धति है । गुरुकुलों .. होगा कि कुट्म्ब में शिक्षा होती कैसे है, और Hers की
| + | ''में गुरुगृहबास होता है इसलिये भी यह उत्तम पद्धति है।. शिक्षा की विषयवस्तु कौन सी होगी ।'' |
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− | में गुरुगृहबास होता है इसलिये भी यह उत्तम पद्धति है।. शिक्षा की विषयवस्तु कौन सी होगी । | + | ''परन्तु शत प्रतिशत छात्र गुरुकुल में नहीं रह सकते । साथ कुछ मुद्दों को लेकर ही विचार करना उपयुक्त होगा ।'' |
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− | परन्तु शत प्रतिशत छात्र गुरुकुल में नहीं रह सकते । साथ कुछ मुद्दों को लेकर ही विचार करना उपयुक्त होगा ।
| + | ''ही कोई भी व्यक्ति आजीवन गुरुकुल में नहीं रह सकता ।'' |
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− | ही कोई भी व्यक्ति आजीवन गुरुकुल में नहीं रह सकता ।
| + | ''केवल अध्यापक ही आजीवन गुरुकुल में रहता है । इस'' |
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− | केवल अध्यापक ही आजीवन गुरुकुल में रहता है । इस | |
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| दृष्टि से देखें तो कुटुम्ब लगभग शतप्रतिशत लोग आजीवन शिक्षा का यह महत्त्वपूर्ण सिद्धान्त है । इस पृथ्वी पर | | दृष्टि से देखें तो कुटुम्ब लगभग शतप्रतिशत लोग आजीवन शिक्षा का यह महत्त्वपूर्ण सिद्धान्त है । इस पृथ्वी पर |
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| घर में रहते हैं । गुरुकुल में शास्त्रों का अध्ययन होता है यह... जन्म लेने से पूर्व ही मनुष्य का सीखना शुरु हो जाता है | | घर में रहते हैं । गुरुकुल में शास्त्रों का अध्ययन होता है यह... जन्म लेने से पूर्व ही मनुष्य का सीखना शुरु हो जाता है |
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− | उसकी विशेषता है । इसके अलावा शेष सारी शिक्षा कुट्म्ब SI जन्म के बाद आजीवन उसका शिक्षाक्रम चलता रहता | + | उसकी विशेषता है । इसके अलावा शेष सारी शिक्षा कुटुम्ब SI जन्म के बाद आजीवन उसका शिक्षाक्रम चलता रहता |
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− | १. कुटुम्ब में आजीवन शिक्षा
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− | है । जिस प्रकार मनुष्य एक क्षण भी
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− | कर्म किये बिना नहीं रह सकता उसी प्रकार वह कुछ न
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− | कुछ सीखे बिना भी नहीं रह सकता । मनुष्य के जीवन की
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− | अवस्थायें इस प्रकार होती हैं - १. गर्भावस्था, 2. | + | == कुटुम्ब में आजीवन शिक्षा == |
| + | जिस प्रकार मनुष्य एक क्षण भी कर्म किये बिना नहीं रह सकता उसी प्रकार वह कुछ न कुछ सीखे बिना भी नहीं रह सकता । मनुष्य के जीवन की अवस्थायें इस प्रकार होती हैं: |
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− | शिशुअवस्था, ३. किशोरअवस्था, ४. तरुण अवस्था, ५. | + | १. गर्भावस्था, 2. शिशुअवस्था, ३. किशोरअवस्था, ४. तरुण अवस्था, ५. युवावस्था, ६. प्रौढावस्था और ७. वृद्धावस्था । इन सभी |
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− | युवावस्था, ६. प्रौदावस्था और ७. वृद्धावस्था । इन सभी | |
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| अवस्थाओं में उसकी सीखने की पद्धति और विषयवस्तु | | अवस्थाओं में उसकी सीखने की पद्धति और विषयवस्तु |
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| शास्त्रों की शिक्षा होती है, ज्ञानार्जन के करणों के विकास | | शास्त्रों की शिक्षा होती है, ज्ञानार्जन के करणों के विकास |
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− | की शिक्षा होती है। कुट्म्ब की शिक्षा आजीवन शिक्षा | + | की शिक्षा होती है। कुटुम्ब की शिक्षा आजीवन शिक्षा |
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| होती है । प्रथम दृष्टि से ही विद्यालयीन शिक्षा आजीवन | | होती है । प्रथम दृष्टि से ही विद्यालयीन शिक्षा आजीवन |
