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दर्शाया गया कोई देश। इस तरह सामान्य परिभाषा के आधार पर देशान्तर का अर्थ दो स्थानों का अन्तर है। यह देशान्तर दो प्रकार का होता है- १ , पूर्व- पश्चिम, जिसे हम पूर्वापर देशान्तर कहते हैं तथा दूसरा दक्षिण-उत्तर जिसे याम्योत्तर देशान्तर कहते हैं। पूर्वापर देशान्तर का ज्ञान अक्षांश द्वारा किया जाता है। रेखांश या देशान्तर रेखाएँ वे होती हैं जो रेखायें पृथ्वी पर उत्तरी ध्रुव से प्रारम्भ होकर भूमध्य रेखा को खडी काटती हुई दक्षिणी ध्रुव तक जाती है।
 
दर्शाया गया कोई देश। इस तरह सामान्य परिभाषा के आधार पर देशान्तर का अर्थ दो स्थानों का अन्तर है। यह देशान्तर दो प्रकार का होता है- १ , पूर्व- पश्चिम, जिसे हम पूर्वापर देशान्तर कहते हैं तथा दूसरा दक्षिण-उत्तर जिसे याम्योत्तर देशान्तर कहते हैं। पूर्वापर देशान्तर का ज्ञान अक्षांश द्वारा किया जाता है। रेखांश या देशान्तर रेखाएँ वे होती हैं जो रेखायें पृथ्वी पर उत्तरी ध्रुव से प्रारम्भ होकर भूमध्य रेखा को खडी काटती हुई दक्षिणी ध्रुव तक जाती है।
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देशान्तर रेखायें उत्तर से दक्षिण आडी रेखाएँ हैं तथा पृथ्वी पर पूर्व व पश्चिम की तरफ बराबर दूरी पर गोल पर इस प्रकार दिखती है जैसे संतरा की कलियां हों। इन रेखांश रेखाओं पर किसी एक स्थान को निश्चित करके भूमि पर दूसरे स्थानों की दूरी उस निश्चित किये हुए स्थान से नापी जाती है। अतः इनको ही हम देशान्तर रेखाओं के नाम से जानते हैं। इंग्लैण्ड स्थित ग्रीनविच नामक स्थान पर ०॰ देशान्तर मान लिया है अर्थात् ग्रीनविच को ०॰ देशान्तर मानकर निश्चित कर लिया गया है। प्राचीन काल में भारतीय ज्योतिष के अनुसार उज्जैन के देशान्तर को ०॰ निश्चित किया गया था। जहां से सभी स्थानों की दूरी मापी जाती थी। परन्तु अब ग्रीनविच से सभी स्थानों की दूरी मापी जाती है।
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यल्लङ्कोज्जयिनीपुरीकुरुक्षेत्रादिदेशान् स्पृशेत् । सूत्रं मेरुगतं बुधैर्निगदिता सा मध्यरेखाभुवः॥
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== सारांश ==
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देश की अवधारणा एवं भेद को समझाने के लिए हम जानते हैं कि समस्त पृथ्वी विविधताओं से भरी हुई है अतः उचित देश चयन के सन्दर्भ में कुछ गड़बडी भी हो सकती है। इसलिये समस्त भूगोल अथवा भूमि को भूमध्य रेखा से उत्तरी गोलार्द्ध व दक्षिणी गोलार्द्ध के रूप में विभाजित करते हैं यहां उत्तरी गोलार्द्ध में उत्तरी अक्षांश व दक्षिणी गोलार्द्ध में दक्षिणी अक्षांश होते हैं। अक्षांशों का प्रारम्भ भूमध्यरेखा से ही होता है।
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अथर्ववेद के उपवेद में देश का स्थान सर्वोपरि है क्योंकि देश के आधार पर ही काल का चयन होता है। अर्थात् देश का निर्धारण होने पर ही दिक् व काल का निर्धारण संभव होता है अतः देश चयन सर्वप्रथम किया जाना चाहिये।
    
==काल की अवधारणा==
 
==काल की अवधारणा==
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