४२. इसी प्रकार स्वमान, स्वगौरव, स्वाधीनता और स्वतन्त्रता का आग्रह भी विकसित होना चाहिये । यह भी ध्यान में रहना चाहिये कि यदि इनकी समझ सही नहीं रही तो ये विकृतियों में परिवर्तित हो जाते हैं और सामाजिकता का नाश करते हैं । | ४२. इसी प्रकार स्वमान, स्वगौरव, स्वाधीनता और स्वतन्त्रता का आग्रह भी विकसित होना चाहिये । यह भी ध्यान में रहना चाहिये कि यदि इनकी समझ सही नहीं रही तो ये विकृतियों में परिवर्तित हो जाते हैं और सामाजिकता का नाश करते हैं । |