Changes

Jump to navigation Jump to search
सुधार जारि
Line 275: Line 275:  
सभी विनायकों के मध्य विराजित श्री ढुण्ढिराज विनायक तथा निकट साक्षी विनायक जी के दर्शन मात्र से यात्रा मे कोई त्रुटि हो वह पूर्ण हो जाती है और साक्षी विनायक यात्रा के साक्षी हो जाते है।
 
सभी विनायकों के मध्य विराजित श्री ढुण्ढिराज विनायक तथा निकट साक्षी विनायक जी के दर्शन मात्र से यात्रा मे कोई त्रुटि हो वह पूर्ण हो जाती है और साक्षी विनायक यात्रा के साक्षी हो जाते है।
   −
=== नवग्रह यात्रा (कार्तिक अक्षय नवमी ) ===
+
== नवग्रह यात्रा (कार्तिक अक्षय नवमी ) ==
 
धर्मसम्राट स्वामी करपात्री जी के निर्देशानुसार आज के दिन काशी में आंवला के पेड़ के पूजा के पश्च्यात नवग्रह की यात्रा करने का विधान है ।
 
धर्मसम्राट स्वामी करपात्री जी के निर्देशानुसार आज के दिन काशी में आंवला के पेड़ के पूजा के पश्च्यात नवग्रह की यात्रा करने का विधान है ।
   Line 300: Line 300:  
सभी काशी खण्डोक्त लिंग हैं। काशी में नवग्रहों ने शिव जी को प्रसन्न करने के लिए लिंग स्थापन के साथ उग्र तपस्या की थी , तत्पश्चात शिव जी ने सभी को दर्शन दे कर उचित वरदान दिया और ग्रहत्व का भार प्रदान किया था।
 
सभी काशी खण्डोक्त लिंग हैं। काशी में नवग्रहों ने शिव जी को प्रसन्न करने के लिए लिंग स्थापन के साथ उग्र तपस्या की थी , तत्पश्चात शिव जी ने सभी को दर्शन दे कर उचित वरदान दिया और ग्रहत्व का भार प्रदान किया था।
   −
=== वार्षिक यात्रा(काशी खण्डोक्त) ===
+
== योगिनी यात्रा  (काशी_खण्डोक्त) ==
कंबलाश्वतरेश्वर महादेव(राहु रूपात्मक शिव लिंग)
  −
 
  −
अश्वतरेश्वर महादेव (केतु रूपात्मक शिव लिंग)
  −
 
  −
पता - ck8/13 गोमठ काका राम की गली,गढ़वासी टोला, चौक, वाराणसी।
  −
 
  −
कंबलाश्वतरेश्वर जिनको बहुत से लोग राह्वीश्वर और अश्वतरेश्वर को केतविश्वर के रूप में भी जानते है । स्थानीय लोगों के मत अनुसार यह दोनों लिंग त्रेतायुग कालीन है , इनके दर्शन से राहु और केतु ग्रह की शांति और इनसे सम्बंधित अनुकूल फल मिलने लगते है ।
  −
 
  −
काशी में नवग्रह लिंग यात्रा में (यात्रा के जानकर लोग) राहु केतु के रुप में इन्ही का दर्शन कर के लाभ ग्रहण करते आये है।
  −
 
  −
==== योगिनी यात्रा  (काशी_खण्डोक्त) ====
   
काशी में कुल चौसठ योगिनी के नाम
 
काशी में कुल चौसठ योगिनी के नाम
   Line 452: Line 441:  
इन चौसठ योगिनियो में से कात्यायनी और कालरात्रि इनका स्थान नौ देवियों में है ।
 
इन चौसठ योगिनियो में से कात्यायनी और कालरात्रि इनका स्थान नौ देवियों में है ।
   −
====== विश्वभुजा_गौरी (काशी_खण्डोक्त) ======
+
== वार्षिक यात्रा(काशी खण्डोक्त) ==
 +
 
 +
=== कंबलाश्वतरेश्वर महादेव(राहु रूपात्मक शिव लिंग) ===
 +
 
 +
=== अश्वतरेश्वर महादेव (केतु रूपात्मक शिव लिंग) ===
 +
पता - ck8/13 गोमठ काका राम की गली,गढ़वासी टोला, चौक, वाराणसी।
 +
 
 +
कंबलाश्वतरेश्वर जिनको बहुत से लोग राह्वीश्वर और अश्वतरेश्वर को केतविश्वर के रूप में भी जानते है । स्थानीय लोगों के मत अनुसार यह दोनों लिंग त्रेतायुग कालीन है , इनके दर्शन से राहु और केतु ग्रह की शांति और इनसे सम्बंधित अनुकूल फल मिलने लगते है ।
 +
 
