भारतीय भाषाएं अपनी होने से उन के प्रति लगाव होना अत्यंत स्वाभाविक है। यदि वह श्रेष्ठ नहीं हैं तो, केवल वे अपनी हैं इस के कारण उन्हें बचाने का कोई कारण नहीं है। भारतीय भाषाएं विश्व में सर्वश्रेष्ठ होने से उन का वैश्विक स्तरपर स्वीकार और उपयोग होने में विश्व का हित होने से उन्हें केवल बचाना ही नहीं तो उन्हें उन की योग्यता के अनुरूप योग्य वैश्विक स्थान दिलाना, एक भारतीय होने के नाते हम सब का पवित्र कर्तव्य है । | भारतीय भाषाएं अपनी होने से उन के प्रति लगाव होना अत्यंत स्वाभाविक है। यदि वह श्रेष्ठ नहीं हैं तो, केवल वे अपनी हैं इस के कारण उन्हें बचाने का कोई कारण नहीं है। भारतीय भाषाएं विश्व में सर्वश्रेष्ठ होने से उन का वैश्विक स्तरपर स्वीकार और उपयोग होने में विश्व का हित होने से उन्हें केवल बचाना ही नहीं तो उन्हें उन की योग्यता के अनुरूप योग्य वैश्विक स्थान दिलाना, एक भारतीय होने के नाते हम सब का पवित्र कर्तव्य है । |