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सामर्थ्य बढाने की आवश्यकता है ।
 
सामर्थ्य बढाने की आवश्यकता है ।
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०... विद्यालयों के संचालक और शिक्षक दोनों नीतिमान
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* विद्यालयों के संचालक और शिक्षक दोनों नीतिमान हों ऐसे विद्यालयों के साथ समाज की सज्जनशक्ति को ज़ुडना चाहिये ।
हों ऐसे विद्यालयों के साथ समाज की सज्जनशक्ति को
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* यदि संचालक नीतिमान हैं परन्तु शिक्षक नीतिमान नहीं हैं तो या तो संचालकों ने अनीतिमान शिक्षकों को नीतिमान बनाना होगा नहीं तो अनीतिमान शिक्षकों को दूर कर उनके स्थान पर नीतिमान शिक्षकों को लाना होगा ।
ज़ुडना चाहिये ।
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* संचालक नीतिमान नहीं है परन्तु शिक्षक नीतिमान हैं तो उन्होंने ऐसे संचालकों का त्याग करना चाहिये और नीतिमान संचालकों के साथ जुड़ना चाहिये । यदि ऐसा त्याग नहीं किया तो नीतिमान शिक्षकों को नीति का त्याग करने की नौबत आती है ।
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* नीतिमान संचालक, नीतिमान शिक्षक और समाज के सज्जनों ने मिलकर अपने जैसे अन्य नीतिमान विद्यालयों को खोजना चाहिये और संगठित होना चाहिये । संगठित हुए बिना सामर्थ्य नहीं आता ।
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* ऐसे संगठन को प्रथम अपने विद्यालयों को नीतिमान बनाना चाहिये । अपने विद्यालय को नीतिमान बनाने का अर्थ है विद्यार्थियों और उनके परिवारों को नीतिमान बनाना । इसके बिना उनके सामर्थ्य में वृद्धि नहीं हो सकती
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०... यदि संचालक नीतिमान हैं परन्तु शिक्षक नीतिमान
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* जब भी किसी अभियान का प्रारम्भ करना होता है तब थोडे से और सरल बातों से करना व्यावहारिक समझदारी है । ऐसा करने से धीरे धीरे कठिन बातें सरल होती जायेंगी ।
नहीं हैं तो या तो संचालकों ने अनीतिमान शिक्षकों
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को नीतिमान बनाना होगा नहीं तो अनीतिमान
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शिक्षकों को दूर कर उनके स्थान पर नीतिमान
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शिक्षकों को लाना होगा ।
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०... संचालक नीतिमान नहीं है परन्तु शिक्षक नीतिमान हैं
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तो उन्होंने ऐसे संचालकों का त्याग करना चाहिये
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और नीतिमान संचालकों के साथ जुड़ना चाहिये ।
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यदि ऐसा त्याग नहीं किया तो नीतिमान शिक्षकों को
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नीति का त्याग करने की नौबत आती है ।
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०... नीतिमान संचालक, नीतिमान शिक्षक और समाज के
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सज्जनों ने मिलकर अपने जैसे अन्य नीतिमान
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विद्यालयों को खोजना चाहिये और संगठित होना
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चाहिये । संगठित हुए बिना सामर्थ्य नहीं आता ।
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०"... ऐसे संगठन को प्रथम अपने विद्यालयों को नीतिमान
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बनाना चाहिये । अपने विद्यालय को नीतिमान बनाने
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का अर्थ है विद्यार्थियों और उनके परिवारों को
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पर्व २ : विद्यार्थी, शिक्षक, विद्यालय, परिवार
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नीतिमान बनाना । इसके बिना उनके सामर्थ्य में वृद्धि
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नहीं हो सकती ।
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०. जब भी किसी अभियान का प्रारम्भ करना होता है
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तब थोडे से और सरल बातों से करना व्यावहारिक
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समझदारी है । ऐसा करने से धीरे धीरे कठिन बातें
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सरल होती जायेंगी ।
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नीतिमत्ता का दससूत्री कार्यक्रम
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===== नीतिमत्ता का दससूत्री कार्यक्रम =====
 
इन विद्यालयों ने मिलकर विद्यार्थियों के लिये
 
इन विद्यालयों ने मिलकर विद्यार्थियों के लिये
 
नीतिमत्ता का दससूत्री कार्यक्रम बनाना चाहिये । ये दस सूत्र
 
नीतिमत्ता का दससूत्री कार्यक्रम बनाना चाहिये । ये दस सूत्र
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