 +
काशी में नवग्रह लिंग यात्रा में (यात्रा के जानकर लोग) राहु केतु के रुप में इन्ही का दर्शन कर के लाभ ग्रहण करते आये है।
 +
 
 +
=== विश्वभुजा गौरी (काशी खण्डोक्त) ===
 
नवरात्रि यात्रा  आदि अन्नपूर्णा
 
नवरात्रि यात्रा  आदि अन्नपूर्णा
   Line 485: Line 485:  
पता - विशालाक्षी मंदिर के पास वाली गली में , मीरघाट
 
पता - विशालाक्षी मंदिर के पास वाली गली में , मीरघाट
   −
===== अश्विन_कृष्ण_पक्ष_त्रयोदशी_यात्रा =====
+
=== मनप्रकामेश्वर महादेव वा धनकामेश्वर महादेव(काशी खण्डोक्त लिंग) ===
काशी_खण्डोक्त_लिंग
+
अश्विन कृष्ण पक्ष त्रयोदशी यात्रा
   −
1. मनप्रकामेश्वर_महादेव
+
काशी के प्रकांड विद्वान करपात्री जी के शिष्य श्री डंडी स्वामी शिवानंद सरस्वती जी के  पुस्तक दिव्य_काशी_दर्शन  के अनुसार आज त्रयोदशी के दिन मनप्रकामेश्वर शिव लिंग के दर्शन करने से सभी प्रकार के मनोरथ पूर्ण होते है ।
 
  −
2. धनकामेश्वर_महादेव
  −
 
  −
काशी के प्रकांड विद्वान करपात्री जी के शिष्य श्री डंडी स्वामी शिवानंद सरस्वती जी के  पुस्तक #दिव्य_काशी_दर्शन  के अनुसार आज त्रयोदशी के दिन मनप्रकामेश्वर शिव लिंग के दर्शन करने से सभी प्रकार के मनोरथ पूर्ण होते है ।
      
और धनकामेश्वर के दर्शन करने से धन का आवगमन अच्छे से बना रहता है ।
 
और धनकामेश्वर के दर्शन करने से धन का आवगमन अच्छे से बना रहता है ।
Line 500: Line 496:  
पता - विश्वनाथ गली में साक्षी विनायक मंदिर के पास d 10 / 50
 
पता - विश्वनाथ गली में साक्षी विनायक मंदिर के पास d 10 / 50
   −
===== शांति_यात्रा  ( काशी खण्डोक्त लिंग) =====
+
=== उपशांतेश्वर महादेव वा उपशांत शिव ( काशी खण्डोक्त लिंग) ===
उपशांतेश्वर_महादेव 
+
शांति यात्रा
 
  −
उपशांत_शिव 
      
काशी में अनादि काल से ही सभी प्रकार की शांति को देने के लिए यहां पर उपशान्त शिव विराजमान हुवे है । जो व्यक्ति मानसिक रूप में परेशान चल रहे हो या मन अशांत चल रहा है वह लोग यहां दर्शन पूजन कर के विशेष लाभ ले सकते है ।
 
काशी में अनादि काल से ही सभी प्रकार की शांति को देने के लिए यहां पर उपशान्त शिव विराजमान हुवे है । जो व्यक्ति मानसिक रूप में परेशान चल रहे हो या मन अशांत चल रहा है वह लोग यहां दर्शन पूजन कर के विशेष लाभ ले सकते है ।
Line 509: Line 503:  
मंदिर प्रांगण में उपस्थित होते ही असीम शांति एवं ऊर्जा मिलती है और अक्सर यहाँ विशेष प्रकार के पूजा हवन (अनुष्ठान) होते रहते है जिसमें मूढ़शांति, कालसर्पदोष शांति, मंगलदोष शांति, मारकग्रह शान्ति आदि अनेक प्रकार के अनुष्ठान होते है जिससे कुंडली मे बन रहे दोष शांत हो जाते है ।
 
मंदिर प्रांगण में उपस्थित होते ही असीम शांति एवं ऊर्जा मिलती है और अक्सर यहाँ विशेष प्रकार के पूजा हवन (अनुष्ठान) होते रहते है जिसमें मूढ़शांति, कालसर्पदोष शांति, मंगलदोष शांति, मारकग्रह शान्ति आदि अनेक प्रकार के अनुष्ठान होते है जिससे कुंडली मे बन रहे दोष शांत हो जाते है ।
   −
उपशांतेश्वर महिमा
+
==== उपशांतेश्वर महिमा ====
 
