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सनातन धर्म में पूजाविधान को प्रवृत्ति और निवृत्ति मूलक एक-लक्ष्य केन्द्रित धर्म माना है। वहां प्रवृत्ति मूलक और निवृत्ति मूलक दोनों मार्गों का एक ही लक्ष्य है - मुक्ति। संसार से मुक्त होकर [https://dharmawiki.org/index.php/Moksha_(%E0%A4%AE%E0%A5%8B%E0%A4%95%E0%A5%8D%E0%A4%B7%E0%A4%83) मोक्ष] प्राप्त करना।
 
सनातन धर्म में पूजाविधान को प्रवृत्ति और निवृत्ति मूलक एक-लक्ष्य केन्द्रित धर्म माना है। वहां प्रवृत्ति मूलक और निवृत्ति मूलक दोनों मार्गों का एक ही लक्ष्य है - मुक्ति। संसार से मुक्त होकर [https://dharmawiki.org/index.php/Moksha_(%E0%A4%AE%E0%A5%8B%E0%A4%95%E0%A5%8D%E0%A4%B7%E0%A4%83) मोक्ष] प्राप्त करना।
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पूजा के विविध साधनों- स्तुति, प्रार्थना, मन्त्रजप, तप, स्वाध्याय, कथा, कीर्तन, यज्ञ, मनन, चिन्तन आदि से मानव में जो भी अभाव अनुभव करता है, उसको प्राप्त कर लेता है।
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== पूजा एवं योग समन्वय ==
 
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पूजा के विविध साधनों- स्तुति, प्रार्थना, मन्त्रजप, तप, स्वाध्याय, कथा, कीर्तन, यज्ञ, मनन, चिन्तन आदि से मानव में जो भी अभाव अनुभव करता है, उसको प्राप्त कर लेता है।<blockquote>पूजा कोटि समं स्तोत्रं, स्तोत्र कोटि समो जपः। जप कोटि समं ध्यानं, ध्यान कोटि समो लयः॥</blockquote>'''पूजा'''
'''पूजा'''
      
'''स्तोत्र'''
 
'''स्तोत्र'''
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