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| के समय के छात्रावासों के समान ही होंगे । | | के समय के छात्रावासों के समान ही होंगे । |
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− | कुट्म्ब में आजीवन शिक्षा सम्भव होने का
| + | कुटुम्ब में आजीवन शिक्षा सम्भव होने का |
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| स्वाभाविक कारण है । घर में सब परिवार भावना से | | स्वाभाविक कारण है । घर में सब परिवार भावना से |
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| ऐसी अपेक्षा करते हैं । ऐसे सम्बन्ध को ही हम ज्ञानार्जन | | ऐसी अपेक्षा करते हैं । ऐसे सम्बन्ध को ही हम ज्ञानार्जन |
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− | प्रक्रिया का आधार मानते हैं । यह कुट्म्ब में सहज ही | + | प्रक्रिया का आधार मानते हैं । यह कुटुम्ब में सहज ही |
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| होता है । | | होता है । |
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− | दूसरा महत्त्वपूर्ण आयाम यह है कि कुट्म्ब में आयु | + | दूसरा महत्त्वपूर्ण आयाम यह है कि कुटुम्ब में आयु |
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| की सभी अवस्थाओं के विद्यार्थी एक साथ रहते हैं । सब | | की सभी अवस्थाओं के विद्यार्थी एक साथ रहते हैं । सब |
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| छोटे विद्यार्थियों को पढ़ाते हैं ऐसी व्यवस्था को अच्छी | | छोटे विद्यार्थियों को पढ़ाते हैं ऐसी व्यवस्था को अच्छी |
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− | व्यवस्था माना गया है । कुट्म्ब में हर आयु के लोग एक | + | व्यवस्था माना गया है । कुटुम्ब में हर आयु के लोग एक |
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| साथ रहते हैं, उनकी संख्या का अनुपात भी आदर्श ही | | साथ रहते हैं, उनकी संख्या का अनुपात भी आदर्श ही |
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− | रहता है । कुट्म्ब अच्छा शिक्षा केन्द्र होने का यह दूसरा | + | रहता है । कुटुम्ब अच्छा शिक्षा केन्द्र होने का यह दूसरा |
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| कारण है । | | कारण है । |
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− | २. आवश्यकता के अनुसार शिक्षा
| + | == आवश्यकता के अनुसार शिक्षा == |
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| aera में जिसे जिस बात की आवश्यकता होती है, | | aera में जिसे जिस बात की आवश्यकता होती है, |
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| योग्य शिक्षक भी अपने आप उपलब्ध हो जाते हैं । | | योग्य शिक्षक भी अपने आप उपलब्ध हो जाते हैं । |
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− | कुट्म्ब में क्या क्या सीखने की आवश्यकता होती
| + | कुटुम्ब में क्या क्या सीखने की आवश्यकता होती |
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| है ? इस प्रश्न को दूसरे शब्दों में He a Hera में क्या | | है ? इस प्रश्न को दूसरे शब्दों में He a Hera में क्या |
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| उठना, बैठना, खेलना, गाना आदि । यह सब हमारे | | उठना, बैठना, खेलना, गाना आदि । यह सब हमारे |
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− | ............. page-205 ............. | + | ''............. page-205 .............'' |
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| + | ''पर्व ५ : कुटुम्बशिक्षा एवं लोकशिक्षा'' |
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− | पर्व ५ : कुटुम्बशिक्षा एवं लोकशिक्षा
| + | ''लिये इतना सहज हो गया है कि यह सीखना भी साथ, अपने से छोटों के साथ,'' |
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− | लिये इतना सहज हो गया है कि यह सीखना भी साथ, अपने से छोटों के साथ,
| + | ''होता है यह बात ध्यान में ही नहीं आती । सीखना अपनों के और परायों के साथ, सज्जनों और दुर्जनों'' |