   
तस्य लिङ्गष्य संस्प्शार्त्परां शान्तिं समृछति | उप शान्तशिवं लिङ्गं दृष्ट्वा जन्मशतार्जितम ||
 
तस्य लिङ्गष्य संस्प्शार्त्परां शान्तिं समृछति | उप शान्तशिवं लिङ्गं दृष्ट्वा जन्मशतार्जितम ||
   Line 519: Line 512:  
पता - 2/4पटनी टोला , भोसला घाट , चौक , वाराणसी (संकठा गली से भोसला घाट मार्ग पर प्रसिद्ध मंदिर)
 
पता - 2/4पटनी टोला , भोसला घाट , चौक , वाराणसी (संकठा गली से भोसला घाट मार्ग पर प्रसिद्ध मंदिर)
   −
===== पितृपक्ष दर्शन यात्रा (काशी_खण्डोक्त) =====
+
=== पितृरेश्वर महादेव(काशी खण्डोक्त) ===
पितृरेश्वर_महादेव 
+
पितृपक्ष दर्शन यात्रा
   −
काशीखण्ड के कथा अनुसार जो भी व्यक्ति पितृपक्ष के दिन पितृकुण्ड में स्नान कर के श्राद्ध तर्पण करने के बाद पितृरेश्वर महादेव के दर्शन करता है तोह उसके पित्र उसपर प्रसन्न (संतुष्ट) होजाते है । स्कन्दपुराण  में पितृकुंड को #काशी_गया के नाम से संबोधन किया गया है ।
+
काशीखण्ड के कथा अनुसार जो भी व्यक्ति पितृपक्ष के दिन पितृकुण्ड में स्नान कर के श्राद्ध तर्पण करने के बाद पितृरेश्वर महादेव के दर्शन करता है तोह उसके पित्र उसपर प्रसन्न (संतुष्ट) होजाते है । स्कन्दपुराण  में पितृकुंड को काशी गया के नाम से संबोधन किया गया है ।
    
पता-पितरकुंडा , वाराणसी
 
पता-पितरकुंडा , वाराणसी
   −
संसार में जल से अधिक किसी भी दान को बड़ा नहीं बताया गया है। भलाई चाहने वाला मनुष्य प्रतिदिन जल का दान करे। भगवान श्रीकृष्ण कहते हैं कि “जल सर्वदेव मय है। अधिक क्या कहें यह मेरा स्वरूप है। पवित्रता के लिए भूमि की शुद्धि जल से करें।“
+
संसार में जल से अधिक किसी भी दान को बड़ा नहीं बताया गया है। भलाई चाहने वाला मनुष्य प्रतिदिन जल का दान करे। भगवान श्रीकृष्ण कहते हैं कि “जल सर्वदेव मय है। अधिक क्या कहें यह मेरा स्वरूप है। पवित्रता के लिए भूमि की शुद्धि जल से करें।
    
पितरों के तर्पण में जल की प्रधानता हैं क्योंकि बिना जल के तर्पण सम्भव नही होता , वही श्री हरि विष्णु का नारायण नाम भी नार=जल  , आयन= स्थान ( नारायण = जल का स्थान) है
 
पितरों के तर्पण में जल की प्रधानता हैं क्योंकि बिना जल के तर्पण सम्भव नही होता , वही श्री हरि विष्णु का नारायण नाम भी नार=जल  , आयन= स्थान ( नारायण = जल का स्थान) है
Line 542: Line 535:  
काशी में अपने पितरों के नाम से किसी भी देव देवालय , लिंग , देवी दर्शन , विग्रह दर्शन करने से पूर्ण फल पितरों को मिल जाता है , दैनिक यात्रा से लेकर पंचकोशी और चौरासी कोशी यात्रा भी अगर अपने पितरों के नाम से करते है तोह सम्पूर्ण फल पित्रो को मिलता है ।
 
काशी में अपने पितरों के नाम से किसी भी देव देवालय , लिंग , देवी दर्शन , विग्रह दर्शन करने से पूर्ण फल पितरों को मिल जाता है , दैनिक यात्रा से लेकर पंचकोशी और चौरासी कोशी यात्रा भी अगर अपने पितरों के नाम से करते है तोह सम्पूर्ण फल पित्रो को मिलता है ।
   −
===== ललिता गौरी वार्षिक दर्शन =====
+
=== ललिता गौरी (काशी खण्डोक्त) ===
ललिता_गौरी  काशी_खण्डोक्त
+
ललिता गौरी वार्षिक दर्शन अश्विन कृष्ण पक्ष द्वितीया
   −
अश्विन_कृष्ण_पक्ष_द्वितीया 22-9 से 23-9 21 तक
       
925

edits

Navigation menu