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| सिन्धु नदी के मुहाने पर स्थित यह नगर पाकिस्तान का प्रमुख पत्तन (बन्दरगाह) है। पाकिस्तान का यूरोप के देशों के साथ व्यापार में इसका सर्वाधिक योगदान रहता है। अखण्ड भारत में कराची का पृष्ठपेद्रश पंजाब व गुजरात तक फैला था। विभाजन के बाद कराची पाकिस्तान में चला गया, जिससे भारत के उत्तर-पशिचमी भागों के लिए नये पत्तन का निर्माण आवश्यक हो गया। कच्छ की खाड़ी पर स्थित कांदला पत्तन के विकास से यह कमी पूरी हो पायी है। | | सिन्धु नदी के मुहाने पर स्थित यह नगर पाकिस्तान का प्रमुख पत्तन (बन्दरगाह) है। पाकिस्तान का यूरोप के देशों के साथ व्यापार में इसका सर्वाधिक योगदान रहता है। अखण्ड भारत में कराची का पृष्ठपेद्रश पंजाब व गुजरात तक फैला था। विभाजन के बाद कराची पाकिस्तान में चला गया, जिससे भारत के उत्तर-पशिचमी भागों के लिए नये पत्तन का निर्माण आवश्यक हो गया। कच्छ की खाड़ी पर स्थित कांदला पत्तन के विकास से यह कमी पूरी हो पायी है। |
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− | gधीमहाटवोट डो
| + | === श्री महावीर जी === |
| + | यह जैन समाज का प्रमुख तीर्थ है। यहाँ वर्षभर लाखों तीर्थयात्री भगवान् महावीर स्वामी के दर्शनार्थ आते रहते हैं। श्रद्धालुओं का ऐसा विश्वास है कि यहाँ उनकीमनोकामना पूरी हो जाती है। मन्दिर में महावीर स्वामी की कत्थई रंग की प्राचीन प्रतिमा स्थापित है। यह प्रतिमा एक भक्त ग्वाले को भूमि केअन्दर दबी मिली थी जिसे पास में प्रतिष्ठित करा दिया गया। मन्दिर का निर्माण भरतपुर के दीवान जोधराज ने कराया। मन्दिर के चारों ओर तीर्थयात्रियों की सुविधा के लिए कई धर्मशालाएँ बनी हैं। जैनियों के अतिरिक्त भी सभी स्थानीय लोग महावीर जी के प्रति श्रद्धा रखते हैं। सम्पूर्ण उत्तर भारत में इस तीर्थ की अतिशय क्षेत्र के रूप में मान्यता है। |
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− | यह जैन समाज का प्रमुख तीर्थ है। यहाँ वर्षभर लाखों तीर्थयात्री | + | === रणथम्भौर ( सवाई माधोपुर ) === |
| + | यह एक ऐतिहासिक दुर्ग है। दुर्ग के परकोटे में गणेश जी की विशाल प्रतिमा है। अलाउद्दीन खिलजी को पराजित करने वाले हमीरसिंह कीराजधानी यहाँ थी। किले के पास ही पहाड़ी पर अमरेश्वर-शैलेश्वर के प्राचीन मन्दिर हैं।थोड़ी दूरी पर सीता जी का मन्दिर है जहाँ पर सीताजी के चरणों के पास से निरन्तर जल प्रवाहित होता रहता है। |
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− | भगवान् महावीर स्वामी के दर्शनार्थ आते रहते हैं। श्रद्धालुओं का ऐसा
| + | === जयपुर === |
− | | + | जयुपर राजस्थान की वर्तमान राजधानी व प्रसिद्ध नगर है। इसकी स्थापना महाराजा जयसिंह ने की थी। नगर के भवन प्राय: गुलाबी पत्थर के बने हैं। नगर के चारों ओर चारदीवारी बनायी गयी हैं, जिसमें सात द्वार बनाये गये हैं। नगर में कई दर्शनीय व पूजनीय स्थान है। हवामहल, सिटी पैलेस, राम बाग, जन्तर-मन्तर, केन्द्रीय संग्रहालय प्रमुख दर्शनीय स्थान हैं।आमेर का किला, नाहरगढ़ का किला जयपुर के पास पुराने किले हैं। श्री गोविन्द देव, श्री गोकुलनाथ जी नामक पवित्र मन्दिर हैं। इन मन्दिरों में स्थापित प्रतिमाओं को औरंगजेब के शासनकाल में वृन्दावन से यहाँ लाया गया था। इनके अतिरिक्त विश्वेश्वर महादेव, राधा-दामोदर अन्य प्रमुख मन्दिर हैं। जयपुर का जन्तर-मन्तर ज्योतिष तथा खगोलीय ज्ञान |
− | विश्वास है कि यहाँ उनकीमनोकामना पूरी हो जातीहै।मन्दिरमेंमहावीर
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− | स्वामी की कत्थई रंग की प्राचीन प्रतिमा स्थापित है। यह प्रतिमा एक भक्त
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− | ग्वाले कोभूमि केअन्दर दबी मिलीथी जिसे पास मेंप्रतिष्ठित करा दिया
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− | गया। मन्दिर का निर्माण भरतपुर के दीवान जोधराज ने कराया। मन्दिर
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− | के चारों ओर तीर्थयात्रियों की सुविधा के लिए कईधर्मशालाएँ बनी हैं।
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− | जैनियों के अतिरिक्त भी सभी स्थानीय लोग महावीर जी के प्रति श्रद्धा
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− | प्रणथम्बौर (वार्डमाधोपुर) :
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− | प्रतिमा है। अलाउद्दीन खिलजी को पराजित करने वाले हमीरसिंह की
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− | राजधानी यहाँ थी। किले के पास ही पहाड़ी पर अमरेश्वर-शैलेश्वर के
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− | प्राचीन मन्दिरहैं।थोड़ी दूरी पर सीता जी का मन्दिरहैजहाँ पर सीताजी
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− | के चरणों के पास से निरन्तर जल प्रवाहित होता रहता है।
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− | जयपुर | |
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− | स्थापना महाराजा जयसिंह ने की थी। नगर के भवन प्राय: गुलाबी पत्थर | |
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− | के बने हैं। नगर के चारों ओर चारदीवारी बनायी गयी हैं, जिसमें सात द्वार | |
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− | बनाये गयेहैं। नगरमें कई दर्शनीय व पूजनीय स्थान है। हवामहल, सिटी | |
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− | पैलेस, राम बाग, जन्तर-मन्तर, केन्द्रीय संग्रहालय प्रमुख दर्शनीय स्थान | |
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− | हैं।आमेर का किला, नाहरगढ़ का किला जयपुर के पास पुराने किले हैं। | |
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− | श्री गोविन्द देव, श्री गोकुलनाथ जी नामक पवित्र मन्दिर हैं। इन मन्दिरों | |
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− | में स्थापित प्रतिमाओं को औरंगजेब के शासनकाल में वृन्दावन से यहाँ | |
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− | लाया गया था। इनके अतिरिक्त विश्वेश्वर महादेव, राधा-दामोदर अन्य | |
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− | प्रमुख मन्दिर हैं। जयपुर का जन्तर-मन्तर ज्योतिष तथा खगोलीय ज्ञान | |
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| झजलेट(क्खयेट) | | झजलेट(क्खयेट) |