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− | होता है यह बात ध्यान में ही नहीं आती । सीखना अपनों के और परायों के साथ, सज्जनों और दुर्जनों | + | ''और सिखाना सहज ही होता रहता है । विशेष रूप के साथ, धनवानों और सत्तावानों के साथ, विद्वानों'' |
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− | और सिखाना सहज ही होता रहता है । विशेष रूप के साथ, धनवानों और सत्तावानों के साथ, विद्वानों
| + | ''से विचार करने पर ही ध्यान में आता है कि कुटुम्ब और सन्तों के साथ, नौकरों और चाकरों के साथ'' |
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− | से विचार करने पर ही ध्यान में आता है कि कुट्म्ब और सन्तों के साथ, नौकरों और चाकरों के साथ
| + | ''नहीं होता तो भाषा नहीं सीखी जाती है, नहाना, कैसा व्यवहार किया जाता है इसकी शिक्षा भी घर में'' |
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− | नहीं होता तो भाषा नहीं सीखी जाती है, नहाना, कैसा व्यवहार किया जाता है इसकी शिक्षा भी घर में
| + | ''धोना, खाना, पीना आदि नहीं सीखा जाता है । मिलती है । यह कम मिलती है या अधिक, पर्याप्त'' |
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− | धोना, खाना, पीना आदि नहीं सीखा जाता है । मिलती है । यह कम मिलती है या अधिक, पर्याप्त
| + | ''०"... घर के छोटे से लेकर बड़े काम सीखने होते हैं । घर मात्रा में मिलती है या अधूरी, अच्छी मिलती है या'' |
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− | ०"... घर के छोटे से लेकर बड़े काम सीखने होते हैं । घर मात्रा में मिलती है या अधूरी, अच्छी मिलती है या
| + | ''में यदि खानापीना है तो खाना बनाना भी है, पानी कम अच्छी, सही मिलती है या गलत इसका आधार'' |
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− | में यदि खानापीना है तो खाना बनाना भी है, पानी कम अच्छी, सही मिलती है या गलत इसका आधार
| + | ''भरना भी है, बर्तनों की सफाई करनी है, उन्हें aera के चरित्र पर है । जैसा कुटुम्ब वैसी शिक्षा ।'' |
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− | भरना भी है, बर्तनों की सफाई करनी है, उन्हें aera के चरित्र पर है । जैसा कुट्म्ब वैसी शिक्षा ।
| + | ''जमाकर रखने भी हैं । यदि सोना है तो बिस्तर. *. मन की शिक्षा का मुख्य केन्द्र कुटुम्ब ही है । सारे'' |
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− | जमाकर रखने भी हैं । यदि सोना है तो बिस्तर. *. मन की शिक्षा का मुख्य केन्द्र कुट्म्ब ही है । सारे
| + | ''लगाना और समेटना भी है । घर में रहना है तो घर सदूगुण यहीं सीखे जाते हैं । झूठ नहीं बोलना,'' |
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− | लगाना और समेटना भी है । घर में रहना है तो घर सदूगुण यहीं सीखे जाते हैं । झूठ नहीं बोलना,
| + | ''की साफसफाई करनी है और साजसज्जा भी करनी अनीति नहीं करना, सफलताओं से फूल नहीं जाना,'' |
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− | की साफसफाई करनी है और साजसज्जा भी करनी अनीति नहीं करना, सफलताओं से फूल नहीं जाना,
| + | ''है। नहाना धोना है तो कपड़े धोने भी हैं और उपलब्धियों से मदान्वित नहीं होना, लालच में'' |
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− | है। नहाना धोना है तो कपड़े धोने भी हैं और उपलब्धियों से मदान्वित नहीं होना, लालच में | + | ''स्नानगृह की स्वच्छता भी करनी है। संक्षेप में tea नहीं, आपत्तियों में धैर्य नहीं खोना, धमकियों'' |
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− | स्नानगृह की स्वच्छता भी करनी है। संक्षेप में tea नहीं, आपत्तियों में धैर्य नहीं खोना, धमकियों
| + | ''असंख्य छोटी बड़ी बातें हैं जो घर के लिये से भयभीत नहीं होना, कष्टीं से नहीं धबड़ाना, स्वार्थ'' |
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− | असंख्य छोटी बड़ी बातें हैं जो घर के लिये से भयभीत नहीं होना, कष्टीं से नहीं धबड़ाना, स्वार्थ
