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| | अधर्म ही सही । | | अधर्म ही सही । |
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| − | ===== इस स्थिति में विद्यालय क्या करें ? ===== | + | =====इस स्थिति में विद्यालय क्या करें ?===== |
| | कुछ इस प्रकार से विचार किया जा सकता है... | | कुछ इस प्रकार से विचार किया जा सकता है... |
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| − | ०... नीति का पक्ष लेने वाले कुछ लोग तो समाज में हैं
| + | नीति का पक्ष लेने वाले कुछ लोग तो समाज में हैं ही । ये केवल नीति की बात ही नहीं करते, उनका आचरण भी नैतिक होता है । अक्सर ऐसे लोग अपने |
| − | ही । ये केवल नीति की बात ही नहीं करते, उनका | + | में ही मस्त होते हैं । दूसरों को अनीति का आचरण करना है तो करें, उनका हिसाब भगवान करेगा, हम अनीति का. आचरण नहीं करेंगे । हमने दुनिया को सुधार करने का ठेका नहीं लिया है ऐसा वे कहते हैं । |
| − | आचरण भी नैतिक होता है । अक्सर ऐसे लोग अपने | |
| − | में ही मस्त होते हैं । दूसरों को अनीति का आचरण | |
| − | करना है तो करें, उनका हिसाब भगवान करेगा, | |
| − | हम अनीति का. आचरण नहीं करेंगे । हमने | |
| − | दुनिया को सुधार करने का ठेका नहीं लिया है ऐसा | |
| − | वे कहते हैं । | |
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| − | परन्तु केवल अच्छाई पर्याप्त नहीं है । यह सत्य है | + | परन्तु केवल अच्छाई पर्याप्त नहीं है । यह सत्य है कि ऐसे लोगों के प्रभाव से ही दुनिया का अभी नाश नहीं हुआ है परन्तु नीतिमान अच्छे लोगों के अक्रिय |
| − | कि ऐसे लोगों के प्रभाव से ही दुनिया का अभी नाश | |
| − | नहीं हुआ है परन्तु नीतिमान अच्छे लोगों के अक्रिय | |
| | रहने से चलने वाला नहीं है । इन्हें संगठित होकर | | रहने से चलने वाला नहीं है । इन्हें संगठित होकर |
| | सामर्थ्य बढाने की आवश्यकता है । | | सामर्थ्य बढाने की आवश्यकता है । |