वर्तमान में भारत में दर्जनों भाषाएँ बोली जातीं हैं। ऐसा कहते हैं कि ५ कोस पर पानी और दस कोस पर बानी (वाणी) बदल जाती है। इस तरह बोली भाषाएं तो शायद हजारों की संख्या में होंगी। भाषाओं की अनेकता और विविधता के कारण संपर्क भाषा की समस्या भी बहुत जटिल हो गयी है। भाषाओं के अनुसार प्रान्तों के निर्माण के कारण कुछ सुविधा तो हुई, लेकिन इस के साथ ही भाषिक अस्मिताओं के झगड़े भी शुरू हो गए हैं। राष्ट्रीयता की भावना की कमी के कारण ये भाषिक अस्मिताएँ दो पड़ोसी प्रान्तों को एक दूसरे को शत्रु के रूप में खडा कर रहीं हैं। इस सन्दर्भ में भारतीय भाषा दृष्टि की समझ और क्रियान्वयन महत्वपूर्ण है। आगे हम अब भाषा के विषय में दो तरह से भारतीय दृष्टि का विचार करेंगे। पहला है दीर्घकालीन और दूसरा है वर्तमानकालीन परिस्थितियों से सम्बंधित। | वर्तमान में भारत में दर्जनों भाषाएँ बोली जातीं हैं। ऐसा कहते हैं कि ५ कोस पर पानी और दस कोस पर बानी (वाणी) बदल जाती है। इस तरह बोली भाषाएं तो शायद हजारों की संख्या में होंगी। भाषाओं की अनेकता और विविधता के कारण संपर्क भाषा की समस्या भी बहुत जटिल हो गयी है। भाषाओं के अनुसार प्रान्तों के निर्माण के कारण कुछ सुविधा तो हुई, लेकिन इस के साथ ही भाषिक अस्मिताओं के झगड़े भी शुरू हो गए हैं। राष्ट्रीयता की भावना की कमी के कारण ये भाषिक अस्मिताएँ दो पड़ोसी प्रान्तों को एक दूसरे को शत्रु के रूप में खडा कर रहीं हैं। इस सन्दर्भ में भारतीय भाषा दृष्टि की समझ और क्रियान्वयन महत्वपूर्ण है। आगे हम अब भाषा के विषय में दो तरह से भारतीय दृष्टि का विचार करेंगे। पहला है दीर्घकालीन और दूसरा है वर्तमानकालीन परिस्थितियों से सम्बंधित। |