| + | ''आवश्यक होती हैं और वे सब सीखनी होती हैं । साधने के लिये किसीकी खुशामद नहीं करना, किसी'' |
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− | आवश्यक होती हैं और वे सब सीखनी होती हैं । साधने के लिये किसीकी खुशामद नहीं करना, किसी
| + | ''© घर में बच्चों का संगोपन करना, उन्हें संस्कार देना, की सफलताओं के प्रति मत्सर नहीं होना, स्वमान'' |
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− | © घर में बच्चों का संगोपन करना, उन्हें संस्कार देना, की सफलताओं के प्रति मत्सर नहीं होना, स्वमान
| + | ''घर के लोगों की शुश्रूषा करना, वृद्धों की ओर नहीं खोना आदि मूल्यवान बातों के लिये दृढ़'' |
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− | घर के लोगों की शुश्रूषा करना, वृद्धों की ओर नहीं खोना आदि मूल्यवान बातों के लिये दृढ़
| + | ''बीमार लोगों की परिचर्या करना, अतिथिसत्कार मनोबल की आवश्यकता होती है । यही व्यक्ति का'' |
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− | बीमार लोगों की परिचर्या करना, अतिथिसत्कार मनोबल की आवश्यकता होती है । यही व्यक्ति का
| + | ''करना, ब्रत-उत्सव-त्योहार मनाना, कौट्म्बिक और चरित्र है । यह सब सीखने का प्रमुख eg Hers'' |
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− | करना, ब्रत-उत्सव-त्योहार मनाना, कौट्म्बिक और चरित्र है । यह सब सीखने का प्रमुख eg Hers
| + | ''सामुदायिक सम्बन्धों के अनुसार विवाह-जन्म-मृत्यु ही है।'' |
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− | सामुदायिक सम्बन्धों के अनुसार विवाह-जन्म-मृत्यु ही है।
| + | ''आदि अवसरों में सहभागी होना, समाजसेवा के'' |
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− | आदि अवसरों में सहभागी होना, समाजसेवा के
| + | ''कार्यों में सहभागी होना आदि अनेक महत्त्वपूर्ण कार्य... *''' |
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− | कार्यों में सहभागी होना आदि अनेक महत्त्वपूर्ण कार्य... *' कौटुम्बिक परिचय
| + | ''कौटुम्बिक परिचय'' |
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− | घर में ही सीखे जाते हैं। यह सीखना भी अन्य सभी मनुष्यों के जीवन में pers sc अनिवार्य | + | ''घर में ही सीखे जाते हैं। यह सीखना भी अन्य सभी मनुष्यों के जीवन में pers sc अनिवार्य'' |
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− | विषयों के ही समान क्रियात्मक, भावात्मक और... बना हुआ है कि हम उसे गृहीत मानकर चलते हैं । जिस | + | ''विषयों के ही समान क्रियात्मक, भावात्मक और... बना हुआ है कि हम उसे गृहीत मानकर चलते हैं । जिस'' |
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− | ज्ञानात्मक पद्धति से होता है । विशेष बात यह है कि... प्रकार श्वासप्रश्चास जीवित रहने के लिये अनिवार्य है परन्तु | + | ''ज्ञानात्मक पद्धति से होता है । विशेष बात यह है कि... प्रकार श्वासप्रश्चास जीवित रहने के लिये अनिवार्य है परन्तु'' |
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− | वह इसी क्रम में होता है । यहाँ सबकुछ पहले किया... हम उसे गृहीत ही मानते हैं, उसके लिये खास पुरुषार्थ | + | ''वह इसी क्रम में होता है । यहाँ सबकुछ पहले किया... हम उसे गृहीत ही मानते हैं, उसके लिये खास पुरुषार्थ'' |
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− | जाता है, करना सीखने के बाद और सीखने के साथ... करने की आवश्यकता हमें लगती नहीं है, उसी प्रकार | + | ''जाता है, करना सीखने के बाद और सीखने के साथ... करने की आवश्यकता हमें लगती नहीं है, उसी प्रकार'' |
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− | साथ उसे मन से स्वीकार करना भी सिखाया जाता है... कुट्म्ब में रहने के लिये भी खास कुछ करने की | + | ''साथ उसे मन से स्वीकार करना भी सिखाया जाता है... कुटुम्ब में रहने के लिये भी खास कुछ करने की'' |
