कौटुम्बिक भावना से चलाए गये उपक्रम सामने रखकर ही हमें भावी सहकारिता के क्षेत्र की पुनर्रचना करनी होगी । इस बातपर विचारपूर्वक और हिम्मत से प्रयोग करने की आवश्यकता है । ग्रामकुल जैसी व्यवस्थाएं कुछ गाँवों में क्षीण अवस्था में, लेकिन आज भी विद्यमान है । इन व्यवस्थाओं का और पू. दादा आठवलेजी ने किये प्रयोगों का अध्ययन करना होगा । भारतीयता की दृष्टि से ग्रामीण लोग अधिक भारतीय है । वर्तमान शिक्षा का असर उनपर उतना नहीं हुवा है जितना शहरी लोगोंपर हुवा है । ग्रामीण लोग अभी भी एकात्म मानव दर्शन के विचार से पूर्णत: विलग नहीं हुए है । इसीलिये सहकारिता में हो या अर्थशास्त्र में, परिवर्तन के प्रयोग हमें ग्रामीण क्षेत्र से ही प्रारभ करने होंगे । | कौटुम्बिक भावना से चलाए गये उपक्रम सामने रखकर ही हमें भावी सहकारिता के क्षेत्र की पुनर्रचना करनी होगी । इस बातपर विचारपूर्वक और हिम्मत से प्रयोग करने की आवश्यकता है । ग्रामकुल जैसी व्यवस्थाएं कुछ गाँवों में क्षीण अवस्था में, लेकिन आज भी विद्यमान है । इन व्यवस्थाओं का और पू. दादा आठवलेजी ने किये प्रयोगों का अध्ययन करना होगा । भारतीयता की दृष्टि से ग्रामीण लोग अधिक भारतीय है । वर्तमान शिक्षा का असर उनपर उतना नहीं हुवा है जितना शहरी लोगोंपर हुवा है । ग्रामीण लोग अभी भी एकात्म मानव दर्शन के विचार से पूर्णत: विलग नहीं हुए है । इसीलिये सहकारिता में हो या अर्थशास्त्र में, परिवर्तन के प्रयोग हमें ग्रामीण क्षेत्र से ही प्रारभ करने होंगे । |