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− | और बाद में उसका ज्ञानात्मक पक्ष सीखा जाता है।... आवश्यकता हमें नहीं लगती है । परन्तु वह लगनी चाहिये | + | ''और बाद में उसका ज्ञानात्मक पक्ष सीखा जाता है।... आवश्यकता हमें नहीं लगती है । परन्तु वह लगनी चाहिये'' |
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− | ज्ञानात्मक पक्ष सीखने-सिखाने में विद्यालय, ग्रन्थ, .... ऐसा वर्तमान स्थिति देखकर ध्यान में आता है | | + | ''ज्ञानात्मक पक्ष सीखने-सिखाने में विद्यालय, ग्रन्थ, .... ऐसा वर्तमान स्थिति देखकर ध्यान में आता है |'' |
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− | सन्त आदि अन्य लोगों की सहायता अवश्य होती हर व्यक्ति की एक व्यक्तिगत पहचान होती है । | + | ''सन्त आदि अन्य लोगों की सहायता अवश्य होती हर व्यक्ति की एक व्यक्तिगत पहचान होती है ।'' |
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− | है परन्तु इस क्रियात्मक शिक्षा का केन्द्र तो कुट्म्ब eT या गोरा होना, लम्बा या नाटा होना, बुद्धिमान या | + | ''है परन्तु इस क्रियात्मक शिक्षा का केन्द्र तो कुटुम्ब eT या गोरा होना, लम्बा या नाटा होना, बुद्धिमान या'' |
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− | ae | बुद्ध होना, मूर्ख या समझदार होना, दुर्बल या बलवान | + | ''ae | बुद्ध होना, मूर्ख या समझदार होना, दुर्बल या बलवान'' |
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− | ०. अपने से बड़ों के साथ, समान आयु के लोगों के... होना, सुन्दर या कुरूप होना व्यक्तिगत पहचान के आयाम | + | ''०. अपने से बड़ों के साथ, समान आयु के लोगों के... होना, सुन्दर या कुरूप होना व्यक्तिगत पहचान के आयाम'' |
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− | 828 | + | ''828'' |
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− | हैं। परन्तु कुट्म्ब के सन्दर्भ में हर | + | हैं। परन्तु कुटुम्ब के सन्दर्भ में हर |
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| व्यक्ति की विशेष पहचान होती है । वह किसी का पुत्र | | व्यक्ति की विशेष पहचान होती है । वह किसी का पुत्र |
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| किसीका देवर होता है, किसी का बहनोई । यह पहचान | | किसीका देवर होता है, किसी का बहनोई । यह पहचान |
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− | कुट्म्ब से ही प्राप्त होती है यह तो स्पष्ट ही है । कौट्म्बिक
| + | कुटुम्ब से ही प्राप्त होती है यह तो स्पष्ट ही है । कौट्म्बिक |
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| सम्बन्धों की यह शृंखला बहुत लम्बी चौड़ी होती है । यह | | सम्बन्धों की यह शृंखला बहुत लम्बी चौड़ी होती है । यह |
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Line 307: |
| भारतीय शिक्षा : संकल्पना एवं स्वरूप | | भारतीय शिक्षा : संकल्पना एवं स्वरूप |
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− | कुट्म्ब में उस का स्वीकार होता है । कुट्म्ब में सबका
| + | कुटुम्ब में उस का स्वीकार होता है । कुटुम्ब में सबका |
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| समान रूप से अधिकार है । व्यक्ति को आपत्ति में आधार, | | समान रूप से अधिकार है । व्यक्ति को आपत्ति में आधार, |
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Line 313: |
| दुर्गुणों और दोषों का परिष्कार, दुःखों में आश्वस्ति, संकटों | | दुर्गुणों और दोषों का परिष्कार, दुःखों में आश्वस्ति, संकटों |
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− | में सहायता कुट्म्ब में सहज प्राप्त होते हैं । न इसका पैसा | + | में सहायता कुटुम्ब में सहज प्राप्त होते हैं । न इसका पैसा |
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| देना पड़ता है न इसके लिये विज्ञप्ति करनी पड़ती है । | | देना पड़ता है न इसके लिये विज्ञप्ति करनी पड़ती है । |
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| लेनदेन का हिसाब नहीं होता । | | लेनदेन का हिसाब नहीं होता । |
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− | ४. एक पीढी की शिक्षा
| + | == एक पीढी की शिक्षा == |
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| कुट्म्बजीवन परम्परा निर्माण करने का, उसे बनाये | | कुट्म्बजीवन परम्परा निर्माण करने का, उसे बनाये |
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| शिक्षित और दीक्षित किया जाता है । हम सहज ही समझ | | शिक्षित और दीक्षित किया जाता है । हम सहज ही समझ |
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− | सकते हैं कि कुट्म्ब का यह कार्य कितना महत्त्वपूर्ण है । | + | सकते हैं कि कुटुम्ब का यह कार्य कितना महत्त्वपूर्ण है । |
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| संस्कृति रक्षा का यह कार्य कुटुम्ब के अलावा और कहीं | | संस्कृति रक्षा का यह कार्य कुटुम्ब के अलावा और कहीं |
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| नहीं हो सकता । इसके छोटे छोटे हिस्से तो अन्यत्र अन्य | | नहीं हो सकता । इसके छोटे छोटे हिस्से तो अन्यत्र अन्य |
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− | लोगों द्वारा हो सकते हैं परन्तु वे सब कुट्म्ब नामक मुख्य | + | लोगों द्वारा हो सकते हैं परन्तु वे सब कुटुम्ब नामक मुख्य |
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− | केन्द्र के पोषक होते हैं । बिना कुट्म्ब के सब अनाश्रित हो | + | केन्द्र के पोषक होते हैं । बिना कुटुम्ब के सब अनाश्रित हो |
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| जाते हैं । | | जाते हैं । |
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| पर्व ५ : कुटुम्बशिक्षा एवं लोकशिक्षा | | पर्व ५ : कुटुम्बशिक्षा एवं लोकशिक्षा |
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− | है । बीज अब अंकुरित और पछ्लवित होता है । बीज | + | है । बीज अब अंकुरित और पल्लवित होता है । बीज |
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| की गुणवत्ता और सम्भावनायें अब प्रकट होने लगती | | की गुणवत्ता और सम्भावनायें अब प्रकट होने लगती |
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− | हैं। अंकुरित और पढछ़वित होने में जिन बातों का | + | हैं। अंकुरित और पल्लवित होने में जिन बातों का |
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| ध्यान रखना चाहिये उन बातों का ध्यान रखने से | | ध्यान रखना चाहिये उन बातों का ध्यान रखने से |
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| अपना हिस्सा मिलता 2 | | | अपना हिस्सा मिलता 2 | |
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− | इस प्रकार कुट्म्ब शिक्षा का अत्यन्त महत्त्वपूर्ण | + | इस प्रकार कुटुम्ब शिक्षा का अत्यन्त महत्त्वपूर्ण |
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| केन्द्र है । मातापिता शिक्षक हैं और सन्तानें विद्यार्थी, | | केन्द्र है । मातापिता शिक्षक हैं और सन्तानें विद्यार्थी, |
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| इतना उत्तम माना गया है कि गुरुकुल में भी गुरु और | | इतना उत्तम माना गया है कि गुरुकुल में भी गुरु और |
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− | शिष्य को पिता-पुत्र ही कहा जाता है । कुट्म्ब के | + | शिष्य को पिता-पुत्र ही कहा जाता है । कुटुम्ब के |
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| सम्बन्धों का. आदर्श समाजजीवन के पहलू में | | सम्बन्धों का. आदर्श समाजजीवन के पहलू में |
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| है इसका हमें अनुमान भी नहीं हो रहा है । परन्तु इस | | है इसका हमें अनुमान भी नहीं हो रहा है । परन्तु इस |
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− | विमुखता को छोडकर कुट्म्ब में होने वाली पीढ़ी की | + | विमुखता को छोडकर कुटुम्ब में होने वाली पीढ़ी की |
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| शिक्षा की ओर हमें सक्रिय रूप से ध्यान देना होगा | | शिक्षा की ओर हमें सक्रिय रूप से ध्यान देना होगा |